दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई के छापे के बाद एक बार फिर दिल्ली की नई आबकारी नीति की चर्चा शुरू हो गई है. केंद्रीय एजेंसी ने शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास सहित दिल्ली-एनसीआर में 10 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की, जिससे भाजपा शासित केंद्र के साथ आम आदमी पार्टी की खींचतान तेज हो गई. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सीबीआई को नई आबकारी नीति की जांच करते समय कुछ ऐसा तथ्य मिला है, जिससे मनीष सिसोदिया को दोषी ठहराया जा सके? इसके साथ ही लोगों में यह जिज्ञासा है कि सीबीआई जांच में किन सवालों पर केंद्रित किया जा रहा है.
दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में प्रमुख सवाल यह है कि राष्ट्रीय राजधानी में शुष्क दिनों (Dry Days) की संख्या कम क्यों की गई, विदेशी शराब पर कितना लाभ अर्जित किया गया और विवादास्पद नीति को क्यों बढ़ाया गया.
सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के संबंध में भी एक प्राथमिकी दर्ज की है, जिसे पिछले साल नवंबर में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा लाया गया था.
इस मुद्दे पर अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिकी एलजी वीके सक्सेना के संदर्भ पर आधारित है, जिन्होंने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. एलजी की सिफारिश जुलाई में पेश दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर आधारित थी, जिसमें जीएनसीटीडी एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर)-1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट-2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स-2010 के कथित प्रथम दृष्टया उल्लंघन को दिखाया गया था.
एक अधिकारी का कहना है कि, “हमारी प्राथमिकी में, हम दिल्ली सरकार द्वारा विदेशी शराब के मामले में आयात पास शुल्क और लाभ मार्जिन की जांच करने जा रहे हैं. उन्होंने शुष्क दिनों की संख्या कम क्यों की?” आबकारी नीति के "अवैध विस्तार" से सरकार को "भारी राजस्व हानि" हुई.
अधिकारियों ने कहा कि जांच इस बात का भी पता लगाएगी कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने नीति को फिर से जारी करने के आदेश से पहले मंत्रिपरिषद की मंजूरी क्यों ली, लेकिन उपराज्यपाल की राय नहीं ली.
एक अधिकारी ने कहा कि, “सभी आरोपों की जांच की जाएगी. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि नीति को लागू करने के लिए कुछ फास्ट-ट्रैक रूट का पालन किया गया था, जो नियमित नहीं था." एक अधिकारी ने कहा, "व्यक्तियों" को जांच में शामिल होने के लिए कहा जाएगा.
सिसोदिया और अन्य पर टेंडर दिए जाने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ देने का आरोप लगाया गया है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है. आबकारी विभाग ने कथित तौर पर कोरोना का हवाला देते हुए लाइसेंसधारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी थी. यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने हवाईअड्डा क्षेत्र के लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस कर दी, जब वह हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रही.
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति, 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहर भर में 32 क्षेत्रों में विभाजित 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे.
इसके कई प्रावधान जैसे सूखे दिनों (Dry Days) की संख्या को 21 प्रति वर्ष से घटाकर तीन करना, खुदरा शराब की बिक्री से सरकार का बाहर निकलना, होटल, रेस्तरां में बार को सुबह 3 बजे तक खुला रहने की अनुमति (पुलिस की अनुमति का इंतजार) और खुदरा लाइसेंसधारियों को पेशकश करने के लिए आबकारी विभाग द्वारा शराब पर छूट व योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया.
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सिसोदिया ने शुक्रवार को सिलसिलेवार ट्वीट कर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'सीबीआई का स्वागत है. ये लोग दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए बेहतरीन कामों से परेशान हैं. इसलिए दोनों विभागों के मंत्रियों को निशाना बनाया जा रहा है कि वे हमें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम करने से रोकें."
सिसोदिया ने कहा, “हम दोनों के खिलाफ आरोप झूठ हैं. अदालत में सच सामने आएगा. ”
HIGHLIGHTS
- CBI ने दिल्ली-एनसीआर में 10 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की
- Dry Days की संख्या को 21 प्रति वर्ष से घटाकर तीन किया गया था
- होटल, रेस्तरां में बार को सुबह 3 बजे तक खुला रहने की थी अनुमति