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दुनिया में राजनीतिक बदलावों का साल है 2024, कहीं मिली चौंकाने वाली हार, तो कहीं वर्षों से सत्ता में नेता!

2024 दुनिया में राजनीतिक बदलावों का साल है. भारत के अलावा दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां 2024 में चुनाव हुए. कहीं पर नेताओं को चौंकाने वाली हार मिली तो कहीं पर सत्ता में वापसी की.

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Ajay Bhartia
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Narendra Modi

गांजर प्रणोवो, गीर्ट विल्डर्स, नरेंद्र मोदी, शेख हसीना( Photo Credit : News Nation)

2024 दुनिया में राजनीतिक बदलावों का साल है. भारत में आम चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं. 4 जून को काउंटिंग के बाद भारत में नई सरकार का गठन होगा. भारत के अलावा दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां 2024 में चुनाव हुए. कहीं पर नेताओं को चौंकाने वाली हार मिली तो कहीं पर सत्ता में वापसी की. इनमें कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो वर्षों से सत्ता में बने हुए हैं. आइए ऐसे नेताओं के बारे में जानते हैं और नई सरकार के तहत उनके सामने क्या चुनौतियां होंगी.

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1- भारत

सबसे पहले बात भारत की. न्यूज नेशन के सर्वे जनादेश 2024 में बीजेपी की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एडीए) की सत्ता में वापसी का अनुमान जताया गया है. एनडीए को 342 से 378 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान मुख्य विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के लिए तगड़ा झटका होगा. बता दें कि जनादेश 2024 में इंडिया अलायंस को 153 से 169 सीटें मिलने की आशंका जताई गई है.

मोदी के तीसरा बार सत्ता में आने से क्या होगा?

अगर तीसरी बार सत्ता में मोदी की वापसी होती है. अगले 5 सालों के लिए फिर देश की कमान उनके हाथों में होगी. ऐसे में उनकी आर्थिक, रक्षा, विदेश और इंफ्रास्ट्रक्चर के लेवल पर चल रहीं योजनाओं को और बल मिलने की संभावना है. देश अभी दुनिया की सबसे तेज इकॉनोमीज् में 5वें नंबर है. सरकार की कोशिश रहेगी कि आर्थिक मोर्च पर देश और मजबूत हो. नई सरकार के तहत मोदी के सामने बेरोजगारी, महंगाई, आय असमानता, पाकिस्तान-चीन संबंध और व्यापार जैसे मुद्दे होंगे.

2. बांग्लादेश

बंग्लादेश भारत का पड़ोसी देश है. जनवरी 2024 में शेख हसीना एक बार देश की प्रधानमंत्री बनी हैं. यह उनका पांचवां कार्यकाल है, जो पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनी थीं और 2009 में पुनः निर्वाचित हुईं और तब से सत्ता में हैं. इस तरह वह दुनिया की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाली पहली महिला बन गई हैं. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने चुनावों में खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को शिकस्त दी.

बांग्लादेश की सत्ता में लगातार शेख हसीना का आना यह देश में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है. बांग्लादेश एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है, जो कभी दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था. देश ने 2009 से शेख हसीना के नेतृत्व में काफी आर्थिक विकास किया है. पिछले दशक में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 3 गुनी हो गई है और वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि पिछले 20 वर्षों में 25 मिलियन से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है. यह चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परिधान उत्पादक भी है.

शेख हसीना के फिर PM बनने से क्या होगा?

शेख हसीना की जीत क्रेडिट उनके कार्यकाल की आर्थिक उपलब्धियों और देश में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को दिया गया. उनके फिर पीएम बनने से इन मोर्चों पर देश के और मजबूत होने की संभवना है. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता जियो-पॉलिटिक्स को प्रभावित करती है. भारत और चीन के साथ बांग्लादेश के संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है.  

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3. पाकिस्तान

3 मार्च 2024 को वोटिंग के बाद पाकिस्तान में भी नए प्रधानमंत्री बने. पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के शहबाज शरीफ ने प्राइम मिनिस्टर के रूप में शपथ ली. यह दूसरा मौका था जब वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं. उनकी पार्टी ने बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ अलायंस कर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया और पूर्व पीएम इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर दिया. इस तरह दोनों पार्टियों ने देश को राजनीतिक अस्थिरता से बचा लिया.

शहबाज के सामने क्या चुनौतियां?

पाकिस्तान आर्थिक संकट और आतंकवाद से जूझ रहा है. ऐसे में शहबाज के सामने इनसे निपटना होगा. साथ ही पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अपनी छवि सुधारने पर काम करना होगा.

4. भूटान

भूटान में भी राजनीतिक बदलाव हुआ है. 28 जनवरी 2024 से ड्रुक फुएनसम त्शोग्पा (डीपीटी) के शेरिंग टोबगे भूटान के प्रधानमंत्री हैं. चुनावों में उनकी पार्टी ने डीएनटी को पराजित किया. शेरिंग का भूटान की राजनीति में दबदबा है. वह जुलाई 2013 से अगस्त 2018 तक इस पद पर भी रहे. भूटान के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं. पीएम बनने के बाद शेरिंग टोबगे ने अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत को चुना था. वे इस साल मार्च के महीने में भारत आए थे. उन्होंने पीएम मोदी से कई मुद्दों को लेकर मुलाकात की थी. उनको भारत और चीन दोनों के साथ अच्छे संबंधों को बढ़ावा देने पर फोकस करना होगा.

5. मालदीव

अप्रैल 2024 में मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए. मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) को हराकर पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के मोहम्मद मुइज्जू देश के नए राष्ट्रपति बने. मुइज्जू को भारत विरोधी और चीन समर्थक माना जाता है. ऐसे में मुइज्जू का राष्ट्रपति बनना मालदीव की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है. मुइज्जू को शत्रुतापूर्ण भारत नीति और भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने के फैसलों के लिए जाना जाता है. ऐसे में उनके राष्ट्रपति बनने से क्षेत्रियो जियो-पॉलिटिक्स पर काफी प्रभाव पड़ेगा.

6. ईरान

मई 2024 में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. रईसी के बाद वहां मोहम्मद मोखबर राष्ट्रपति चुने गए. मोखबर को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का करीबी बताया जाता है. उनकी छवि रूढ़िवादी नेता के रूप में रही है. उनके नेतृत्व में देश में रूढ़िवादिता बढ़ने की संभावना है. इस राजनीतिक बदलाव से ईरान की विदेश नीति और भारत समेत कई देशों के साथ संबंधों पर असर पड़ सकता है.

7. ताइवान

मई 2024 में ताइवान में भी अहम राजनीतिक बदलाव हुआ. 20 मई को डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. लाई और उनकी पार्टी को ताइवन की स्वतंत्रता का समर्थक और चीन विरोधी माना जाता है. लाई को चुनाव में जीत उनके ताइवान की संप्रभुता समर्थक और ताइवान की सुरक्षा को मजबूत करने के कारण मिली है. लाई के सामने चीन से निपटने और अमेरिका अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने का दवाब होगा.

8. नीदरलैंड्स

2024 में भी नीदरलैंड्स चुनाव हुए हैं, जिनमें पार्टी फॉर फ्रीडम (पीवीवी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. गीर्ट विल्डर्स को देश के संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. विल्डर्स कठोर इमिग्रेशन पॉलिसी और यूरोपीय संघ के भीतर नीदरलैंड्स की भूमिका के पुनर्मूल्यांकन पक्षधर रहे हैं.

9. इंडोनेशिया

फरवरी 2024 में इंडोनेशिया में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए. प्रबोवो सुबिआंतो इंडोनेशिया से नए राष्ट्रपति बने. उनकी जीत इंडोनेशियाई राजनीति में अहम बदलाव है. प्रबोवो सुबिआंतो ने दो कार्यकाल से राष्ट्रपति पद काबिज जोको विडोडो को सत्ता से बाहर किया. अब प्रबोवो सुबिआंतो के सामने आसियान में इंडोनेशिया की राणनीतिक भूमिका, अमेरिका और चीन के साथ संबंधों को संतुलित बनाए रखने की चुनौती होगी.

10. मेक्सिको

2 जून 2024 को आम चुनाव हुए. सर्वेक्षणों में मोरेना पार्टी की क्लाउडिया शेनबौम पार्डो की जीत पक्की बताई गई है. अगर ऐसा होता है तो मेक्सिको के इतिहास में नया पन्ना खुल जाएगा, क्योंकि क्लाउडिया देश की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. अगर वे राष्ट्रपति बनती हैं तो मैक्सिको की घेरलू नीतियां, सुरक्षा, इमिग्रेशन, व्यापार और अमेरिका के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा.

11. दक्षिण अफ्रीका

दक्षिण अफ्रीका में मई 2024 में चुनाव हुए. अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) पार्टी ने देश में गठबंधन की सरकार बनाई है. सिरिल रामफोसा देश के राष्ट्रपति बने हैं. उनके सामने देश में आर्थिक सुधार, बेरोजगारी और करप्शन से निपटने की चुनौतियां होंगी.

UK और US में भी होने हैं चुनाव

इसी साल यूनाइटेड किंगडम (यूके) और अमेरिका में चुनाव होने हैं. यूके के मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जुलाई में चुनाव कराने का ऐलान किया है. उनको लेबर पार्टी केर स्टार्मर (Keir Starmer) से चुनावों में कड़ा मुकाबला मिलने की उम्मीदें जताई जा रही हैं. यह चुनाव देश की घेरलू और विदेशी नीतियों का भविष्य तय करेगा. इन चुनावों में देश की अर्थव्यवस्था एक बड़ा मुद्दा हो सकता है.

वहीं, अमेरिका में भी चुनाव होने हैं. वहां 4 नवंबर 2024 को चुनाव होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम अंतरराष्ट्रीय संबंधों (विशेषकर भारत, चीन और रूस), व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों पर असर डालेगा. अभी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन देश के राष्ट्रपति हैं. उनका मुकाबला विपक्ष पद रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार से होगा.

Source(News Nation Bureau)

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