गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए अब 'अर्थ गंगा', जानें PM मोदी की योजना का लक्ष्य 

स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022 में अपने भाषण के दौरान अर्थ गंगा मॉडल के बारे में बात की.

author-image
Pradeep Singh
New Update
earth ganga

गंगा( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

देश की अधिकांश नदियां प्रदूषित हैं. नदियों को स्वच्छ करना बड़ी चुनौती है. प्रदूषित नदियों में गंगा का नाम प्रमुख है. गंगा की सफाई के लिए पिछले पांच दशकों से योजनाएं बनाई जा रही हैं, और काम किया जा रहा है. लेकिन अभी तक गंगा सफाई के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका है. गंगा को स्वच्छ करने का विचार सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मन में आया था. मां के सपने को साकार करने के लिए उनके पुत्र राजीव गांधी ने वाराणसी में 14 जून 1986 को गांगा कार्य योजना की आधारशिला रखी. तब से आज तक लंबा वक्त गुजर गया. गंगा की सफाई के लिए  केंद्र व राज्य सरकार तथा विश्व बैंक अरबों रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन अभी तक गंगा जल में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है.

गंगा के प्रदूषण में बह गए अरबों रुपये  

गंगा की सफाई के लिए शुरू में 293 करोड़ रुपये का बजट रखा गया.लेकिन मार्च 1994 के अंत तक इस परियोजना पर 450 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे. गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण की शुरुआत 14 जनवरी, 1986 को हुई और 31 मार्च, 2000 को इसे समाप्त घोषित किया गया. 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया. 2000 से 2010 के बीच गंगा की सफाई पर 2800 करोड़ रुपए खर्च हो गए.जुलाई 2014 में  पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘नमामि गंगे’ नामक परियोजना शुरू की. इसके लिये  6300 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा गया.  लेकिन गंगा के प्रदूषण के स्तर में कोई फर्क नहीं आया.

'नमामि गंगे' के बाद 'अर्थ गंगा' परियोजना

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई योजनाएं बनीं.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  गंगा की सफाई के लिए‘नमामि गंगे’ नामक परियोजना शुरू की थी. लेकिन अब 'अर्थ गंगा' योजना की चर्चा चल रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि अर्थ गंगा क्या है.पीएम मोदी ने पहली बार 2019 में कानपुर में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान इस अवधारणा को पेश किया, जहां उन्होंने गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजना नमामि गंगे से अर्थ गंगा के मॉडल में बदलाव का आग्रह किया.
 
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022 में अपने भाषण के दौरान अर्थ गंगा मॉडल के बारे में बात की.1991 से, स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय जल संस्थान वैश्विक जल चिंताओं को दूर करने के लिए हर साल विश्व जल सप्ताह का आयोजन कर रहा है.

क्या है  'अर्थ गंगा' परियोजना की संकल्पना

पीएम मोदी ने पहली बार 2019 में कानपुर में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान इस अवधारणा को पेश किया, जहां उन्होंने गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजना नमामि गंगे से अर्थ गंगा के मॉडल में बदलाव का आग्रह किया.  नदी से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करके, गंगा और उसके आसपास के क्षेत्रों के सतत विकास पर केंद्रित है.

इसके मूल में, अर्थ गंगा मॉडल लोगों को नदी से जोड़ने के लिए अर्थशास्त्र का उपयोग करना चाहता है. अपने मुख्य भाषण के दौरान, अशोक कुमार ने कहा कि यह "गंगा बेसिन से ही सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 3% योगदान करने का प्रयास करता है," और कहा कि अर्थ गंगा परियोजना के हस्तक्षेप संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुसार हैं.

अर्थ गंगा की विशेषताएं

अर्थ गंगा के तहत सरकार छह स्तरों पर काम कर रही है. पहला शून्य बजट प्राकृतिक खेती है, जिसमें नदी के दोनों ओर 10 किमी पर रासायनिक मुक्त खेती और गोवर्धन योजना के माध्यम से गोबर को उर्वरक के रूप में बढ़ावा देना शामिल है. कीचड़ और अपशिष्ट जल का मुद्रीकरण और पुन: उपयोग दूसरा है, जो शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए सिंचाई, उद्योगों और राजस्व सृजन के लिए उपचारित पानी का पुन: उपयोग करना चाहता है.

यह भी पढ़ें : दो सितंबर को INS विक्रांत का नया अवतार, पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत

अर्थ गंगा में हाट बनाकर आजीविका सृजन के अवसर भी शामिल होंगे, जहां लोग स्थानीय उत्पाद, औषधीय पौधे और आयुर्वेद बेच सकते हैं. चौथा है नदी से जुड़े हितधारकों के बीच तालमेल बढ़ाकर जनभागीदारी बढ़ाना. मॉडल नाव पर्यटन, साहसिक खेलों और योग गतिविधियों के माध्यम से गंगा और उसके आसपास की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता है. अंतिम मॉडल बेहतर जल प्रशासन के लिए स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाकर संस्थागत भवन को बढ़ावा देना चाहता है.

HIGHLIGHTS

  • अर्थ गंगा के तहत सरकार छह स्तरों पर काम कर रही है
  • अर्थ गंगा में हाट बनाकर आजीविका सृजन के अवसर 
  • नदी के दोनों ओर 10 किमी पर रासायनिक मुक्त खेती

 

sustainable development clean ganga Earth Ganga Namami Gange flagship project Stockholm International Water Institute
Advertisment
Advertisment
Advertisment