चीन सीमा ( China Border)) के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र ( Indo Pacific Region) में निगरानी बढ़ाने के लिए भारत 3 अरब डॉलर से अधिक के सशस्त्र ड्रोन (US Drones) खरीदने के करीब है. देश इसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सौदे की चर्चा के अंतिम चरणों में है. MQ-9B एक शिकारी-घातक ड्रोन है जो पिछले महीने काबुल में अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मारने के लिए अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किए गए MQ-9 रीपर ड्रोन का एक प्रकार है. एक ऊंचाई वाला लंबे समय तक मार करने वाले (HALE) ड्रोन है.
आइए, इस अमेरिकी सशस्त्र ड्रोन के बारे में विस्तार से जानते हैं.
यह 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रह सकता है और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकता है. यह दो प्रकारों में उपलब्ध है - स्काईगार्डियन और सीगार्डियन. सीगार्डियन भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग किया जाता है. साल 2020 में उनमें से दो को एक वर्ष की अवधि के लिए लीज पर लिया था. इसे बाद में बढ़ा दिया गया था. विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में और हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नौसेना कुछ महीनों से इन ड्रोनों का इस्तेमाल कर रही है.
भारत को ड्रोन की आवश्यकता क्यों है
चीन को परे करते करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों दक्षिण अमेरिका के तीन देशों ब्राजील, पराग्वे और अर्जेंटीना के दौरे पर हैं ने कहा कि भारत को चीन से "उस पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक संवेदनशीलता" की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. यह कोई रहस्य नहीं है." सभी तीन सशस्त्र बलों को 10-10 बड़े उन्नत ड्रोन के अधिग्रहण से भारतीय रक्षा बलों को अपने मानव रहित सैन्य हथियारों और निगरानी कार्यक्रम को मजबूत करने की मदद मिलेगी.
ये भी पढ़ें - California में सरकारी नीतियों से क्यों परेशान हैं सूअर पालक? बड़ी वजह
सिर्फ एक सौदा नहीं ड्रोन का अधिग्रहण
अमेरिकी सशस्त्र ड्रोन्स की यह खरीद अगर हो जाती है और भारत आता है तो यह अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग में एक और बढ़ा कदम होगा. भारत ने फरवरी 2020 में भारतीय नौसेना के लिए 24 MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिका के साथ $2.6 बिलियन का समझौता किया था. इसकी डिलीवरी पहले ही शुरू हो चुकी है. इससे पहले 2016 में दोनों के सशस्त्र बलों को आपूर्ति की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देने वाले लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर भी हस्ताक्षर किए गए थे.
HIGHLIGHTS
- भारत 3 अरब डॉलर से अधिक के सशस्त्र ड्रोन खरीदने के करीब
- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सौदे की चर्चा के अंतिम चरणों में
- चीन सीमा के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी अभी और बढ़ेगी