One Nation One Election: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की दिशा में मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मोदी कैबिनेट ने आज यानी बुधवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस तरह केंद्रीय कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक हाई लेवल कमिटी की उन सिफारिशों पर मुहर लगा दी, जिनके अनुसार देश में एक साथ चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव दिया गया था. इसको लेकर बिल शीतकालीन सत्र में संसद में पेश हो सकता है. वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन पर सियासी संग्राम भी शुरू हो गया. आइए 5 प्वॉइंट्स में समझते हैं कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' से देश को क्या फायदे होंगे?
'दो फेज में होंगे एक साथ चुनाव'
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर मोदी कैबिनेट के फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव की सिफारिशों के बारे में बताया कि एक साथ चुनाव दो चरणों में होंगे. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे जबकि दूसरे चरण में आम चुनाव के 100 दिन के भीतर लोकल बॉडी इलेक्शन (पंचायत और नगर पालिका) कराए जाएंगे. सभी चुनावों के लिए के एक समान मतदाता सूची जारी की जाएगी.
#WATCH | Union Cabinet has accepted the recommendations by the high-level committee on 'One Nation, One Election', announces Union Minister Ashwini Vaishnaw.
— ANI (@ANI) September 18, 2024
(Video source: PIB/ YouTube) pic.twitter.com/NnE99wNDer
बता दें कि कोविंद कमिटी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले ही मार्च में सरकार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
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वन नेशन वन इलेक्शन पर सियासत
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को जैसी ही मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिली है. वैसे ही इस मुद्दे पर सियासी संग्राम भी छिड़ गया. कांग्रेस ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का विरोध किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा.’
One Nation, One Election केवल ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा है।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 18, 2024
ये संविधान के ख़िलाफ़ है,
ये लोकतंत्र के प्रतिकूल है,
ये Federalism के विरूद्ध है।
देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। pic.twitter.com/rFMFInrnNA
इस पर बीजेपी मंत्री गिरिराज सिंह ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, ‘खड़गे जी, राजनीतिक विद्वेष छोड़कर वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करें. यह देश को आगे ले जाने में बहुत मददगार होगा.’
खड़गे जी, राजनीतिक विद्वेष छोड़कर वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करें। यह देश को आगे ले जाने में बहुत मददगार होगा।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) September 18, 2024
कांग्रेस के समय में 1951 से 1967 तक वन नेशन वन इलेक्शन हुआ था। उस समय नेहरू जी ने इसकी शुरुआत की थी और उनके निधन के बाद भी यह जारी रहा।
क्या खड़गे जी नेहरू जी को गलत…
BSP ने किया समर्थन
वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया. बीएसपी सुप्रीमो मायावती बोलीं, ‘एक देश, एक चुनाव’ पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी.’
’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी।
— Mayawati (@Mayawati) September 18, 2024
वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे?
1- चुनावी खर्च कम होगा
सियासी संग्राम के बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को देशहित में बताया. उन्होंने कहा है कि देश में एक साथ चुनाव होने से चुनावी खर्च कम होगा. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि साल दर साल देश में चुनाव खर्च कितनी होता चला गया. 1952 में सलाना चुनावी खर्च ₹10.52 करोड़ रुपये था जबकि 2024 में 1.35 लाख करोड़ रुपये चुनावों पर खर्च हुए. जब देश में एक साथ चुनाव होंगे तो इस खर्च में कम जाएगी. साथ ही प्रति वोटर खर्चे में भी कमी आएगी.
2- विकास पर फोकस
देश में एक बार चुनाव होने से चुनावी खर्चा में जो कमी आएगी उसका पैसा देश के विकास में इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही नेताओं और सरकार देशहित के कामों पर अधिक ध्यान दे पाएंगे.
3- प्रशासन और सुरक्षा बलों का बोझ कम होगा
भारत का एक विशाल देश है, जहां दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव होता है. देश में चुनाव करना किसी चुनौती से कम नहीं है. हर बार चुनाव होने से प्रशासन और सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी बड़ी हो जाती है, जिसे ठीक से निभाने के लिए अधिक जनशक्ति जरूरत पड़ती है. देश में एक बार ही चुनाव होंगे तो प्रशासन और सुरक्षा बलों का बोझ कम होगा.
4. देश में एक बार चुनाव होने से वोटरों की संख्या भी बढ़ेगी.
5. ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से देश में राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा.
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