रूस (Russia) के वेबपोर्टल रियाफन पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर जियो-पॉलिटिक ने पाकिस्तान (Pakistan) के दोगलेपन को उजागर किया है. जियो-पॉलिटिक के मुताबिक भले ही रूस और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार आ रहा है, लेकिन इस्लामाबाद क्रेमलिन की पीठ में छुरा घोंपने का काम कर रहा है. एक तरफ तो क्रेमलिन की चिरौरी कर सस्ता कच्चा तेल (Crude Oil) हासिल करने में कामयाब रहा है. दूसरी तरफ, वह अपनी जमीन का इस्तेमाल यूक्रेन (Ukraine) को हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने में कर रहा है. यानी रूस से सस्ता तेल लेकर पैसे बचा रहा है और रूस-यूक्रेन युद्ध से भी पैसे कमा रहा है. पाकिस्तानी कंपनियां भी रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia Ukraine War) से भारी मुनाफा कमा यूक्रेन की सीमाओं से लगे देशों में अपनी कंपनियों का विस्तार कर रही हैं. गौरतलब है कि इसी साल फरवरी में तत्कालीन वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को का दौरा किया था.
रावलपिंडी के एयरबेस का इस्तेमाल कर रहा यूके
जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की कंपनी केस्ट्रॉल के सीईओ लियाकत अली बेग ने मई-जून 2022 में पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया के देशों की यात्रा की थी. इसी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए इस्लामाबाद एक हवाई पुल की तरह काम कर रहा है. विदेशी सरजमीं से काम कर रहे रक्षा ठेकेदारों के हथियारों और गोला-बारूद की यूक्रेन को आपूर्ति के लिए पाकिस्तान काम कर रहा है. रिपोर्ट में यह खुलासा भी किया गया है कि रावलपिंडी में पाकिस्तान के नूर खान बेस का उपयोग यूनइटेड किंगडम एयर बेस की तरह कर रहा है. इसके जरिये वह यूक्रेन की सेना को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है.
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रूस की सहृदयता का फायदा उठा रहा पाकिस्तान
जियो-पॉलिटिक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब पाकिस्तान-रूस के संबंधों में सुधार आ रहा है. एक तरफ मॉस्को भारी छूट पर पाकिस्तान को एक लाख बैरल कच्चे तेल की हर रोज आपूर्ति कर रहा है. इसके विपरीत इस्लामाबाद दोगलेपन का परिचय देते हुए यूक्रेन को रक्षा उपकरणों और गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है. जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद के आर्म सप्लायर मेसर्स डीएमआई एसोसिएट्स बुल्गारिया की फर्म मेसर्स डिफेंस इंडस्ट्री ग्रुप के साथ मिल कर यूक्रेन सरकार को तैयार हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. इस बीच यह भी पता चला है कि स्लोवाकिया की डिफेंस फर्म मेसर्स केमिका ने पाकिस्तान की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनने वाले गोला-बारूद के सप्लायर मेसर्स केस्ट्रॉल से यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के कहने पर इनकी आपूर्ति के लिए संपर्क किया है.
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पाकिस्तान यूक्रेन से दोनों हाथों से कमा रहा
आश्चर्य की बात यह कि यूक्रेन के व्यवसायी मेसर्स फॉर्मेग ने पाकिस्तान के मेसर्स ब्लूलाइंस कार्गो प्राइवेट लिमिटेड से यूक्रेनी सेना के लिए सैन्य दस्तानों की आपूर्ति के लिए संपर्क साधा है. सिर्फ यही नहीं, पाकिस्तान की शिपिंग एंड ब्रोकरिंग फर्म प्रोजेक्ट शिपिंग भी मोर्टार, रॉकेट लांचर और गोला-बारूद की एक बड़ी खेप यूक्रेनी सेना के लिए कराची से पोलैंड भेजने वाला है. रोचक बात यह है कि यूक्रेन के लिए पाकिस्तान का यह कोई कोई एकतरफा लेन-देन नहीं है. इसके एवज में पाकिस्तान जेपोरिझिया की यूक्रेन की ज्वाइंट स्टॉक कंपनी मोटोर सिच से एमआई-19 हेलीकॉप्टरों में लगने वाले टीवी-3117वीएम इंजनों की मरम्मत का काम भी करवा रहा है. यह यूक्रेन सरकार की सरपरस्ती में चलने वाली कंपनी है, जो रक्षा जरूरतों को पूरा करने के काम आती है. जियो-पॉलिटिक के मुताबिक यह कंपनी हेलीकॉप्टरों की इंजन के अलावा एयरक्राफ्ट इंजन समेत औद्योगिक मैरीन गैस टर्बाईन का निर्माण भी करती है.
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तीन दशक पुराने है पाकिस्तान-यूक्रेन के रक्षा संबंध
गौरतलब है कि पाकिस्तान और यूक्रेन के रक्षा संबंध लगभग तीन दशक पुराने हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट से मिले आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन 2020 तक पाकिस्तान को 1.6 बिलियन डॉलर मूल्य के हथियारों की आपूर्ति कर चुका था. 1990 के दौर में यूक्रेन ने 600 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत पाकिस्तान को 320 टी-84यूडी टैंकों की भी आपूर्ति की थी. जाहिर है पाकिस्तान के दोनों हाथों में लड्डू हैं, वह भी उसके दोगलेपन की बदौलत. वह रूस से भी सस्ता तेल ले रहा है और यूक्रेन को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति कर अपनी कंपनियों को विस्तार दिला भारी मुनाफा भी कमा रहा है.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान हर रोज रूस से एक लाख बैरल सस्ता कच्चा तेल रहा है ले
- दूसरी तरफ अपनी जमीन का इस्तेमाल कर यूक्रेन को पहुंचा रहा हथियार
- यूक्रेन की रक्षा कंपनियों से भी ले रहा है पाक सेना के लिए तकनीकी मदद