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Explainer: आग उगलता सूरज... गर्मी से जा रही लोगों की जान, हीटवेव से कैसे बचें, ऐसे रखें अपना ख्याल!

इन दिनों सूरज बेहद गुस्से में है. उत्तर भारत के कई राज्यों से गर्मी की वजह से लोगों की मौत होने की खबरें आ रही हैं. राजस्थान में गर्मी की वजह से 12 लोगों की मौत हो गई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि हीटवेव या लू क्या है, क्यों लगती है?

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Ajay Bhartia
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गर्मी की सितम ( Photo Credit : Social Media)

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इन दिनों सूरज बेहद गुस्से में है. वह आग उगल रहा है. सूरज के तेवर तल्ख हैं, इसलिए पारा आसमान को छू रहा है. चिलचिलाती गर्मी सितम ढा रही है. झुलसाने वाली गर्म हवाएं लोगों को जीना मुहाल किए हुए हैं. भीषण गर्मी का आतंक ऐसा है कि लोगों की जानें भी जा रही हैं. उत्तर भारत के कई राज्यों से गर्मी की वजह से लोगों की मौत होने की खबरें आ रही हैं. गर्मी का सबसे ज्यादा कहर राजस्थान में बरपा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खबर लिखे जाने तक यहां गर्मी की वजह से 12 लोगों की मौत हो गई है. वहीं मध्य प्रदेश में चार और हरियाणा में दो लोगों की गर्मी की वजह से मौत होने की खबर हैं. हालांकि गर्मी से लोगों की मौत होने का आंकड़ा बढ़ भी सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि हीटवेव या लू क्या है, क्यों लगती है, इसके क्या लक्षण हैं, लू लगने पर किसी मौत कैसे हो जाती है. हीटवेव लगने पर कैसे लोगों को अपना ख्याल रखना चाहिए.

क्यों बढ़ती जा रही है गर्मी?

गर्म हवाओं और चिलचिलाती धूम से इन दिनों को जीना मुहाल है. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से लगातार धरती का तापमान बढ़ रहा है. ऐसे में भीषण गर्मी ने देश में हाहाकार मचा रखा है. दरअसल इस बढ़ती गर्मी के लिए कोई और नहीं हम मनुष्य ही जिम्मेदार हैं. औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, दिन-रात चलती गाड़ियों से निकलने वाला धुएं, सिकुड़ते जंगल, पानी के चरम दोहन और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है. इन सबका असर है ये गर्मी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जिसके चलते बढ़ता तापमान पूरी दुनिया में एक चुनौती बनता जा रहा है. बढ़ती गर्मी का असर इंसानों पर भी पढ़ रहा है, आलम ऐसा है कि लोग घरों में रहना पसंद कर रहे हैं. हालांकि लोगों को जरूरी काम होने पर घरों से बाहर भी निकलना पड़ता है. ऐसे में वे कभी-कभी बीमार पड़ जाते हैं.

आखिर हीटवेव (लू) है क्या?

उत्तर भारत में गर्मियों के दिनों में उत्तर पूर्व और पश्चिम से पूर्व की ओर की दिशा में भीषण गर्म और शुष्क हवाएं चलती हैं. इनको ही लू कहते हैं. इस तरह की गर्म हवाएं आमतौर पर मार्च से जून तक चलती हैं. इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने लू के लिए कुछ मानदंड तय किए हैं. उनके अनुसार--- 

1. लू के लिए सबसे पहले जरूरी है कि मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. हालांकि यही हीटवेव के लिए जरूरी शर्त नहीं है.

2. किसी जगह का तापमान अगर 40 डिग्री सेल्सियस से कम या बराबर है, तो हीटवेव उससे 4 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहने पर ही माना जाएगा जबकि 7 डिग्री सेल्सियस तापमान ज्यादा रहने पर भीषण हीटवेव मानी जाएगी. 

3. इसके अलावा किसी भी तरह का अधिकतम तापमान अगर 45 डिग्री सेल्यियस पहुंच जाता है, तो उसे हर हाल में हीटवेव माना जाएगा.

4. किसी भी जगह पर औसत तापमान दो दिन तक लगातार 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाए, तो उसे हम हीटवेव कहते हैं.

5. अगर वह 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, तो उसे सीवियर हीटवेव कंडीशन कहते हैं.

क्या है हीटस्ट्रोक?

हीटस्ट्रोक यानी लू लगना गर्मी के मौसम की बिमारी है. हमारी बॉडी का टेंपरेचर जब बाहर के तापमान के साथ तालमेल नहीं बैठा पाता है. तब हमारा शरीर बाहर के तापमान के साथ गर्म हो जाता है.  इस स्थिति में हम लू के शिकार हो जाते हैं. लू लगने के दौरान  शरीर के तापमान का बहुत ज्यादा बढ़ने से व्यक्ति की मौत भी हो जाती है. किसी भी इंसान का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. इस टेंपरेचर पर मनुष्य के शरीर के सभी अंग सही सलामत काम करते हैं. लेकिन जब बाहर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चला जाता है, तो लू लगने के आशंका काफी बढ़ जाती है.

लू लगने पर क्या होता है?

ऐसे में बॉडी के टेंपरेचर को कंट्रोल रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इसी तरह जब शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से बढ़तर 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो बॉडी के अंदर खून ताप बढ़ने लगने लगता है, जिसके चलते खून में मौजूद प्रोटीन भी गर्म होने लगता है. पानी की कमी के चलते शरीर में ब्लड गाढ़ा होने लगता है. ब्लड प्रेशर लॉ हो जाता है. ऐसे हालात में शरीर के अंग खासकर ब्रेन तक खून की सप्लाई ठीक से नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में व्यक्ति कोमा में चला जाता है और शरीर के कई अंग काम करने बंद कर देते हैं. कई बार व्यक्ति की मौत भी हो जाती है.

लू लगने के क्या लक्षण?

लू लगने से शरीर में सबसे पहले नमक और पानी की कमी हो जाती है. पसीने के रूप में नमक और पानी का ज्यादा हिस्सा निकल कर खून की गर्मी को बढ़ा देता है. ऐसे हालत में व्यक्ति लू की चपेट में आ जाता है. लू के कई लक्षण होते हैं. कई बार हल्की लू लगती है, लेकिन समय पर उपचार नहीं होने से ये काफी खतरनाक हो जाती है. हल्की लू लगने को हीट एग्जॉर्शन भी कहते हैं. हल्की लू लगने पर पीड़ित व्यक्ति की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है और चक्कर आने लगते हैं. इसके अलावा मांस पेशियों में तेज ऐंठन, दर्द, बैचेनी, घबराहट, मिचली और उल्टी आना, दिल की धड़कनें बढ़ जाना, हल्का या तेज बुखार और सिर दर्द या कमजोरी भी होने लगती है. 

वहीं, तेज लू लगने को हीटस्ट्रोक कहते हैं. इससे पीड़ित शख्स को काफी तेज बुखार आता है. ऐसे में बॉडी टेंपरेचर 104 फारेन्हाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा हो जाता है. हीटस्ट्रोक लगने पर पीड़ित शख्स को पीड़ित शख्स को बदन गर्म होने के बाद पसीना आना बंद हो जाता है. पीड़ित शख्स बेहोश होने लगता है. 

लू का सबसे ज्यादा खतरा किन्हें?

काफी तेज गर्मी में लगातार काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को लू लग सकती है. इसके अलावा छोटी उम्र के बच्चों और बूढ़ों में टेंपरेचर कंट्रोल करने का शारारिक सिस्टम कमजोर होता है. ऐसे में इनको जल्दी ही लू लगने की आशंका होती है.  इनके अलावा मोटे व्यक्ति, दिल के मरीज, शारारिक रूप से कमजोर व्यक्ति और ऐसे व्यक्ति जो गंभीर बिमारी की दवाई ले रहे हों. ऐसे लोगों को लू लगने का खतरा बहुत अधिक होता है. इनको अलावा स्वस्थ और युवा व्यक्ति अगर बिना पानी और नमक लिए बहुत देर तक तेज गर्मी में रहता है तो उसे भी कम या अधिक लू लग सकती है. गर्म मौसम में देर तक घूमना, खेलना या दौड़ना भी लू का कारण बन सकता है. एक से चार बजे के बीच में लू लगने के संभावना अधिक होती है, इसलिए संभव हो सकते तो लोगों को इस समय में घरों से बाहर निकलने से बचना चाहिए.

लू से बचने के उपाय

लू से बचने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं. जैसे तेज गर्मी में घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर घरों से बाहर निकलना भी पड़े तो अपने सिर को किसी कपड़े या तौलिए से ढंकना चाहिए. इसके अलावा गर्मी के दिनों में हल्का और जल्दी पचने वाला खाना खाना चाहिए. साथ ही ज्यादा देर तक खाली पेट भी नहीं रहना चाहिए. गर्मी के दिनों में बार बार पानी पीना जरूरी है. पानी में नीबू और नमक मिलाकर पीने से लू लगने की आशंका बहुत कम हो जाती है. गर्मी के दिनों में नरम मुलायम और सूती कपड़े पहन कर लू से बचा जा सकता है. मौसमी और ठंडे फलों का जूस या प्याज खाना लू के असर को कम करता है. 

लू लगने का क्या है उपचार?

लू लगने पर पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर को दिखाना जरूरी है. हालांकि उससे पहले कुछ प्राथमिक उपचार कर रोगी को राहत दिलाई जा सकती है. लू लगने पर रोगी के तापमान को कम करने की कोशिश करनी चाहिए. तेज बुखार होने पर रोगी को तुरंत छांव में आराम करवाना चाहिए. 104 फारेन्हाइट से ज्यादा बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखनी चाहिए. मरीज को लगातार तरल पदार्थ और नमक पानी का घोल पिलाना चाहिए. बर्फ का पानी लू में पीना काफी हानिकारक होता है, इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए. रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए. रोगी के शरीर को दिन में चार से पांच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए. 

Source : News Nation Bureau

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