पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारी और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) का दुबई (Dubai) में लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया. मुशर्रफ ने 1999 में नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) सरकार का तख्तापलट (Coup) कर सत्ता संभाली थी और 2001 से 2008 तक पाकिस्तान (Pakistan) के राष्ट्रपति के पद पर विराजमान रहे. परवेज मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मुशर्रफ मार्च 2016 से दुबई में रह रहे थे और यहीं पर एमिलॉयडोसिस थेरेपी ले रहे थे. चिकित्सा शास्त्र में यह एक असामान्य स्थिति है जो असामान्य प्रोटीन अमीलॉयड के शरीर के विभिन्न अंगों में जमा हो जाने पर सामने आती है. इससे ग्रस्त शख्स के अंग प्रोटीन के जमा होने से सामान्य ढंग से काम करना बंद कर देते हैं.
विभाजन के बाद नई दिल्ली से कराची आ गए थे परवेज मुशर्रफ
1947 में भारत के विभाजन और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद परवेज मुशर्रफ अपने परिवार के साथ नई दिल्ली से कराची आ गए. वह एक राजनयिक का बेटे थे, जो 1949 से 1956 तक तुर्की में रहे. वह 1964 में सेना में भर्ती हुए. क्वेटा में आर्मी कमांड और स्टाफ कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में भाग लिया. परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तानी सेना में तोपखाने, पैदल सेना और कमांडो समूहों से जुड़े कई पदों की जिम्मेदारियां संभाली. उन्होंने क्वेटा स्टाफ कॉलेज और नेशनल डिफेंस कॉलेज के वार विंग में प्रोफेसर के रूप में भी काम किया. उन्होंने 1965 और 1971 में भारत के साथ पाकिस्तान के युद्धों में भाग लिया. अक्टूबर 1998 में उन्हें प्रधान मंत्री नवाज शरीफ द्वारा सशस्त्र बलों का प्रमुख नामित किया गया था. 1999 की गर्मियों में मुशर्रफ को भारत द्वारा शासित कश्मीर पर आक्रमण करने का एक प्रमुख रणनीतिकार माना जाता है.
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नवाज शरीफ का तख्तापलट कर संभाली सत्ता
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में नवाज शरीफ को पाकिस्तानी सैनिकों को पाक नियंत्रित क्षेत्र में पीछे हटने का आदेश देना पड़ा था. नवाज शरीफ के इस कदम ने सेना को नाराज कर दिया था. जब मुशर्रफ 12 अक्टूबर 1999 को देश से बाहर थे, तो शरीफ ने उन्हें बर्खास्त कर दिया और उनके विमान को कराची के हवाई अड्डे पर उतरने से रोकने की असफल कोशिश की. हालांकि पाकिस्तानी सेना ने हवाई अड्डे समेत अन्य प्रमुख सरकारी संस्थाओं पर कब्जा कर नवाज शरीफ का ही तख्तालट कर दिया. पाकिस्तानी सेना ने तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ को सैन्य प्रशासन के नेता घोषित कर दिया. इसके बाद मुशर्रफ ने संसद को भंग कर संविधान को निलंबित कर दिया. परवेज मुशर्रफ को मोटे तौर पर उदारवादी विचार रखने वाला माना जाता था और उन्होंने भविष्य में नागरिक शासन की वापसी का वादा भी किया था. इस बीच पाकिस्तान पर शासन करने के लिए परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना की, जो नागरिक और सैन्य सदस्यों से बनी थी. उन्होंने 2001 की शुरुआत में पदभार संभाला और उसके बाद कश्मीर क्षेत्र के बारे में भारत के साथ एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश की. 2001 में 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिकी प्रशासन और मुशर्रफ के संबंधों में दाफी दरार आ गई थी. बाद में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में इस्लामी आतंकवादियों के सफाये के लिए भी आक्रमण हुआ किया.
कई आतंकी हमलों में बाल-बाल बचे थे परवेज मुशर्रफ
परवेज मुशर्रफ पर बाद के वर्षों में कई बार आतंकी हमले हुए, जिनमें वह बाल-बाल बचे रहे. परवेज मुशर्रफ ने कुछ संशोधनों के साथ 2002 में संविधान को बहाल कर दिया. इन संशोधनों को लीगल फ्रेमवर्क ऑर्डर नाम दिया गया था, जिसमें राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल को पांच साल और बढ़ा दिया गया था. अक्टूबर 2002 में संसदीय चुनाव होने के बाद विधायिका ने 2003 के अंत में लीगल फ्रेमवर्क ऑर्डर के अधिकांश प्रावधानों को अपनाए रखा. 2007 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ के फिर से राष्ट्रपति चुने जाने की प्रयासों का विरोध किया. मुख्य रूप से इस कारण से क्योंकि परवेज मुशर्रफ अभी भी राष्ट्रपति और सेना के सर्वोच्च अधिकारी के पद पर थे. अदालत ने मुख्य न्यायाधीश को निलंबित करने के उनके अनुरोध को भी खारिज कर दिया और अक्टूबर में मुशर्रफ के पुन: चुनाव परिणामों को स्थगित कर दिया. इसके बाद मुशर्रफ ने नवंबर में आपातकाल की घोषणा कर दी. उन्होंने फिर से संविधान को निलंबित कर दिया, मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों को हटा दिया, विपक्षी राजनीतिक नेताओं को हिरासत में ले लिया और प्रेस और मीडिया पर बंदिशें लागू कर दीं. यह सब परवेज मुशर्रफ ने आतंकी धमकियों से निपटने के नाम पर किया.
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दुबई जा गुमनामी में गुम हो गए परवेज मुशर्रफ
कुछ समय बाद जब नवगठित सुप्रीम कोर्ट ने उनके फिर से राष्ट्रपति पद पर बहाली से जुड़ी अंतिम कानूनी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया, तो उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जनरल के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. दिसंबर के मध्य में मुशर्रफ ने आपातकाल समाप्त करने की घोषणा की, लेकिन संवैधानिक संशोधनों के आधार पर यह सुनिश्चित करने के बाद कि आपातकाल के दौरान लागू की गई नीतियों से कोई खिलवाड़ नहीं किया जा सके. कई लोगों ने फरवरी 2008 में विधायी चुनावों में मुशर्रफ की पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को राष्ट्रपति और उनके शासन की अस्वीकृति करार दिया. चुनावों के बाद दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो के पति आसि अली जरदारी और नवाज शरीफ के नेतृत्व में एक विपक्षी गठबंधन उभरा. अगस्त 2008 की शुरुआत में महत्वपूर्ण संवैधानिक उल्लंघनों का हवाला देते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन ने मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू की. आसन्न आरोपों का सामना करते हुए मुशर्रफ ने अंततः 18 अगस्त को अपना इस्तीफा दे दिया. दुबई में रहते हुए मुशर्रफ पर 2007 में संविधान को निलंबित कर संवैधानिक आपातकाल लागू करने के लिए देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा था. यह एक दंडनीय अपराध था जिसके लिए उन्हें 2014 में दोषी भी पाया गया था. वह एमिलॉयडोसिस से पीड़ित थे और दुबई में उनका इलाज चल रहा था.
शिक्षाः उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़ाई की. बाद में उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से गणित और फिर यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में अध्ययन किया.
पाक सेना: उन्होंने 1961 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश लिया और 1964 में पाकिस्तानी सेना में नियुक्ति पा गए. उन्होंने अफगान गृहयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई. मुशर्रफ 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सेकेंड लेफ्टिनेंट थे. 1980 के दशक में वह एक तोपखाना ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे. 1990 के दशक में मुशर्रफ को प्रमुख जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया. बाद में उन्हें इंफेंट्री डिवीजन की कमान सौंपा गई और बाद में विशेष सेवा समूह की कमान संभाली. 1998 में मुशर्रफ को प्रधान मंत्री नवाज शरीफ द्वारा चार सितारा जनरल के रूप में पदोन्नति देकर सशस्त्र बलों का प्रमुख बनाया गया.
कारगिल युद्ध: पूर्व तानाशाह ने निर्वाचित नवाज शरीफ सरकार की मंजूरी के बिना भारत के साथ 1999 के कारगिल युद्ध की शुरुआत की. पूर्व पीएम नवाज शरीफ के सहयोगियों के मुताबिक कारगिल युद्ध के जरिये परवेज मुशर्रफ भारत के साथ बातचीत को पटरी से उतारने की कोशिश में थे. हालांकि भारत कारगिल युद्ध भी जीत गया.
तख्तापलटः उन्होंने 1999 के तख्तापलट में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर सत्ता हथिया ली थी. उन्होंने 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में भी काम किया. मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया और 2016 से स्व-निर्वासित निर्वासन में दुबई में रह रहे थे.
कश्मीर पर उलटबांसीः 2001 के आगरा शिखर सम्मेलन को भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिहाज से गंवाए गए सबसे बड़े अवसर के रूप में याद किया जाता है. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी किताब 'नाइदर ए हॉक नॉर ए डव' में लिखा है कि 'कश्मीर का समाधान दोनों सरकारों के हाथ में था. फिर नई दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों के हाथों से समाधान क्यों खिसक गया? अलग-अलग पक्षों के इस पर अलग-अलग विचार रहे. मुशर्रफ ने कश्मीर के लिए 'चार सूत्रीय समाधान' का प्रस्ताव रखा था. सुत्रों का कहना है कि समाधान तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सिद्धांतः स्वीकार्य भी था, लेकिन हस्ताक्षर समारोह से कुछ घंटे पहले ही मामला उलट गया. मुशर्रफ की समाधान योजना के चार बिंदु थे विसैन्यीकरण या सैनिकों की चरणबद्ध वापसी, कश्मीर की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं, स्वतंत्रता दिए बगैर स्वशासन समेत भारत, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों को शामिल कर बनाया गया जम्मू और कश्मीर में एक संयुक्त पर्यवेक्षण तंत्र.
20 बम: 2019 में मुशर्रफ ने कहा था कि अगर इस्लामाबाद पड़ोसी देश पर एक भी परमाणु हमला करने का फैसला करता है, तो भारत 20 बमों के साथ पाकिस्तान को खत्म कर सकता है.
भगोड़ा: 2018 में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जावेद इकबाल ने मुशर्रफ पर 4,000 पाकिस्तानी स्थानीय लोगों को विदेशों में बेचने का आरोप लगाया. साथ ही परवेज मुशर्रफ को बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और लाल मस्जिद मौलवी हत्याकांड में भगोड़ा घोषित कर दिया गया.
HIGHLIGHTS
- 2001 का आगरा शिखर सम्मेलन बदल सकता था इतिहास
- ऐन मौके मुशर्रफ ने पलटी मार समझौता अधर में छोड़ा
- दुबई में लगभग गुमनामी जीवन जीते हुए ली अंतिम सांस