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PM मोदी और राष्ट्रपति सोलिह ने 6 समझौतों पर किए हस्ताक्षर, मालदीव पर क्यों हैं चीन और अमेरिका की नजर

मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने कहा कि हम आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हैं. उन्होंने कहा कि मालदीव भारत का सच्चा मित्र रहेगा.

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Pradeep Singh
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मालदीव( Photo Credit : News Nation)

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चीन की नजर अपने हर पड़ोसी देश पर है. भारत, श्रीलंका, म्यांमार जैसे देशों  में चीन अपने जाल बिछाता रहता है. श्री लंका और पाकिस्तान की हस्र देखने के बाद अब अधिकांश देश चीन से सतर्क हो रहे हैं. चीन भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता लाकर भारत विरोधी शक्तिओं को उभारता है. पाकिस्तान, श्रीलंका में दुनिया यह देख रही है. अब चीन की नजर मालदीव पर लगी थी. पड़ोसी देश मालदीव में घरेलू स्तर पर बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और भारत विरोधी ताकतों के उभार की आशंकाओं के बीच वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह सोमवार को भारत पहुंचे.

यह यात्रा सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि बदलते वैश्विक माहौल में भारत के लिए मालदीव की अहमियत पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है, बल्कि चीन जिस तरह से मालदीव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति इब्राहिम  सोलिह के बीच मंगलवार को हुई शिखर वार्ता के बाद दोनों देशों ने छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों के बीच निर्माण क्षमता, साइबर सुरक्षा, आवास, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाने को लेकर समझौते हुए हैं. शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मालदीव को 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त ऋण सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों में नया जोश देखने को मिला है और नजदीकियां बढ़ीं हैं. उन्होंने कहा, ‘कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद हमारे बीच का सहयोग व्यापक साझेदारी का रूप ले रहा है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंद महासागर में अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा गंभीर है. उन्होंने कहा कि शांति के लिए भारत-मालदीव के बीच घनिष्ठ संबंध महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि भारत-मालदीव साझेदारी न केवल दोनों देशों के नागरिकों के हित में काम कर रही है, बल्कि यह स्थिरता का स्रोत भी बन रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मालदीव की किसी भी जरूरत या संकट पर भारत ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी है और आगे भी देता रहेगा.

वहीं, मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने कहा कि हम आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हैं. उन्होंने कहा कि मालदीव भारत का सच्चा मित्र रहेगा. सोलिह एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ चार दिवसीय भारत यात्रा के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे.

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और पिछले कुछ वर्षों में रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि हुई है. पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने आज ग्रेटर माले में 4000 सोशल हाउसिंग यूनिट्स के निर्माण के प्रोजेक्ट्स का रिव्यू भी किया. मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता है कि हम इसके अतिरिक्त 2000 सोशल हाउसिंग यूनिट्स के लिए भी आर्थिक मदद देंगे.’

मालदीव में सियासी खींचतान बढ़ी

मालदीव आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. इसके पहले राष्ट्रपति अबदुल्लाह अमीन के कार्यकाल में मालदीव में चीन के साथ रिश्तों को ज्यादा अहमियत दी गई थी. उस वक्त भारत समर्थक माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें देश निकाला दे दिया गया था. अभी नाशीद वहां की संसद के अध्यक्ष हैं लेकिन उनके और राष्ट्रपति सोलिह के बीच रिश्ते तनावग्रस्त हो गए हैं.

भारत विरोधी भावनाओं को दी जा रही हवा

मालदीव में पूर्व राष्ट्रपति अमीन फिर से वहां की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. वहां भारत विरोधी भावनाओं को भी हवा दी जा रही है और इसमें अमीन की राजनीतिक भूमिका को ही वजह माना जा रहा है. वहां भारत के समर्थन से चलाए जाने वाले योग कार्यक्रम के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन भी एक कार्यक्रम में वहां कुछ शरारती तत्वों ने तोड़फोड़ की थी. भारत ने अभी तक मालदीव में ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए कुल 1.2 अरब डालर की मदद दी है. भारत की मदद से वहां की सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना का काम शुरू हो रहा है. इसमें छह द्वीपों को एक बड़े राजमार्ग से जोड़ा जाएगा. इसके अलावा वहां पुलिस व न्यायपालिका को मजबूत बनाने में भारत लगातार मदद कर रहा है. सामाजिक विकास से जुड़ी कई परियोजनाएं भारत की मदद से चलाई जा रही हैं.

मालदीव पर अमेरिका की भी नजर

मालदीव पर चीन ही नहीं, बल्कि अमेरिका की भी नजर है. हाल ही में अमेरिका ने इस छोटे से द्वीप में एक दूतावास खोलने का ऐलान किया है. हिंद प्रशांत क्षेत्र की बढ़ती अहमियत की वजह से मालदीव भी एक महत्वपूर्ण देश हो गया है.

दुनिया का सबसे छोटा देश मालदीव

मालदीव को मालदीव द्वीप समूह के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इसका आधिकारिक नाम मालदीव गणराज्य है. यह  हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो मिनिकॉय आईलेंड और चागोस अर्किपेलेगो के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन, जिसका फेलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है, से बना है. यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर  पर है.

मालदीव दुनिया के सबसे पृथक देशों में से एक माना जाता है. इसके 1,192 टापू में से 200 पर ही बस्ती है. मालदीव गणराज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है माले, 2006 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 103,693  है. पारम्परिक रूप से यह राजा का द्वीप था, जहां से प्राचीन मालदीव राजकीय राजवंश शासन करते थे और जहां उनका महल स्थित था.

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मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र, दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है. समुद्र तल से ऊपर, एक औसत 1.5 मीटर (4 फीट 11 इंच) जमीनी स्तर के साथ यह ग्रह का सबसे लघुतम देश है. यह दुनिया का सबसे लघुतम उच्चतम बिंदु वाला देश है.

HIGHLIGHTS

  • मालदीव दुनिया के सबसे पृथक देशों में से एक माना जाता है
  • मालदीव को मालदीव द्वीप समूह के नाम से भी जाना जाता है
  • राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है मालदीव

 

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