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कभी उग्र माओवादी गोरिल्ला रहते हुए विश्व के तत्कालीन एकमात्र हिंदू शासक के खिलाफ दशकों तक विद्रोह का नेतृत्व करने वाले पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) को रविवार को संसद के 169 सदस्यों के समर्थन के साथ तीसरी बार नेपाल का नया प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया. पुष्पा कमल दहल अभी भी अपने उपनाम प्रचंड से अधिक लोकप्रिय है, जिसका अर्थ होता है भयानक या भयंकर. नेपाल (Nepal) के पीएम पद पर पहली बार सुशोभित होने के कुछ सालों बाद ही नेपाली कांग्रेस पार्टी के शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर हो गए थे. देउबा ने पहले ढाई साल के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचंड का समर्थन करने से इंकार कर दिया था.
नेपाल के प्रधानमंत्री पद तक ऐसी रही प्रचंड की राह
- 20 नवंबर को नेपाल में 29 मिलियन लोगों के चुनाव में 76 वर्षीय प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपना बहुमत खो दिया. हालांकि उनकी नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी रही.
- देउबा और प्रचंड दोनों ने नवंबर के नेपाल चुनाव में कई वर्षों तक पुराने गठबंधन को बरकरार रखने का वादा करते हुए प्रचार किया था.
- प्रचंड ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को गठबंधन की ओर से सर्वसम्मति से पीएम चुने जाने का दावा किया. छह दलों के गठबंधन द्वारा अगली सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन देने के निर्णय के तुरंत बाद नेपाल के प्रधान मंत्री पद पर आसीन हुए.
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के नेता बर्शमन पुन ने कहा कि प्रचंड ढाई साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे और बाकी ढाई साल में सीपीएन-यूएमएल सत्ता में रहेगी.
- नए गठबंधन में सीपीएन-यूएमएल के पास 78, माओवादी सेंटर के पास 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के चार सांसद और तीन निर्दलीय विधायक हैं, जिन्होंने प्रचंड को समर्थन दिया है.
- 89 सीटों पर जीत कर आई नेपाली कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्ष पार्टी होगी.
- नेपाल ने 2008 के बाद से 10 सरकारें देखी हैं. यानी 239 साल पुरानी राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल लगातार राजनीतिक अस्थिरता के दौर से प्रभावित रहा है.
- नवनियुक्त प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को शाम चार बजे होगा.
HIGHLIGHTS
- पुष्प कमल दहल का जन्म 11 दिसंबर 1954 को पोखरा के पास हुआ
- शाही परिवार के खिलाफ दशकों तक हिंसक विद्रोह का किया नेतृत्व
- इस फेर में 13 साल तक भूमिगत भी रहना पड़ा था प्रचंड को
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