कसरत के दौरान आए हार्ट अटैक (Heart Attack) के बाद नई दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS New Delhi) में लगातार जिंदगी का संघर्ष कर रहे कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Comedian Raju Srivastava) के लिए पूरे देश में दुआएं की जा रही हैं. इलाज कर रहे डॉक्टर्स ने राजू श्रीवास्तव का हेल्थ अपडेट ( Raju Srivastava Health Update) देते हुए बताया कि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है. उनकी हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन गंभीर है. डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड (Brain Dead) भी घोषित किया हुआ है.
हेल्थ अपडेट के मुताबिक बीती रात राजू श्रीवास्तव का ब्लड प्रेशर दिन भर के फ्लक्चुएशन के बाद नार्मल हुआ था. वेंटिलेटर पर कई दिनों से बेहोशी की हालत में राजू श्रीवास्तव के दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है. उनके दिमाग के एक हिस्से में सूजन है और उसमें पानी भी मिला है. फिलहाल उन्हें नली के जरिए दूध पिलाया जा रहा है. डॉक्टर्स ने बताया है कि उनका हार्ट भी ठीक से फंक्शन नहीं कर पा रहा है. उनके परिवार वाले और नजदीकी लोग एम्स पहुंचे हुए हैं और सबको चमत्कार का इंतजार है.
कब होता है ब्रेन डेड
इंसान के मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाने पर दिमाग की मौत हो सकती है. दिमाग की कोशिकाएं दोबारा पैदा नहीं होती हैं. ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक या सिर पर लगी चोट के कारण जब मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो इस हालत में ब्रेन डेथ हो जाता है. बीते 10 अगस्त को राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा था. उनके हृदय के एक बड़े हिस्से में 100 फीसदी ब्लॉकेज था. अस्पताल में भर्ती कराने के बाद राजू श्रीवास्तव का MRI किया गया था. इसकी रिपोर्ट में उनके सिर की एक नस दबी होने की बात कही गई.
शरीर की हरकत बंद
मेडिकल साइंस के मुताबिक ब्रेन डेड वह स्थिति होती है जिसमें दिमाग प्रतिक्रिया देना और दैनिक प्रक्रिया ( Routine activity) करना बंद कर देता है. इसकी वजह से शरीर के बाकी अंगों को दिमाग से मिलने वाले संदेश नहीं मिल पाते हैं. ऐसे हालात में शरीर काम करना बंद कर देता है. जैसे सांस लेना, पलक झपकाना, आंखों की पुतली का रिस्पॉन्स नहीं करना, शारीरिक गतिविधियां वगैरह मुख्य रूप से शामिल हैं.
सक्रिय रहने वाले अंग
ब्रेन डेड की स्थिति में शरीर में सिर्फ दिमाग काम नहीं करता है. इसके अलावा बाकी अंग जैसे लीवर, हार्ट और किडनी काम करते रहते हैं. इससे इंसान का शरीर जिंदा रहता है, हालांकि उसे दर्द महसूस नहीं होता है. उसकी चेतना जीवित नहीं रहती है. शरीर को किसी भी तरह की तकलीफ देने पर वो प्रतिक्रिया नहीं देता है. ब्रेन डेड इंसान सांस नहीं ले पाता है. इसलिए मरीज को जीवन रक्षक (वेंटिलेटर) पर रखा जाता है. इसकी मदद से सांस चलती रहती है.
जीने की संभावना
न्यूरॉलजिस्ट्स के मुताबिक ब्रेन डेड घोषित मरीज कितने दिन या कितने घंटे जीता है वो ब्रेन डेड के कारणों पर निर्भर करता है. ब्रेन डेड में कुछ मरीज कुछ घंटे ही जी पाते हैं. वहीं कई मरीज कई दिनों तक सर्वाइव करते हैं. हालांकि इस हालत में किसी मरीज के महीनों तक जीने के चांस बहुत ही कम होते हैं. वैसे कुछ ऐसे केस भी सामने आए हैं जिसमें ब्रेन डेड का मरीज ठीक हो गया.
रिकवरी के चांस
न्यूरॉलजिस्ट्स का कहना है कि ब्रेन डेड केस में रिकवरी के चांस इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्थिति आई कैसे. कई बार पॉइजन, ज्यादा मेडिसिन के इस्तेमाल, सांप काटने या फिर घातक ब्रेन इंफेक्शन (मेनिनजाइटिस) की वजह से ब्रेन डेड हो सकते हैं. इस स्थिति से ब्रेन डेड के मरीज के ठीक होने के चांस अधिक होते हैं. क्योंकि इन सब कारणों का असर कम होते ही ब्रेन फिर से काम करना शुरू कर सकता है और मरीज फिर से ठीक हो सकता है.
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नहीं बचने की आशंका
हाल ही में हॉलीवुड के एक स्टार ऐनी हेचे की ब्रेन डेड से मौत हुई थी. उनका भयानक रोड एक्सीडेंट हो गया था. खतरनाक चोट से वे ब्रेन डेड हो चुकी थीं. मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर सिर में कोई गंभीर चोट लगी है, भयानक रोड एक्सिडेंट के कारण ब्रेन डैमेज हुआ हो, सीवियर ब्रेन हेमरेज हुआ है तो ऐसी स्थिति में ब्रेन डेड मरीज की रिकवरी के चांस ना के बराबर होते हैं.
HIGHLIGHTS
- डॉक्टर्स ने राजू श्रीवास्तव को ब्रेन डेड घोषित किया हुआ है
- ब्रेन डेड में रिकवरी के चांस इस स्थिति की वजह पर निर्भर है
- ब्रेन डेड की हालत में शरीर में सिर्फ दिमाग काम नहीं करता है