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Explainer: जाति पर राहुल गांधी Vs अनुराग ठाकुर, NDA-INDIA में से किसे फायदा, कांग्रेस के जाल में फंस रही BJP?

लोकसभा में जाति संबंधी टिप्पणी को लेकर अनुराग ठाकुर और राहुल गांधी के बीच जोरदार बहस हुई. सवाल उठता है कि इसका NDA और इंडिया ब्लॉक में से किसको फायदा होगा. क्या कांग्रेस के जाल में बीजेपी फंस रही है?

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Ajay Bhartia
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Anurag Thakur Vs Rahul Gandhi
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Rahul Gandhi vs Anurag Thakur Over Caste Remark: उत्तर प्रदेश के रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. उनके राजनीति में पहले से कहीं अधिक तेज धार दिख रही है. संसद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी के भाषण राजनीतिक पंडितों के बीच चर्चा का विषय बन गए. मंगलवार को राहुल गांधी ने लोकसभा में बजट पर हो रही चर्चा को जातीय जनगणना के मुद्दे पर मोड़ दिया. फिर क्या था हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने उनके इस बयान को लपक लिया. दोनों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई.  इसके बाद सवाल उठने लगे कि जाति संबंधी टिप्पणी का फायदा किसको मिलेगा. पहले के मुकाबले मजबूत विपक्ष बन कर उभरे इंडिया ब्लॉक को या फिर केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए को मिलेगा. क्या कांग्रेस के जाल में बीजेपी फंसती नजर आ रही है? क्या कांग्रेस ने जानबूझकर ऐसा पासा फेंका कि बीजेपी के बड़े नेताओं को अपना पक्ष रखने के लिए मजबूर कर दिया.

जाति संबंधी टिप्पणी पर राहुल Vs अनुराग

राहुल गांधी और अनुराग ठाकुर के बीच मंगलवार को जोरदार बहस हुई थी. बजट पर चर्चा हो रही थी, लेकिन बहस जातीय जनगणना के मुद्दे पर होने लगी. राहुल के जातीय जनगणना की मांग पर अनुराग ठाकुर ने तंज भरे अंदाज में कहा था कि 'जिसकी जाति का पता नहीं, वो गणना की बात करता है.' अनुराग ठाकुर के ऐसा कहते ही सदन में जोरदार हंगामा होने लगा.

इस बीच, राहुल गांधी ने अनुराग ठाकुर पर पलटवार किया. राहुल गांधी ने कहा, 'अनुराग ठाकुर ने मुझे गाली दी है, मेरी बेइज्जती की है, लेकिन मुझे इनसे माफी भी नहीं चाहिए.' हालांकि अनुराग ठाकुर ने बाद में कहा कि उन्होंने नाम किसी का नहीं लिया था. 

राहुल गांधी ने आगे कहा, 'जो भी इस देश में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की बात उठाता है. उसको गाली खानी ही पड़ती है. मैं ये गालियां खुशी से खाऊंगा. महाभारत में अर्जुन को मच्छी की आंख दिख रही थी. उसी प्रकार मुझे मच्छी की आंख दिख रही है और हम जातीय जनगणना कराकर दिखाएंगे.'

इस बहस और हंगामे के बीच सपा सांसद अखिलेश यादव सीट से खड़े होते हैं और वो राहुल गांधी के समर्थन में आवाज बुलंद करते हैं. अखिलेश यादव स्पीकर की कुर्सी पर बैठे जगदम्बिका पाल से पूछते हैं कि, 'स्पीकर सर, इनसे (अनुराग ठाकुर) ये पूछना चाहता हूं कि आपने जाति कैसे पूछ ली.'

इस पर जगदम्बिका पाल ने कहा कि सदन में कोई किसी की जाति नहीं पूछ सकता है. हालांकि उनके ऐसा कहने के बाद भी सदन में हंगामा शांत नहीं हुआ.

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बहस का NDA-INDIA में से किसे फायदा?

दरअसल, इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने थोड़ा पीछे चलना होगा. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नीत इंडिया ब्लॉक के नेता ये नैरेटिव सेट करने में कामयाब रहे थे कि बीजेपी सरकार में आई तो वो संविधान को खत्म कर देगी. दलितों और पिछड़ों के आरक्षण को खत्म कर देगी. चुनाव में इंडिया ब्लॉक को इसका जबरदस्त फायदा मिला और उसकी सीटों पर काफी इजाफा हुआ. अब राहुल गांधी ऐसी ही एक बार फिर करते हुए दिख रहे हैं. राहुल गांधी भारतीय राजनीति को धीरे-धीरे समझने लगे हैं. उन्हें यह मालूम है कि राजनीति का केंद्र बिंदु क्या है. 

जातीय जनगणना: विपक्षी दलों की क्या है मंशा?

1- विपक्ष लड़ रहा जातीय जनगणना की लड़ाई 

जाति संबंधी टिप्पणी पर राहुल गांधी के बयान को देखें तो उन्होंने कहा कि वो अनुराग ठाकुर की मांफी भी नहीं चाहते हैं, क्योंकि वो एक लड़ाई लड़ रहे हैं. राहुल ने कहा, 'स्पीकर सर, जो भी दलितों और पिछड़ों की बात उठाता, उसे गाली खानी ही पड़ती है. मैं ये सब गालियां खुशी से खाऊंगा. महाभारत की बात हुई तो अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख दिख रही थी, तो हमें जातीय जनगणना चाहिए वह हम करा के रहेंगे. इसके पीछे चाहे मुझे कितनी भी गाली दी जाए.' राहुल ने ऐसा कह कर यह दिखाने की कोशिश की कि वो दबे-कुचले और वंचित तबके की लड़ाई लड़ रहे हैं.

2- जातीय राजनीति को मुद्दा बना रहे राहुल गांधी

राहुल गांधी के संसद के भाषणों को देखें तो लगता है कि वो जातीय राजनीति को मुद्दा बना रहे हैं. इसमें अखिलेश यादव की ओर से उनको भरपूर साथ मिल रहा है. फिर चाहे हलवा सेरेमनी की तस्वीर पर राहुल की ओर दिया गया बयान, '20 अधिकारियों ने देश का बजट बनाया, लेकिन उनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक एवं एक ओबीसी है, और उनमें एक भी दलित और आदिवासी नहीं है.' ही क्यों न हो.

ऐसे में कहा यही जा रहा है कि राहुल अब बीजेपी के खिलाफ जातीय राजनीति का नैरेटिव सेट कर रहे हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने संविधान और आरक्षण का नैरेटिव सेट किया था. कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि इस बहस का फायदा इंडिया ब्लॉक को होते हुए दिख रहा है. 

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क्या कांग्रेस के जाल में फंस रही BJP?

ये सवाल इसलिए क्योंकि कांग्रेस एजेंडा सेट कर रही है, और बीजेपी को उस पर रिक्शन देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, इसलिए पार्टी जातीय राजनीति और जातीय जनगणना की बहस में उलझी हुई दिख रही है.

इसी साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. साथ ही यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी हैं, जिन्हें जीतना बीजेपी के लिए बेहद जरूरी है, ताकि वो लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन की भरपाई कर सके.

राहुल गांधी की तरफ से जिस तरह से जातीय राजनीति और जातीय जनगणना को मुद्दा बनाया जा रहा है. इसमें अखिलेश में उनका साथ दे रहे हैं. यह दर्शाता है कि यह सब उपचुनावों को ध्यान में रख कर किया जा रहा है. 

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