Ratan Tata five big decisions: भारत ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata News) के रूप में अपना अनमोल ‘रत्न’ खो दिया. टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 वर्ष की उम्र में निधन (Ratan Tata Death) हो गया. देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा ग्रुप (Tata Group) को उन्होंने बुलंदियों पर पहुंचाया था. बिजनेसमैन के रूप में उनके विजन को हर किसी ने सलाम किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि रतन टाटा के उन पांच बड़े फैसलों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया.
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रतन टाटा बिजनेसमैन स्किल्स के साथ ही अपनी नेकी और दरियादिली के लिए भी जाने गए. उन्होंने अपने विशाल व्यक्तित्व से लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी है, जिसे उनके निधन के बाद भर पाना नाममुकिन है. रतन टाटा की डिसीजन मेकिंग पावर बहुत स्ट्रॉन्ग थी, वो आज की परिस्थियों में भविष्य में सफल होने के अवसर को अच्छे से भांपना जानते थे.
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तभी तो रतन टाटा ने ऐसे सटिक फैसले लिए, जिन्होंने आगे चलकर टाटा ग्रुप को बुलंदियों पर पहुंचाया. उन्होंने वो कर दिखाया, जो कोई भी नहीं कर पाया. उन्होंने जिस भी बिजनेस को छुआ, उसे सोना बना दिया.
पहला फैसला - नैनो कार को किया लॉन्च
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रतन टाटा ने देश में नैनो कार लॉन्च करने का फैसला लिया. उनका सपना था कि हर भारतीय कार खरीद सके, इस सोच के साथ उन्होंने नैनो कार को लॉन्च किया.
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नैनो कार 1 लाख की कार या लखटकिया कार के नाम से जानी गई, जिसने भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति लाने की कोशिश की.
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23 मार्च 2009 को टाटा मोटर्स ने नैनो को लॉन्च किया था. शुरुआत में इस कार को लोगों ने हाथों हाथ लिया और बड़ी तादाद में बुकिंग हुई.
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हालांकि बाजार की चुनौतियों की वजह से नौनो को वो सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी लेकिन उनका विजन और प्रयास ही बड़ा फैसला था.
दूसरा फैसला- जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण
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रतन टाटा का जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण करना एक ऐतिहासिक कदम था. 2008 के इस अधिग्रहण से टाटा ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने में मदद मिली.
तीसरा फैसला- टेटली कंपनी को खरीदा
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रतन टाटा की अगुवाई में साल 2000 में ब्रिटेन की मशहूर चाय कंपनी टेटली को खरीदा था. उस वक्त ये डील 2400 करोड़ रुपये में हुई थी. आगे चलकर टाटा ग्रुप के लिए ये डील खरा सोना साबित हुई.
चौथा फैसला- कोरस कंपनी का अधिग्रहण
रतन टाटा ने 2006 में कोरस कंपनी के अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया था, जो नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम में स्थित एक प्रमुख कंपनी थी. कोरस का अधिग्रहण टाटा स्टील के लिए एक बड़ा कदम था. इस अधिग्रहण ने टाटा स्टील को ग्लोबल लेवल पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया था.
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पांचवा फैसला - समाज सेवा और शिक्षा में योगदान
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रतन टाटा ने आईआईटी बॉम्बे में टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन स्थापित करने के लिए ₹95 करोड़ दान दिए.
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टाटा ग्रुप ने भारत से ग्रेजुएशन करने कॉर्नेल गए छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए 2.8 करोड़ डॉलर का फंड स्थापित किया है.
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टाटा ने हावर्ड बिजनेस स्कूल में एग्जीक्यूटिव सेंटर स्थापित करने के लिए 5 करोड़ डॉलर दान दिया है.
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