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Explainer: ऋषि सुनक ने चला इंदिरा गांधी वाला दांव, UK में वक्त से पहले चुनाव का क्या दिखेगा असर? जानें

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत की पूर्व PM इंदिरा गांधी वाला दांव चला है. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम (यूके) में वक्त से पहले चुनाव करने का ऐलान किया है. उनके इस आश्चर्यजनक फैसला का क्या दिखेगा असर?

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Ajay Bhartia
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Indira Gandhi And Rishi Sunak

सुनक ने चला इंदिरा वाला दांव( Photo Credit : Social Media)

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Rishi Sunak called for early elections in UK: पॉपुलैरिटी यानी लोकप्रियता किसी भी नेता की सबसे बड़ी ताकत होती है. यह उनको जनमत को प्रभावित करने, अपने एजेंडे के लिए समर्थन जुटाने और चुनाव जीतने में सक्षम बनाती है. नेता अक्सर अपनी लोकप्रियता का लाभ उठाते हैं. जैसे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में जीत और बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के सफल संचालन के बाद बढ़ती लोकप्रियता के बीच किया था. उन्होंने तय तारीख से लगभग एक साल पहले ही चुनाव कराने की घोषणा की थी. अगर हम पॉपुलैरिटी के कारण पर नहीं जाएं तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इंदिरा गांधी वाला दांव चला है! उन्होंने यूनाइटेड किंगडम (यूके) में वक्त से पहले चुनाव करने का ऐलान किया है. उनके इस आश्चर्यजनक फैसला का क्या दिखेगा असर?

वक्त से पहले चुनाव का ऐलान क्यों?

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बुधवार (22 मई) को ब्रिटेन में आम चुनाव का ऐलान कर दिया. अब वहां 4 जुलाई को चुनाव होंगे, जबकि चुनाव कराने के लिए जनवरी 2025 तक का समय है. ऋषि सुनक ने चुनावों का ऐलान ऐसे वक्त में किया है, जब उनकी कंजर्वेटिव पार्टी की हालत बहुत खराब है, वो अधिकतर सर्वेक्षणों में विपक्षी लेबर पार्टी से लगातार पिछड़ रही है. ऐसे में सुनक की इस घोषणा ने सबको चौंका दिया है. 

पिछले कुछ महीनों में सुनक के प्रधानमंत्रित्व काल में यूके में कई विकास कार्य हुए हैं, जिनके बारे में सुनक कई मंचों पर बार करते हुए दिखते हैं. जब सुनक ने प्रधानमंत्री के रूप में पद संभाला तब यूके की इकोनॉमिक कंडीशन बुरे दौर से गुजर रही थी. ऐसे में सुनक ने आर्थिक मोर्च पर देश को उभारने के लिए कई जरूरी कदम उठाए थे. ये उनके प्रयासों का ही असर था कि देश में महंगाई घटी, अर्थव्यवस्था में तेजी (भले ही सीमित रही), लोवर नेट माइग्रेशन और रवांडा डिपॉर्टेशन को लेकर कानून बना.

सुनक को लगता है कि इन विकास कार्यों की बदौलत उनकी पॉपुलैरिटी में इजाफा हुआ है. उनका यह दांव बढ़ी हुई लोकप्रियता का लाभ उठाकर कंजर्वेटिव पार्टी की चुनावी में जीत की संभावनाओं को अधिकतम करना है. प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर संबोधित करते हुए ऋषि सुनक ने कहा, 'ब्रिटेन के लिए अपना भविष्य चुनने और ये तय करने का समय आ गया है कि क्या वो प्रोग्रेस को और आगे बढ़ाना चाहता है या फिर उसी स्तर पर वापस जाने का जोखिम उठाना चाहता है.' हालांकि, कुछ सर्वे अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं.

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statista.com के अनुसार, 4 जुलाई को होने वाले अगले यूके चुनाव से पहले ग्रेट ब्रिटेन में लगभग 18 फीसदी लोगों को लगता है कि यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री के लिए ऋषि सुनक सबसे अच्छा ऑप्शन हैं, जबकि 33 फीसदी लोगों ने लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर को बताया है. हालांकि, सुनक अपने कार्यकाल के शुरुआत में अधिक लोकप्रिय थे, लेकिन बीच के महीनों में उनकी लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती गई. अक्टूबर 2022 में, वह कीर स्टारमर से सिर्फ़ चार अंक पीछे थे, जो सबसे हालिया सर्वेक्षण में बढ़कर 16 अंक हो गया.

फैसले पर अलग-अलग है राय 

वक्त से पहले चुनाव कराने के सुनक के फैसले ने विपक्ष को हैरानी में डाल दिया. उनके इस फैसले पर मीडिया, राजनीतिक विश्लेषकों, अर्थशास्त्रियों और आम लोगों में अलग-अलग राय है. ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने लिखा, 'इसका मतलब है कि सुनक समझ गए हैं कि बुरा समय आना अभी बाकी है.' वहीं, द डेली टेलीग्राफ ने अपने विश्लेषण में चुनाव करने के लिए जुलाई सबसे कम बुरा विकल्प बताया है. ऐसे में आइए अपने मूल सवाल पर लौटते हैं कि समय ये पहले चुनाव का ऐलान क्यों? मोटे तौर पर इस सवाल का जवाब आर्थिक, राजनीतिक और आंतरिक कारण में दिखते हैं.

1- आर्थिक कारण

कई लोगों का तर्क है कि जल्द चुनाव कराने के निर्णय के पीछे वजह ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति है. जिस दिन सुनक ने चुनावों का ऐलान किया, उसी दिन बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बताया कि ब्रिटेन में महंगाई दर गिरकर 2.3 फीसदी पर आ गई है. जबकि, 2022 के आखिर में ये 11 फीसदी के पार चली गई थी. जीडीपी डेटा से पता चला है कि 2023 में मंदी के दौर में आने के बाद यूके पहली तिमाही में नाममात्र 0.6% की विकास दर पर लौट आया है. यह आर्थिक मोर्चे पर सुनक सरकार के लिए राहत भरी खबर है. पीएम सुनक इस उपलब्धि को चुनाव में भुनाना चाहते हैं.

2- राजनीतिक कारण

सुनक के जल्द चुनाव कराने के फैसले के पीछे विपक्षी नेता निगेल फरेज और उनकी रिफॉर्म पार्टी है. इससे कंजर्वेटिव पार्टी को कड़ी टक्कर मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. पार्टी ने हाल के सालों में कंजर्वेटिव पार्टी के वोटों में जबरदस्त तरीके से सेंधमारी की है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर बाद में चुनाव की तारीफ तय करने से निगेल फरेज को मदद मिलती. फिलहाल हालात ऐसे हैं कि फरेज ने आगामी यूके चुनावों में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है, जो कि सुनक के फैसले को सही साबित करता है.

हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि रिचर्ड टाइस के नेतृत्व में रिफॉर्म कंजर्वेटिव्स को खासतौर पर 30 सीटों पर चुनौती पेश करेगी. पार्टी को इंग्लैंड के उत्तरी और मिडलैंड्स में कई निर्वाचन क्षेत्रों में 20 फीसदी से अधिक वोट जीतने की उम्मीद है और इस तरह से ये सीटें कंजरवेटिव पार्टी को नहीं मिलेंगी. ऐसा YouGov के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है. साथ ही समय से पहले चुनाव कराए जाने से लेबर पार्टी को भी चुनाव की तैयारियों की समय नहीं मिल पाएगा. 

3- आतंरिक कारण

ऋषि सुनक का समय से पहले चुनाव की घोषणा पार्टी के अंदर आतंरिक कलह और हाल ही में देखे गए दलबदल को रोकने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. हालांकि उनकी ये रणनीति अबतक कारगर साबित नहीं हुई है, क्योंकि चुनाव की घोषणा के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के 78 और सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है. पार्टी के अंदर कई ऐसे नेता हैं जो यह नहीं चाहते हैं कि ऋषि सुनक फिर से प्रधानमंत्री बनें. ऐसे में वह इन विरोधी स्वरों को भी दबाना चाहते हैं. हालांकि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव हराने की संभावना अभी भी बनी हुई हैं. ऐसे में सुनक का हालिया दांव बस एक बुरी स्थिति का सबसे अच्छा उपयोग करने के बारे में हैं. 

Source : News Nation Bureau

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