Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को 365 दिन बीत चुके हैं. एक साल के लंबे समय में दोनों देशों के इस युद्ध ने लाखों की तादाद में लोगों को प्रभावित किया है. कई जानें गईं तो कई बेघर हो गए. घर, मौहल्ले, कस्बे, इलाके और यहां तक की शहर के शहर ही पूरी तरह तबाह हो गए. रूस और पुतिन की युद्ध नीति ने यूक्रेन से बड़ी संख्या में लोगों को पलायन के लिए मजबूर भी कर दिया. इतना ही नहीं इस युद्ध के बाद दुनिया के कई देशों पर भी सीधा असर पड़ा है. कई देश रूस के विरोध में सामने आ गए हैं तो कई देशों ने खुले तौर पर यूक्रेन को सैन्य से लेकर अन्य मदद कर अब तक इस जंग में जीवित रखा है. एक साल की इस जंग में रूस और यूक्रेन कहां खड़ें हैं. क्या कुछ खोया है और क्या कुछ दांव पर है. आइए दहशत और दर्द की इस दास्तां पर एक नजर डालते हैं.
क्या हुआ 24 फरवरी 2022 को...दोनों देशों के राष्ट्रपति क्या बोले?
24 फरवरी 2022 का वो काला दिन जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने विशेष सैन्य अभियान का ऐलान कर दिया. पुतिन ने तर्क दिया कि हमारा मकसद यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं बल्कि उसकी विसैन्यीकरण करना है. यानी वहां पर मिलिट्री राज को खत्म करना है. वहीं पुतिन के इस ऐलान के ठीक बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की का भी बयान सामने आया. उन्होंने कहा कि, अगर रूस हमला कर रहा है तो हम उनका सामना करेंगे. हम अपनी पीठ नहीं दिखाएंगे और ना ही रूस की तानाशाही को कबूल करेंगे.
युद्ध में अब तक क्या-क्या हुआ
- इस जंग में हजारों लोग मारे गए
- 1.86 करोड़ लोग विस्थापित हुए और पड़ोसी देशों में शरणार्थी बने
- दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगाई
- रूस ने यूक्रेन के प्रमुख शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया
- यूक्रेन की सेना ने जवाबी कार्रवाई में ज्यादातर इलाकों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया - पश्चिमी देशों का अनुमान है कि इस जंग में यूक्रेन के 1 लाख सैनिक या तो मारे गए या घायल हुए
- यूक्रेन ने 23 फरवरी, 2023 तक रूस के 1,45,850 सैनिकों के मारने का दावा किया
- यूक्रेन के 50 लाख से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई रुकी
- पलायन होने वालों में सबसे ज्यादा पोलैंड गए, यहां 96 लाख लोगों ने शरण ली, इसके अलावा रूस जाने वालों में 28 लाख से ज्यादा लोग, जबकि हंगरी में 22 लाख से ज्यादा लोग पलायन कर गए
- दिसंबर 2022 तक यूक्रेन के जहां 13000 सैनिक मारे गए तो वहीं रूस ने 14093 सैनिकों को खोया
- वहीं संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध में अब तक यूक्रेन के 7199 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 11756 लोग घायल हुए.
Ukraine war refugees Angelina Samko and Anastasiia Romanenko have relived how they escaped Putin and Russia's invasion to restart their lives in Sydney as the war reaches its first anniversary. pic.twitter.com/OSMZSD7CkP
— 10 News First (@10NewsFirst) February 24, 2023
यूक्रेन से इन 7 देशों में लोगों ने ली शरण
रूस-यूक्रेन वार के चलते यूक्रेन से लाखों की तादाद में लोगों ने पलायन किया है. जिन देशों में लोगों ने शहण ली है उनमें पोलैंड,रूस, स्लोवेकिया, बेलारूस, हंगरी, रोमानिया और मोल्दोवा प्रमुख रूप से शामिल है.
यूक्रेन ने क्या-क्या खोया
इस यूक्रेन काफी हद तक तबाह हो गया है. अनुमान के मुताबिक यूक्रेन ने एक साल की जंग में अबतक 11 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इसमें एक दर्जन एयरपोर्ट तबाह हुए हैं जबकि कारों की संख्या भी एक लाख से ज्यादा है. फार्मिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली 40 हजार से ज्यादा मशीनें युद्ध की भेंट चढ़ गई हैं. इतना ही नहीं स्कूलों को मिलाकर 2500 से ज्यादा एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी तबाह हो गए. वहीं घरों की बात करें तो ये आंकड़ा भी 1.25 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा अस्पताल और बड़े बंदरगाह भी जंग में स्वाहा हो गए.
दुनिया पर क्या पड़ा असर?
रूस-यूक्रेन युद्ध का पूरी दुनिया पर सीधा असर पड़ा है. दरअसल 365 दिन से चल रहे इस युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हुई है. IMF ने वित्तीय वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ 3.2 फीसदी होने का अनुमान लगाया था, जो अब 2.9 हो गया है. वहीं अगले वर्ष यानी 2024 के लिए ये महज 3.4 फीसदी का अनुमान है. इस युद्ध से तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है और इसके अलावा भी कई क्षेत्रों पर असर पड़ा है.
क्यों जंग जीत नहीं रहा रूस, क्या है पुतिन का गेम प्लान
365 दिन से लाखों लोगों को जंग की आग में झोककर बैठा रूस आखिर इस युद्ध को जीत क्यों नहीं पा रहा या जीतना ही नहीं चाहता. दरअसल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गेम प्लान कुछ और ही है. पुतिन जानबूझकर इस युद्ध को धीमी गति से आगे बढ़ा रहे हैं. इसके पीछे उनकी नीति नाटो को बर्बाद करने की है.
पुतिन चाहते हैं कि, पश्चिमी देश लंबे समय तक यूक्रेन वार में उलझे रहें. वे युद्ध के दौरान अपने संसाधनों का इस्तेमाल करते रहें. इससे इन देशों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा. बता दें कि इस युद्ध से तेल और गैस के दाम में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. पुतिन यही चाहते हैं कि आगे भी इसी तरह नाटो देशों की कमर तोड़ी जाए.
HIGHLIGHTS
- 365 दिन से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध
- एक साल में दोनों देशों ने तबाह किए लाखों करोड़ रुपए
- सिर्फ यूक्रेन से 1.8 करोड़ से ज्यादा लोगों ने किया पलायन