Russia-Ukraine War: जिस तरह से यूक्रेन तीन साल से रूस को चुनौती दे रहा है. उससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बेहद गुस्से में हैं. पुतिन ने अब जंग का दायरा बढ़ाने की तैयारी कर ली है. उनके निशाने पर 4 यूरोपीय देश हैं. खबर है कि रूसी सेना एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और मोल्दोवा पर हमला कर सकती है. ये दावा कुछ एक्सपर्ट्स कर रहे हैं, जिसके बाद इन चारों यूरोपियों देशों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.
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यूक्रेन के साथ लंबी खिंचती लड़ाई रूसी राष्ट्रपति के सब्र को तोड़ रही है. यूक्रेन जैसा छोटा सा मुल्क तीन साल से रूस जैसी महाशक्ति को कैसे टक्कर दे रहा है. ये सवाल पुतिन की साख पर बट्टा लगा रहा है. ऐसे में रूसी ताकत की धाक फिर से जमाने के लिए पुतिन चार यूरोपीय देशों पर हमला कर सकते हैं.
डेली एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और मोल्दोवा और यहां तक कि अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों को रूसी सेना की ओर से निशाना बनाया जा सकता है. इनमें से तीन देश बाल्टिक देश के नाम से जाने जाते हैं. इन तीनों देशों पर रूस की नजरें टेढ़ी हो चुकी हैं. उसकी सेना कई बार इन देशों की सीमाओं के पास सैन्य अभ्यास भी कर चुकी है.
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NATO है रूस के गुस्से की वजह
एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया पहले आजाद देश हुआ करते थे. 1939 में ये तीनों ही देश सोवियत संघ का हिस्सा बन गए. सोवियत संघ के पतन के बाद ये तीनों देश फिर से आजाद हुए. इसके बाद लातविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया नाटो में शामिल हो गए. यही रूस के गुस्से की सबसे बड़ी वजह है. इन तीनों देशों की सीमाएं रूस से लगती हैं और इन सभी सीमाओं पर नाटो सेना की तैनाती है, जिसे रूस अपने लिए खतरा मानता है. इसीलिए वो इन देशों पर हमला कर कब्जा करने की फिराक में है.
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क्या है रूस का प्लान?
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सबसे पहला कदम होगा नाटो रडार सिस्टम को डिएक्टिवेट करना, जिससे किसी को रूसी सैन्य तैनाती के बारे में भनक न लगे.
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इसके बाद स्वीडिश आइलैंड-गौटलैंड पर रूसी सैन्य विमान उतरेंगे, जो वहां एस-400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम और बैस्टियन कोस्टल एंटी-शिप सिस्टम पहुंचाएंगे.
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कैलिनिनग्राद शहर से आगे बढ़ते हुए रूसी सैनिक सुवाल्की कॉरिडोर को ब्लॉक करेंगे, जिससे पोलैंड किसी तरह की मदद न कर सके.
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इसके बाद रूसी सेना का टारगेट होगा 'बाल्टिक सी'. रूसी एयरफोर्स बाल्टिक में मौजूद कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका की सेना को घेर लेगी, इसके बाद उन्हें हथियार डालने ही होंगे.
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रूस की प्लानिंग से टेंशन में नाटो
रूसी सेना मोल्दोवा और यहां तक कि अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों को भी निशाना बना सकती है. नाटो रूस के प्लान को लेकर चिंतित है. नाटो के सेक्रेटरी जनरल मार्क रूट ने कहा कि रूस, उत्तर कोरिया, ईरान और चीन के साथ मिलकर काम करने से न केवल यूरोप को खतरा है, बल्कि इससे शांति और सुरक्षा को भी खतरा है. केवल यूरोप में ही नहीं लेकिन इंडो-पैसिफिक और उत्तरी अमेरिका में भी इसलिए हमें एक साथ खड़ा होना चाहिए.’
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