Russia-Ukraine War: क्या रूस और यूक्रेन की जंग का दायरा बढ़ने वाला है. ब्रिटेन ने जिस तरह से स्टॉर्म शैडो मिसाइल को लेकर यूक्रेन को छूट दी है. उसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी गुस्से में हैं. पुतिन ने ब्रिटेन को ही नहीं बल्कि पश्चिम के देशों के साथ-साथ नाटो और अमेरिका को भी खुली चेतावनी दी है. पुतिन ने क्लियर कर दिया है कि अगर यूक्रेन ने मिसाइलों का इस्तेमाल रूस के शहरों पर किया तो इसका परिणाम नाटो के देशों को भी भुगतना पड़ेगा. ऐसे में सवाल ये है कि शांति के लिए भारत की कोशिश कैसे रंग लाएगी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, नाटो के प्रमुख सदस्य यूनाइटेड किंगडम ने यूक्रेन को ऐसे समय शैडो मिसाइल के इस्तेमाल करने को अनुमित दी है. जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध काफी तेज हो गया. रूस अपनी मिसाइलों के जरिए आग बरसा रहा तो वहीं यूक्रेन ड्रोन हमलों से उसी तेजी के साथ मॉस्को को करारा जवाब दे रहा है. कथित तौर पर यूक्रेन को शैडो मिसाइल के लिए ग्रीन सिग्नल मिलना. कीव की युद्ध रणनीति में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. इसके बाद वो रूस में अंदर तक मिसाइल अटैक कर पाएगा.
कीव ने अब तक मिसाइलों का इस्तेमाल अपने ही क्षेत्र में किया है, जहां रूसी सेना ने आक्रमण किया है. ब्रिटेन की ये घातक मिसाइल यूक्रेन के जखीरे में जंग की शुरुआत से ही है, लेकिन इसकी रेंज पर ब्रिटेन ने पाबंदी लगा रखी थी. यूं तो ये मिसाइल 550 किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम है. लेकिन ब्रिटेन ने यूक्रेन के लिए इसकी सीमा को घटाकर 250 किलोमीटर कर दिया था.
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युद्ध में यूक्रेन का काफी नुकसान हो चुका है. लिहाजा ब्रिटेन ने स्टॉर्म शैडो मिसाइल पर रेंज वाला जो बैरियर लगा रखा था, उसको हटा दिया है, जिसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गुस्सा सातवें आसमान पर है. ब्रिटेन ने यूक्रेन को शैडो मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमित देने का जो फैसला लिया गया है, वो यूक्रेन को रूस पर हमला करने की इजाजत देने या न देने के बारे में नहीं हैं. मगर यूक्रेन रूस पर इस मिसाइल से अटैक करता है तो ये माना जाएगा कि नाटो, अमेरिका और यूरोपीय देश रूस से जंग लड़ रहे हैं. नतीजतन रूस अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार करेगा और फिर जंग का दायरा बढ़ सकता है.
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कितनी खतरनाक शैडो मिसाइल?
स्टॉर्म शैडो मिसाइल नाटो का प्रमुख हथियार है. इसका इस्तेमाल दुश्मन के अहम रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन अब तक यूक्रेन अपनी सीमा के अंदर रूसी ठिकानों और क्रीमिया तक ही इस मिसाइल से हमले कर पा रहा था. अब बैन हटने के बाद वो रूसी सीमा के अंदर लक्ष्यों पर हमले कर सकेगा.
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स्टॉर्म शैडो मिसाइल 1173 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अटैक करती है. इसका मतलब ये हुआ कि दुश्मन को संभलने तक का भी मौका नहीं मिलता है.
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इस मिसाइल ऑपरेशनल रेंज 550 किमी बताई जाती है. ऐसे में अगर यूक्रेन इसका इस्तेमाल करता है, रूस के कई इलाके इसी जद में होंगे.
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स्टॉर्म शैडो 450 किलोग्राम विस्फोटक लेकर उड़ सकती है. इसमें जीपीएस, इनर्शियल नेविगेशन, इंफ्रारेड गाइडेड सिस्टम लगा होता है.
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स्टॉर्म शैडो किसी भी तरह के मौसम में अपना मिशन अंजाम दे सकती है. दिन हो या फिर रात दोनों समय में ये हमला करने में सक्षम है.
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बहुत नीचे उड़ने की वजह से राडार इसे पकड़ नहीं पाते और ये आसानी से टारगेट तक पहुंच जाती है. इसलिए इसे सबसे घातक मिसाइल बताया जाता है.
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'स्टॉर्म शैडो' इस मिसाइल का ब्रिटिश नाम है, जबकि फ्रांस में इसे SCALP-EG कहा जाता है. यूक्रेन इन मिसाइलों के निर्यात की अनुमति कैसे दी गई, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है.
- शैडो मिसाइल की ये खूबियां उसे 'ब्रह्मास्त्र' जैसा पावरफुल बनाती हैं, जिसके हमले से दुश्मन पूरी तरह से तबाह हो जाता है.
एक्सपर्टस का कहना है कि स्टार्म शैडो मिसाइल से बैन हटने के बाद ये यूक्रेन के लिए बड़ी ताकत बन सकती है. इसकी मदद से यूक्रेन लम्बी दूरी से रूस की सेना को टारगेट कर सकेगा. यूक्रेन के जखीरे में ऐसे एक दो नहीं बल्कि कई हथियार हैं, जिनके इस्तेमाल की इजाजत यूक्रेन को केवल अपने इलाके यानी उन स्थानों पर करने की छूट है, जहां पर रूस का कब्जा है.
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शांति लाने की कोशिश में भारत
इस बीच, भारत रूसी और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश में जुटा हुआ है. नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोभाल इस समय एनएसए शिखर सम्मेलन के लिए मॉस्को में हैं.
❗️राष्ट्रपति पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के इतर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की#RussiaIndia pic.twitter.com/yymfAYA0em
— RT Hindi (@RT_hindi_) September 12, 2024
एनएसए डोभाल ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की और कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजी गई शांति योजना लेकर बात रखी. बता दें कि रूस और यूक्रेन दोनों ही देश कह चुके हैं कि शांति स्थापित करने के लिए भारत मीडिएटर बन सकता है.
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