Karnataka Elections:10 गांव चुनाव का करेंगे बहिष्कार या दबाएंगे नोटा का बटन, जानें वजह

झीलों को बचाने के अभियान से जुड़े एक कार्यकर्ता गिरीश एनके ने 2022 में राज्य सरकार, जिला प्रशासन और संबंधित स्थानीय शहरी निकायों के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष मामला दायर किया था.

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Nihar Saxena
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झीलों के प्रदूषण पर नहीं दे रहा है कोई भी अधिकारी-नेता कान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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पिछले 10 सालों से अर्कावती नदी घाटी की झीलों में प्रदूषण (Pollution) की गंभीर समस्या से जूझ रहे डोड्डाबल्लापुर विधानसभा (Assembly Elections 2023) क्षेत्र के 10 से अधिक गांवों के निवासियों ने अपनी मांग स्पष्ट कर उम्मीदवारों को दो टूक चेतावनी दे दी है. 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) में ये गांववासी इस बार या तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे या 'उपरोक्त में से कोई नहीं' (NOTA)का विकल्प चुनेंगे. डोड्डातुमकुरु और मजरा होसाहल्ली ग्राम पंचायत केरे होरता समिति ने इस संबंध में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया. ग्रामीणों (Villagers) का आरोप है कि बशेट्टीहल्ली औद्योगिक क्षेत्र से औद्योगिक अपशिष्ट जल के प्रवाह और डोड्डाबल्लापुर शहर नगरपालिका परिषद और बशेट्टीहल्ली नगर पंचायत से सीवेज के पानी से मजरा होसाहल्ली और डोड्डा तुमकुरु झील (Lakes) अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं. इनकी सफाई को लेकर किसी अधिकारी या क्षेत्रीय नेता के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है. 

एनजीटी से भी लगाई है गुहार
समिति के सदस्य वसंत कुमार टीके ने कहा, 'हमने 2022 से अपनी लड़ाई तेज कर दी है और अब अपना विरोध दर्ज कराने के लिए चुनाव को एक हथियार बनाने का फैसला किया है. डोड्डा तुमकुरु गांव में हमारे अभियान के पक्ष में पहले ही 700 से अधिक गांववासी हस्ताक्षर कर चुके हैं. यह अभियान अन्य गांवों में भी चलाया जा रहा है.' गौरतलब है कि झीलों को बचाने के अभियान से जुड़े एक कार्यकर्ता  गिरीश एनके ने 2022 में राज्य सरकार, जिला प्रशासन और संबंधित स्थानीय शहरी निकायों के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष मामला दायर किया था.

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भू-जल भी हुआ अत्यधिक प्रदूषित
वसंत कुमार ने आरोप लगाया, 'झील के पानी के बारे में भूल जाइए, यहां तक ​​कि इन गांवों में हमें जो भूजल मिलता है, वह पीने या खाना पकाने के लिए अच्छा नहीं है. प्रदूषित पानी के कारण इन गांवों में कम से कम चार से पांच लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं.' मजरा होसाहल्ली के निवासी सतीश ने बताया कि सरकार को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना चाहिए और प्राकृतिक नालों या राजकालुवे में सीवेज के प्रवाह की अनुमति नहीं देनी चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर अधिकारी चाहते हैं कि गांव वाले चुनाव में भाग लें, तो अधिकारियों को इन गांवों का दौरा करना चाहिए और समस्या का समाधान करना चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • गांववासी चला रहे हैं मांग के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान
  • झीलों के प्रदूषण की मांग पर नहीं दे रहा है कोई भी कान
  • एनजीटी से गुहार भी गई बेकार, कोई तवज्जो नहीं दी गई

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