पृथ्वी पर पांच महासागर हैं- अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक और दक्षिण महासागर. हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल को पृथ्वी के ऊपरी और निचले मेंटल के बीच प्रचुर मात्रा में पानी होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं. यह प्रमाण पृथ्वी (Earth) की सतह से 660 किलोमीटर नीचे पाए गए एक दुर्लभतम हीरे के विश्लेषण से मिले हैं. इस विश्लेषण से उस सिद्धांत की पुष्टि होती है कि महासागर (Ocean) का पानी सबडक्टिंग स्लैब के साथ जुड़ा रहता है और इसी कारण ट्रांजिशन जोन में प्रवेश कर जाता है. इन नए निष्कर्षों से पता चलता है कि पृथ्वी के पानी के चक्र में पृथ्वी का आंतरिक हिस्सा भी शामिल है. जर्मन-इतालवी-अमेरिकी शोध टीम का यह अध्ययन नेचर जॉर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसके मुताबिक पृथ्वी की आंतरिक संरचना और डायनेमिक्स को उस 660 किमी की सीमा ने आकार दिया है, जो मेंटल ट्रांजिशन जोन औऱ निचले मेंटल में स्थित है. यानी पृथ्वी के अंदर भी एक महासागर छिपा हुआ है.
कहां है यह छठा महासागर
प्रमाण पृथ्वी के ट्रांजिशन जोन की ओर संकेत करते हैं. ट्रांजिशन जोन ही पृथ्वी के ऊपरी मेंटल और निचले मेंटल को अलग करता है. यह सीमा पृथ्वी की सतह से 410 से 660 किमी नीचे स्थित है, जहां 23 हजार बार (पृथ्वी के भीतर प्रेशर मापने की इकाई) का भयंकर दबाव है. इसकी वजह से ऑलिवीन खनिज की क्रिस्टलीन संरचना में बदलाव होता है. पृथ्वी के ऊपरी मेंटल में 70 फीसदी ऑलिवीन पाया जाता है, जिसे पेरीडॉट भी कहते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक 410 किमी की गहराई पर ट्रांजिशन जोन की ऊपरी सीमा बेहद सघन वॉड्सिलाइट में तब्दील हो चुकी है. इसी तरह 520 किमी की गहराई पर इसकी कायापलट हो जाती है और यह बेहद सघन रिंगवूडाइट में बदल जाती है. खनिजों का यह कायाकल्प वास्तव में पृथ्वी के मेंटल में चट्टानों के मूवमेंट को रोकता है. अक्सर सबडक्टिंग प्लेट को इसी कारण ट्रांजिशन जोन को तोड़ने में दिक्कत आती है. इस लिहाज से देखें तो यूरोप के नीचे ऐसी प्लेटस प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं, जो पानी के प्रचुर मात्रा में होने की ओर संकेत करती हैं. यही नहीं रिंगवूडाइट का मतलब है कि पानी की प्रचुर मात्रा, जो संभवतः समग्र पृथ्वी के महासागरों से भी कहीं ज्यादा हो सकती है.
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क्या मिला है हमें
वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना में मिले एक हीरे का विश्लेषण किया, जो पृथ्वी की सतह से 660 किमी की गहराई के पानी से बना था. यानी ट्रांजिशन जोन और निचले मेंटल के बीच. रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और एफआईआईआर स्पेक्ट्रोमीटरी तकनीक की मदद से हीरे के किए गए विश्लेषण से हीरे में रिंगवूडाइट का समावेश सामने आया, जो प्रचुर मात्रा में पानी का पुख्ता प्रमाण कहा जा सकता है. 1.5 सेमी आकार के इस हीरे में तत्वों के विश्लेषण से रासायनिक संयोजन का अच्छे से पता लगाया जा सकता है. इसके बाद शोधकर्ताओं के समूह ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि अब तक शुष्क स्पंज सरीखा माना ट्रांजिशन जोन वास्तव में ऐसा नहीं है, बल्कि यहां प्रचुर मात्रा में पानी मौजूद है. इस निष्कर्ष से जूल्स वर्ने की पृथ्वी के भीतर एक और महासागर के विचार को बल मिलता है. शोधकर्ताओं के इस समूह ने यह भी कहा है कि ट्राजिशन जोन में मौजूद प्रचुर मात्रा में पानी से पृथ्वी की आंतरिक गतिशीलता के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. अगर यह बाधाएं तोड़ देता है तो पृथ्वी के क्रस्ट में जबर्दस्त उथल-पुथल मचेगी. इस उथल-पुथल का सीधा असर पृथ्वी की ऊपरी सतह यानी हम पर भी पड़ना तय है. हालांकि यह भी तय है कि इस खोज से पृथ्वी की आंतरिक संरचना को जानने में भी अब वैज्ञानिकों को और मदद मिलेगी.
HIGHLIGHTS
- पृथ्वी के अंदर ट्रांजिशन जोन के पास मौजूद है महासागरों जितना प्रचुर पानी
- इस खोज से जूल्स वर्ने के पृथ्वी के भीतर भी महासागर के विचार को मिला बल
- पृथ्वी के आंतरिक रहस्यों को इस खोज के साथ जानने को मिलेगा और मौका