Srilankan New Government: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में कम्युनिस्ट राज आ गया है. मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने हैं. उन्होंने आज यानी मंगलवार को हरिनी अमरसूर्या को 16वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. राष्ट्रपति अनुरा की तरह ही उनका झुकाव भी मार्क्सवाद की है, वैचारिक रूप से दोनों को चीन के करीबी माना जाता है. ऐसे में श्रीलंका में सत्ता के शीर्ष पर भारत विरोधी विचारधारा के लोग काबिज हुए हैं. ऐसे में भारत की चिंता बढ़ना वाजिब है. सवाल ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका में बदले राजनीतिक हालातों से कैसे निपटेंगे?
कौन हैं हरिनी अमरसूर्या?
हरिनी अमरसूर्या (Srilanka New Prime Minister) नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) पार्टी की नेता हैं. एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, वह सिरीमावो भंडारनायके (Sirimavo Bandaranaike) और चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा (Chandrika Bandaranaike Kumaratunga) के बाद श्रीलंका की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी हैं. नई श्रीलंकाई पीएम पद संभालने वाली पहली शिक्षाविद-राजनेता हैं. हरिनी अमरसूर्या ने 2020 में एनपीपी की नेशनल लिस्ट के जरिए से संसद में पहुंची थीं. उनकी आइडियोलॉजी सेंटर-लेफ्ट की है.
भारत विरोधी अभियान चलाया
वहीं, अनुरा (Srilanka New President) जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी से आते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में NPP और JVP ने अलायंस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की है. अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति बनने से हर कोई हैरान है क्योंकि 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी जेवीपी को महज तीन फीसदी वोट मिले थे, लेकिन 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की है. इसकी बड़ी वजह है कि उन्होंने चुनाव प्रचार में बड़े आक्रामक तरीके से भारत विरोधी अभियान चलाया. अनुरा कुमारा को चीन समर्थक नेता माना जाता है. प्रचार के दौरान उन्होंने जनता से वादा किया था कि वह भारत के साथ चल रहे कई प्रोजेक्ट्स को बंद कर देंगे.
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हालात पर है भारत की कड़ी नजर!
श्रीलंका आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जिस तरह से श्रीलंका में जेवीपी और एनपीपी का उदय हुआ है. उसकी वजह से श्रीलंका के राजनीतिक हालातों पर भारत की कड़ी नजर है, क्योंकि उसने कोलंबों को कर्ज के रूप में काफी पैसा दे रखा है. इतना ही नहीं भारत ने वहां काफी निवेश भी कर रखा है. वहीं चीन भी श्रीलंका पर प्रभाव बनाने की कोशिश में लगा हुआ है. ड्रैगन ने भी अरबों डॉलर का कर्ज श्रीलंका को दे रखा है. ऐसे में श्रीलंका में चीन समर्थक नेताओं का सत्ता में काबिज होना भारत के लिए चिंता का सबब जरूर बन सकता है.
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इसकी बड़ी वजह अनुरा के भारत विरोधी बयान भी हैं. उनकी पार्टी जेवीपी भी अतीत में श्रीलंका के प्रति भारत की नीतियों की आलोचना करती रही है. दिसानायके ने अपने चुनावी भाषण के दौरान श्रीलंका में भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी द्वारा वित्तपोषित पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करने का भी वादा किया था. दिसानायके ने कहा, ‘अडानी प्रोजेक्ट की लागत इसके बड़े पैमाने को देखते हुए कम होनी चाहिए, लेकिन इसका उल्टा हो रहा है. यह एक भ्रष्ट सौदा है और हम इसे रद्द करेंगे.’ दिसानायके का यही रूख भारत के लिए चिंता का कारण है.
कैसे निपटेंगे पीएम मोदी
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा का झुकाव भले ही चीन की ओर अधिक हो, लेकिन उनके लिए भारत को नजरअंदाज कर पाना उतना आसान नहीं होगा. उसका कारण है जब श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा था तब भारत ने उसे भारी-भरकम कर्ज दिया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2022 से अप्रैल 2022 के बीच भारत ने श्रीलंका को 37.69 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया था. अगर श्रीलंका भारत के विरोध में चलता है तो उस पर ये कर्ज लौटाने का दवाब बनेगा. वहीं अगर कुछ विपरित भी होता है, तो पीएम मोदी ऐसी परिस्थितियों से अच्छे से निपटना जानते हैं. श्रीलंका हमेशा से ही भारत का भरोसेमंद रहा है. हालांकि, उसकी आर्थिक हालत भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है.
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