Advertisment

Hate speech पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते अपराध पर अदालत ने क्या कहा?

याचिकाकर्ता ने  देश भर में घृणा अपराधों और घृणास्पद भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच शुरू करने के लिए केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.

author-image
Pradeep Singh
New Update
hate speech

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को धार्मिक टकराव से जुड़े अपराध और अत्याचारों की स्थिति पर नाराजगी जताई और नफरत फैलाने वाले भाषण (Hate speech row)और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बढ़ते घृणा अपराधों के बारे में कुछ सख्त टिप्पणी किया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं, हमने धर्म को भी संकुचित कर दिया है, यह दुखद है. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आयी जब शीर्ष अदालत धार्मिक संघर्षों से जुड़े मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराधों की बढ़ती संख्या की जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

अभद्र भाषा विवाद याचिका किस बारे में थी?

जस्टिस के एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को भी नोटिस जारी किया, जिसमें कुछ समुदायों के खिलाफ अभद्र भाषा और घृणा अपराधों में वृद्धि पर ध्यान दिया गया.

याचिकाकर्ता अब्दुल्ला ने  देश भर में घृणा अपराधों और घृणास्पद भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच शुरू करने के लिए केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.

अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाल ही में दिल्ली में अभद्र भाषा की एक घटना का हवाला दिया. सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कई शिकायतें की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि ये घटनाएं आए दिन हो रही हैं.

अभद्र भाषा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अभद्र भाषा और घृणा अपराध में वृद्धि "एक ऐसे देश के लिए चौंकाने वाली है जो धर्म-निरपेक्ष है" और आगे कहा कि इसका बढ़ना दुखद है. अदालत की पीठ ने आगे कई अधिकारियों से अभद्र भाषा के मामलों पर नकेल कसने और अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आग्रह किया.

व्यथित न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, "यह 21वीं सदी है! अनुच्छेद 51ए (मौलिक कर्तव्य) कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच विकसित करनी चाहिए. धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं, हमने धर्म को भी संकुचित कर दिया है."

"भाई-चारा तब तक नहीं हो सकता जब तक कि देश के विभिन्न धर्मों या जातियों के समुदाय के सदस्य सद्भाव में रहने में सक्षम न हों. याचिकाकर्ता बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए, 153 बी, 505 और 295 ए जैसे उपयुक्त प्रावधान हैं. पीठ ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, इस मामले में इस अदालत से संपर्क करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है और उल्लंघन केवल बढ़े हैं. "

इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने तीन राज्यों- दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा, जिसमें अधिकारियों द्वारा अभद्र भाषा की घटनाओं में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

शीर्ष अदालत की पीठ ने आगे कहा, "वे (राज्यों) यह सुनिश्चित करेंगे कि जब भी कोई (घृणास्पद) भाषण या कार्रवाई की घटना सामने आयेगी, बिना किसी शिकायत पत्र के मामला दर्ज किया जायेगा, तो भविष्य में ऐसे मामलों में शिकायतों की प्रतीक्षा किए बिना स्वत: संज्ञान लिया जाना चाहिए."

HIGHLIGHTS

  • सुप्रीम कोर्ट ने अभद्र भाषा और घृणा अपराध में वृद्धि को चौंकाने वाला कहा 
  • घृणा अपराधों और घृणास्पद भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की मांग
  • अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को भी नोटिस जारी किया

Source : Pradeep Singh

Supreme Court hate speech row rising crimes against Muslims religious conflicts Justice K M Joseph Justice Hrishikesh Roy Senior advocate Kapil Sibal journalist Shaheen Abdullah crime and atrocities
Advertisment
Advertisment