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...खून की नदियां, अरबों की संपत्ति का नाश और चहुंओर अव्यवस्था

पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से गेंहू, खाद, धातुएं, ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने में आई है. इससे वैश्विक खाद्य संकट तो पैदा हुआ ही है, साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को महंगाई की बड़ा झटका लगा है.

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Nihar Saxena
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युद्ध रूस-यूक्रेन में हो रहा संताप पूरी दुनिया झेल रही.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला (Russia Ukraine War) बोला था, जिसमें दोनों तरफ के दसियों हजार लोग मारे जा चुके हैं. लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. इस युद्ध ने दोनों देशों को छोड़िए वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी (Inflation) की ओर धकेल दिया है. अनाज, खाद और अन्य जरूरी वस्तुओं का निर्यात रुकने से वैश्विक खाद्य संकट बढ़ा है, तो रूस पर अमेरिका (America) समेत पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से कच्चे तेल की कीमतों का असर वैश्विक स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ा है. विकासशील देश छोड़िए विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी रूस-यूक्रेन युद्ध के गहरे प्रभाव से बच नहीं सकी है. आइए समझते हैं विगत 135 दिनों से जारी युद्ध में रूस-यूक्रेन ने क्या खोया और उसे वापस पाने के लिए क्या कीमत चुकानी होगी

दोनों पक्षों को झेलनी पड़ी मौतें
25 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में कहा गया 24 फरवरी से छिड़े युद्ध में 5,237 नागरिकों को जान से हाथ धोना पड़ा और 7,035 नागरिक घायल हुए. हालांकि जानकार मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा हताहतों की संख्या है. इस दौरान मारे गए या घायल हुए लोग विस्फोटकों का शिकार बने. इनमें गोला-बारूद, मिसाइल या हवाई हमले के दौरान इस्तेमाल किए गए बम शामिल हैं. रूस और यूक्रेन ने अब तक युद्ध में मारे गए सैनिकों का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया. हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक यूक्रेन में 15 हजार रूसी सैनिक मारे गए और घायलों की संख्या इसकी तीन गुनी है. मस्को को जान-माल का इतना नुकसान 1979-89 में अफगानिस्तान में हुआ था. यूक्रेन को भी अच्छा-खासा नुकसान हुआ है, लेकिन रूस की तुलना में उसका नुकसान कम है. वास्तव में पूर्वी यूक्रेन में सघर्ष की शुरुआत 2014 में हुई थी, जब यूक्रेन की एकमात्र क्रांति में रूसी समर्थक राष्ट्रपति का तख्तापलट किया गया था. इसके बदले में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और रूसी सेना ने क्रीमिया की सेना के साथ मिल यूक्रेन के सशस्त्र बलों का मुकाबला किया था. पूर्वी यूक्रेन में 2014 से 2022 के बीच 14 हजार लोग मारे गए हैं, जिनमें से 3,106 नागरिक हैं. 

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हालिया दौर का सबसे बड़ा विस्थापन
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक 24 फरवरी से एक-तिहाई यूक्रेनवासियों को अपने घर छोड़ना पड़ा है. यूक्रेन की कुल आबादी 4 करोड़ 10 लाख के आसपास है. इस लिहाज से वर्तमान इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन इस युद्ध के दौरान हुआ. आधिकारिक तौर पर 6.16 मिलियन यूक्रेनी शरणार्थी यूरोप के अलग-अलग देशों में हैं. इनमें से सबसे ज्यादा पोलैंड, रूस और जर्मनी में हैं. 

यूक्रेन का नुकसान
मानव जान के अलावा 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के साथ यूक्रेन को अपनी 22 फीसदी जमीन रूस के हाथों गंवानी पड़ी है.  इसके अलावा उसे अपनी लंबी तटीय रेखा से भी हाथ धोना पड़ा है. उसकी अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है. कुछ शहर तो रूसी गोलाबारी में पूरी तरह से बंजर हो गए हैं. विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक 2022 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था 45 फीसदी सिकुड़ जाएगी. यूक्रेन को वास्तव में युद्ध से कितना नुकसान हुआ है यह अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शेमिहाल ने इसी महीने कहा था कि युद्ध खत्म होने के बाद यूक्रेन को पुनर्निमाण पर 750 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा. यह रकम और भी ज्यादा हो  सकती है. अभी यह भी साफ नहीं है कि यूक्रेन ने रूस से युद्ध पर कितना खर्च किया है. 

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रूस को भी महंगा पड़ा है युद्ध
ऐसा नहीं आर्थिक तौर पर यूक्रेन को ही युद्ध भारी पड़ा है. रूस भी इसकी भारी कीमत चुका रहा है. रूस ने इस बाबत किसी भी तरह के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए है, जो किसी देश की गोपनीय सूचनाओं के अंतर्गत आता है. सैन्य खर्च के अलावा पश्चिमी देशों ने रूस पर कई कड़े प्रतिबंध थोपे हैं. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक किसी बड़े झटके से कम नहीं है. रूस के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि 2022 में रूस की 1.8 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था 4 से 6 फीसदी सिकुड़ जाएगी. हालांकि अप्रैल में इसके 8 से 10 फीसदी सिकुड़ने का अनुमान लगाया गया था. फिर भी रूस की अर्थव्यवस्था को वास्तव में कितना नुकसान पहुंचा यह अभी भी स्पष्ट नहीं है. रूसी समर्थक कुलीन वर्ग पर प्रतिबंध लगा पश्चिमी वित्तीय बाजार तक उसकी पहुंच रोकी गई है. माइक्रो चिप्स सरीखी वस्तुओं के आयात में उसे भारी दिक्कत आ रही है. 1917 की बोल्शिवक क्रांति के बाद पहली बार रूस को अपने फॉरेन बांड्स में कमी देखने को मिली है. 

कीमतों पर असर
पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से गेंहू, खाद, धातुएं, ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने में आई है. इससे वैश्विक खाद्य संकट तो पैदा हुआ ही है, साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को महंगाई की बड़ा झटका लगा है. रूस, सऊदी अरब के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा तेल निर्यातक देश है, तो प्राकृतिक गैस, गेंहू, नाइट्रोजन फर्टिलाइजर और पैलेडियम का भी एक बड़ा निर्यातक है. यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू होते ही 2008 के बाद कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जबर्दस्त उछाल देखने को मिला. रूसी तेल, गैस और तेल उत्पादों पर निर्भरता कम करने के फेर में तमाम अर्थव्यवस्थाओं के हाथ-पैर फूल गए. जर्मनी में नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैसपाइपलाइन को रूस ने आपूर्ति कम कर दी, जिससे पूरे यूरोप में गैस की कीमतों में तगड़ा उछाल देखने को मिला. अगर रूस पूरी तरह से गैस आपूर्ति रोक दे तो यूरो मुद्रा मंदी की शिकार हो जाएगी. 

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आर्थिक विकास पर असर 
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अब अनुमान जताया है कि चालू वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था महज 3.2 फीसदी ही बढ़ सकेगी. बीते वर्ष यह दर 6.1 फीसद रही थी आईएमएफ ने अप्रैल में 3.6 फीसद, जनवरी में 4.4 फीसदी तो बीते साल 4.9 फीसद का अनुमान व्यक्त किया था. यह नहीं, यूरोप को रूसी गैस आपूर्ति को पूरी तरह से रोक देने के परिदृश्य में  रूसी तेल उत्पादों में साल के अंत तक 30 फीसदी की गिरावट आएगी. ऐसा होने पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2022 में 2.6 फीसदी और अगले साल महज 2 फीसदी की विकास दर ही हासिल कर सकेगी. अभी तक 1973, 1981, 1982, 2009 और 2009 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में सिर्फ पांच बार वैश्विक अर्थव्यवस्था 2 फीसदी से कम रही है. 2020 में कोविड महामारी के दौर में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था का यही हाल रहा था. अमेरिका तो इस साल 2.3 फीसदी और 2023 में एक फीसदी की विकास दर का अनुमान जता रहा है. चीन पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा. अप्रैल में चीन की जीडीपी विकास दर 4.4 फीसदी बढ़ने का अनुमान था, जो अब 3.3 फीसदी की दर पर आ पहुंची है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय संघ ने संघ के 27 सदस्य देशों की जीडीपी विकास दर इस साल 2.7 फीसदी रहने और अगले साल 1.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. इसके पहले इस साल के लिए यही अनुमान 4.0 फीसद और अगले साल के लिए 2.8 फीसदी था. 

यूक्रेन को मिले पश्चिमी हथियार और उनकी कीमत
24 फरवरी को यूक्रन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका ने 7.6 बिलियन डॉलर की सुरक्षा मदद यूक्रेन को दी है. इसमें स्टिंगर एय़र क्राफ्ट मिसाइल, जेवलिन एंटी आर्मर सिस्टम, 155 मिमी की होवित्जर तोप के साथ रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु रोधी उपकरण शामिल हैं. अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने यूक्रेन को भारी सैन्य मदद दी है. इसके तहत ब्रिटेन ने 2.3 बिलियन पौंड के सैन्य साज-ओ-सामान यूक्रेन को दिए. यूरोपीय संघ ने भी 2.5 बिलियन यूरो की सैन्य मदद यूक्रेन को दी है. 

HIGHLIGHTS

  • यूक्रेन को रूसी हमले की विभीषिका से उबरने खर्च करने होंगे 750 बिलियन डॉलर
  • अब तक 5,237 नागरिक मारे गए, तो युद्ध की चपेट में 7,035 नागरिक हुए घायल
  • वैश्विक अर्थव्यस्था को भी पहुंचा है तगड़ा झटका, मंदी के दौर से कम विकास दर
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