Tripura Peace Deal: त्रिपुरा में शांति स्थापित करने की दिशा में आज का दिन बहुत बड़ा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बुधवार केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के बीच एक ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ है. इस दौरान त्रिपुरा के चीफ मिनिस्टरण माणिक साहा और गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. ऐसे में आइए जानते हैं कि एनएलएफटी और एटीटीएफ क्या हैं.
‘त्रिपुरा में शांति की दिशा में मील का पत्थर’
गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस समझौते को लेकर अहम जानकारी पोस्ट की है. अमित शाह ने बताया, ‘भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल-त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के साथ आज त्रिपुरा की शांति और प्रगति की दिशा में चल रही यात्रा में एक नया मील का पत्थर स्थापित हुआ.’
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A new milestone is set today in Tripura's ongoing journey towards peace and progress with the signing of an agreement between the Govt. of India, the Govt. of Tripura, the National Liberation Front of Tripura (NLFT), and the All-Tripura Tiger Force (ATTF).
— Amit Shah (@AmitShah) September 4, 2024
The NLFT and the ATTF… pic.twitter.com/rRxAjaQNYz
अमित शाह ने आगे बताया, ‘एनएलएफटी और एटीटीएफ ने 35 साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने और मुख्यधारा में लौटने, हिंसा का त्याग करने और एक समृद्ध और विकसित त्रिपुरा के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होने पर सहमति व्यक्त की है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में अपना विश्वास जताया है.’ त्रिपुरा में इस शांति समझौते का होना गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति की जीत बताया जा रहा है.
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अबतक सरेंडर कर चुके हैं 10 हजार उग्रवादी
मीडिया को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, ‘इस समझौते के तहत 328 सशस्त्र कैडर आत्मसमर्पण करेंगे और मुख्यधारा में शामिल होंगे. इन समझौतों को जमीनी स्तर पर लागू करके शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा रही है.’ साथ ही उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 10 हजार उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और अपने हथियार डाल दिए हैं. इसके साथ वह अब मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. अमित शाह ने पूर्वोत्तर के लिए 2500 करोड़ रुपये के विकास देने का भी ऐलान किया.
#WATCH | Centre and Govt of #Tripura sign a peace pact with Liberation Front of Tripura (NLFT) and All Tripura Tiger Force (ATTF) in the presence of Union Home Minister @AmitShah.
— PB-SHABD (@PBSHABD) September 4, 2024
Under this agreement, 328 armed cadres will surrender and join the mainstream. Union Home Minister… pic.twitter.com/TTRbQoNzNv
‘शांति समझौते के सूत्रधार अमित शाह’
वहीं त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने इस शांति समझौते के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया है. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को इस समझौते का सूत्रधार बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ये शांति समझौता होने से त्रिपुरा का भविष्य उज्ज्वल है. अब आइए जानते हैं कि नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) क्या हैं.
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क्या हैं NLFT और ATTF?
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NLFT और ATTF दोनों ही प्रतिबंधित त्रिपुरी नेशनलिस्ट टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन है. इनको उग्रवादी संगठन बताया जाता है.
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ATTF की स्थापना 11 जुलाई 1990 को रंजीत देबबर्मा के नेतृत्व में त्रिपुरा नेशनल वॉलंटियर के पूर्व सदस्यों के एक ग्रुप ने थी.
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केंद्र सरकार ने 1997 में एनएलएफटी और एटीटीएफ को गैरकानूनी घोषित करते हुए प्रतिबंध लगा दिया था.
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2019 में NLFT-ATTF पर लगे बैन को 5 साल के लिए बढ़ाया गया और फिर 2023 में भी इन दोनों संगठन पर बैन को बढ़ाया गया था.
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ये संठगन हथियार के दम त्रिपुरा को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का मंसूबा पाले हुए थे.
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मकसद को हासिल करने के लिए NLFT-ATTF त्रिपुरा में हिंसक घटनाओं में लिप्त थे, इसलिए इन पर बैन लगाया गया था.
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