जल्द यूएई में गूंजेगी भारत की आवाज... दरअसल पीएम मोदी बीते 28 नवंबर से आगामी 12 दिसंबर तक यूएई में चलने वाले कॉप-28 सम्मेलन में शरीक होने जा रहे हैं. इस वैश्विक बैठक में पीएम मोदी पर्यावरण बदलाव, भारत के आगामी रोडमैप, विकासशील देशों की समस्याओं का जिक्र समेत तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार पेश करेंगे. बता दें कि इस कॉप-28 के विभिन्न सत्रों में, दुनियाभर के करीब 167 देशों के सरकारों के प्रमुख या प्रतिनिधियों के शुमार होने की संभावना है, जिनके साथ खुद पीएम मोदी अलग से भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे...
गौरतलब है कि, कॉप-28 एक सालाना बैठक है, जो दुनिया में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान पर केंद्रीत हैं. इस बैठक के जरिए ग्लोबल वार्मिंग जैसी तमाम परेशानियों पर गहन चिंता और चर्चा ही इसका एकमात्र उद्देश्य है. इस बहुपक्षीय निर्णय लेने वाले मंच के माध्यम से इसबार इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे 'भू राजनीतिक' जोखिमों पर इसबार का सम्मेलन काफी ज्यादा महत्वपूर्ण रहेगा, जिसमें दुनिया के करीब-करीब सभी देश हिस्सा लेने वाले हैं.
पीएम मोदी करेंगे द्विपक्षीय बैठक
मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी की, इस साल यानि 2023 में यूएई की दूसरी बैठक है. जहां वो कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अलग से भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे. खासतौर पर पीएम मोदी की मुलाकात ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रइसी के साथ होने की खबरें हैं, जसिमें फ्रांस, जर्मनी, जापान, सऊदी अरब, ब्राजील के शीर्ष नेताओं भी शरीक हो सकते हैं. हालांकि कयास लगाया जा रहा था कि, इजराइल और हमास के बीच जारी विवाद का असर इस बैठक पर पड़ सकता है. मगर अब जब दोनों पक्षों के बीच विवाद थमता नजर आ रहा है तो, इसमें हिस्सा लेने वाले नेताओं की संख्या में इजाफा दर्ज किया जा सकता है.
भारत के खिलाफ मुस्लिम ध्रवीकरण की रणनीति
गौरतलब है कि, यूएई में होने जा रहे इस सम्मेलन ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू भी शामिल हो सकते हैं, जो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से मुलाकात के बाद मालदीव लौटेंगे. हालांकि भारत के प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव के राष्ट्रपति से मिलने का फिलहाल कोई प्लान नहीं है. यहां पता हो कि, तुर्की की मालदीव के राष्ट्रपति से मुलाकात, भारत के खिलाफ मुस्लिम ध्रवीकरण की एक रणनीति मानी जा रही है. खैर बता दें कि यूऐई में होने जा रही इस बैठके से पहले, ग्लासगो (ब्रिटेन) में पीएम मोदी ने भारत को आगामी साल 2070 तक कार्बन न्यूट्रल का रोडमैप पेश किया था.
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