अफगानिस्तान दोधारी तलवार पर चल रहा है. एक तरफ तो दो दशक बाद बीते साल अगस्त में तालिबान शासन की वापसी से अफगानिस्तान में हिंसा के मामलों में कमी आई है. यह दूसरी बात है कि तालिबान (Taliban) के प्रतिद्वंद्वी संगठनों के आतंकी हमलों के मामलों में तेजी आई है. खासकर ये आत्मघाती आतंकी हमले अल्पसंख्यक शिया-हाजरा जैसे समुदाय को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं. शुक्रवार सुबह ऐसा ही एक आत्मघाती आतंकी (Suicide Attack) हमला शिया-हाजरा बाहुल्य दश्त-ए-बारची के काज एजुकेशन सेंटर पर किया गया. इस आतंकी हमले (Terror Attack) में 24 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश छात्र हैं और 36 से अधिक घायल हुए हैं. अनाधिकृत आंकड़े मृतक संख्या 100 के पार बता रहे हैं. इस हमले की फिलहाल अभी तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन माना जा रहा है कि इसके पीछे तालिबान के प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (ISKP) का हाथ है. यह हमला महज एक कड़ी है जो तालिबान शासन के बाद मासूम लोगों को अपना निशाना बना रहा है.
2022 में ही आतंकी हमलों में 150 से अधिक लोग मारे गए
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी और तालिबान शासन के बाद कबिलाई हिंसक संघर्ष से लेकर आतंकी हमलों के मामलों में एक साल में तेजी देखने में आई है. तालिबान इस तरह दोतरफा चुनौती का सामना कर रहा है. एक तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले ही मानवाधिकारों के उल्लंघन से लेकर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं देने का आरोप मढ़ रहा है. यही आरोप अल्पसंख्यक समुदाय के लोग लगा रहे हैं. शुक्रवार को शैक्षणिक संस्थान पर हमले के बाद भी शिया-हाजरा समुदाय के लोगों में इसी बात का गुस्सा था कि सुरक्षा तो दूर की बात है, लेकिन एंबुलेंस तक घटनास्थल पर काफी देर से पहुंची. साउथ एशियन टेरेरिज्म पोर्टल एसएटीपी के मुताबिक 2022 में ही 207 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 150 लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए. ये वह आतंकी हमले रहे, जो सामने आए अन्यथा छुटपुट हमलों का तो कोई नामलेवा ही नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक इन हमलों में 100 बड़े थे. 83 धमाके और लगभग आधा दर्जन आतंकी हमले इनमें शुमार हैं. ऐसे में एक नजर डालते हैं कुछ बड़े आतंकी हमलों पर...
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सितंबर 2022 काबुल की मस्जिद के पास कार बम धमाके में 7 मरे
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की वजीर अकबर खान मस्जिद के बाहर विस्फोटकों से भरी कार में धमाका हुआ. इस मस्जिद में तालिबान के लड़ाके नमाज अता करने आते थे. शुक्रवार को भी नमाज खत्म करने के बाद जैसे ही बाहर निकले कार बम धमाका हो गया. यह इलाका अगस्त में तालिबान के दोबारा कब्जे से पहले ग्रीन जोन इलाके के पास सुरक्षित इलाके में गिना जाता था, जहां कई देशों के दूतावास हुआ करते थे.
सितंबर 2022 काबुल में आत्मघाती हमले में रूस के दो राजनयिक समेत 6 मरे
रूसी दूतावास के पास हुए इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. इसमें रूसी राजनयिक मिशन के दो कर्मचारी औऱ चार अन्य लोग मारे गए. अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद किसी विदेशी राजनयिक को निशाना बनाकर किया गया यह पहला आतंकी हमला था. आत्मघाती हमलावर ने दूतावास के काउंसलर सेक्शन के बाहर आ खुद को उड़ाया था.
अगस्त 2022 काबुल की मस्जिद के बाहर धमाके में 21 मारे गए
तालिबान पुलिस के मुताबिक मस्जिद में नमाज पढ़ने आए लोगों की भारी भीड़ थी इसी दौरान धमाका हो गया. इस धमाके में 21 लोग मारे गए और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए. हालांकि इसकी जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली, लेकिन माना जाता है कि इसके पीछे भी तालिबान के प्रतिद्वंद्वी आतंकी संगठन उसमें भी आईएसकेपी का हाथ रहा.
अगस्त 2022 काबुल के शिया बाहुल्य इलाके में धमाके में दो मरे
काबुल के शिया बाहुल्य इलाके में हुए इस धमाके की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. इसके जरिए एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया था. शियाओं के मातम के दिन अशुरा के ठीक पहले किए गए इस हमले में 2 लोग मारे गए और 22 अन्य घायल हुए. अल्पसंख्यक समुदाय ने फिर एक बार तालिबान को सुरक्षा नहीं देने का आरोप लगाया था.
जुलाई 2022 क्रिकेट मैच के दौरान धमाके में 4 घायल
अफगानिस्तान के इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में मैच के दौरान हुए धमाके में चार दर्शक घायल हुए थे. धमाके की वजह से मैच भी कुछ देर के लिए रोकना पड़ा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस स्टेडियम में घरेलू टी20 लीग के दौरान पामीर जल्मी और बंद-ए-अमीर ड्रैगंस के बीच यह मैच खेला जा रहा था. इस मैच में अफगानिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कुछ खिलाड़ी भी खेल रहे थे.
अप्रैल 2022 काबुल के दो स्कूलों में बम धमाकों में 6 मारे गए
काबुल के दो अलग-अलग स्कूलों में हुए धमाकों में 6 लोग मारे गए तो 20 अन्य घायल हो गए थे. एक धमाका ऑल ब्वॉयज रहीम शहीद हाई स्कूल और दूसरा मुमताज एजुकेशन सेंटर के बाहर हुआ. गौर करने वाली बात यह है कि दोनों ही स्कूल दश्त-ए-बारची में स्थित हैं, जो अल्पसंख्यक शिया बाहुल्य इलाका है. पहला धमाका रहीम शहीद स्कूल में हुआ था और दूसरा मुमताज एजुकेशन सेंटर में.
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आईएसकेपी की खूनी नफरत
दश्त-ए-बारची को खासकर निशाना बनाया जाता रहा है, जिसकी जद में महिलाएं, बच्चे और स्कूल आए. बीते साल भी तालिबान के सत्ता में वापस आने से पहले स्कूलों के पास तीन बम धमाकों में 85 लोग मारे गए, जिनमें अधिसंख्य छात्राएं थीं. इनके साथ ही 300 से ज्यादा लोग घायल हुए. इन हमलों की किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली. यह अलग बात है कि इसी इलाके में स्कूल को निशाना बना कर आईएस ने आत्मघाती हमला किया था, जिसमें अधिसंख्य छात्रों के साथ 24 लोग मारे गए थे. इस्लामिक स्टेट ने ही मई 2020 में दश्त-ए-बारची के एक अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में बंदूकों से हमला कर दिया था. इसमें भी 25 लोग मारे गए थे, जिनमें कुछ प्रसूताएं भी शामिल थी.
HIGHLIGHTS
- तालिबान शासन के बाद प्रतिद्वंद्वी संगठनों के निशाने पर अल्पसंख्यक समुदाय
- तालिबान पर अल्पसंख्यक शिया-हाजरा समुदाय को सुरक्षा नहीं देने का आरोप
- शुक्रवार को भी शिया बाहुल्य इलाके में स्कूल पर हमले में 100 से अधिक मारे गए