Explainer: ओवरकॉन्फिडेंस... ओवरकॉन्फिडेंस... सिर्फ ओवरकॉन्फिडेंस, UP में BJP की हार के चौंकाने वाले कारण!

उत्तर प्रदेश में BJP की करारी हार के बाद मंथन का दौर जारी है. BJP हार की समीक्षा में लगातार जुटी हुई है. इसी कड़ी में बीजेपी ने अपनी प्रारंभिक यानी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है. आइए जानते हैं कि यूपी में बीजेपी की हार के क्या कारण हैं.

author-image
Ajay Bhartia
New Update
modi yogi

नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की करारी हार के बाद मंथन का दौर जारी है. बीजेपी हार की समीक्षा में लगातार जुटी हुई है. इसी कड़ी में बीजेपी ने अपनी प्रारंभिक यानी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है. ये रिपोर्ट मंडल स्तर पर तैयार की गई है, जिसमें बीजेपी की यूपी में हार की वजह को लेकर जिस बात पर सबसे अधिक जोर दिया गया है, वह ओवरकॉन्फिडेंस है. इस रिपोर्ट में बीजेपी के हार के चौंकाने वाले कारण बताए हैं. 

हालांकि इसके अलावा अभी दो और रिपोर्ट तैयार होनी हैं. इन रिपोर्ट्स को तैयार करने के लिए 80 लोगों की टीम तैयार की गई है, जो यूपी की 80 लोकसभा सीटों का सर्वे करेंगी और हार की वजह पता लगाएंगे. बाद में जब तीनों रिपोर्ट आएंगी तो उन तीनों का मिलान किया जाएगा.

प्रत्याशियों से लोगों की नाराजगी

यूपी में बीजेपी की हार पर जो रिपोर्ट आई है, उसमें कई बातें हैं. सूत्रों के मुताबिक कहीं न कहीं प्रत्याशियों के प्रति लोगों की नाराजगी बीजेपी की हार की प्रमुख वजह बनी. वहीं सीटिंग सांसद भी जनता की नाराजगी समझ नहीं पाए. कुछ सांसदों का व्यवहार भी जनता के लिए ठीक नहीं था. उन्होंने बीजेपी सरकार के लाभार्थियों से सीधा संवाद नहीं किया. ऐसे में सीटिंग सांसदों और लोगों के बीट एक कम्युनिकेशन गैप क्रिएट हो गया.

टिकट चयन में ओवरकॉन्फिडेंस 

बीजेपी ने प्रदेश में टिकटों के चयन को लेकर ओवरकॉन्फिडेंस दिखाया. बीजेपी की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 से 38 ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जिसके बारे में राज्य के द्वारा बीजेपी हाईकमान को दी गई थी कि वहां प्रत्याशियों का चयन गलत हो गया. उन्हें टिकट न दिया जाए नहीं तो पार्टी वहां हार जाएगी. राज्य की इस बात को केंद्रीय चुनाव समिति ने नहीं माना और चुनाव में पार्टी हार गई.

कार्यकर्ताओं के बीच उदासीनता

बीजेपी कार्यकर्ताओं की उदासीनता भी प्रदेश में पार्टी की हार की एक वजह है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों के बीच प्रचार नहीं किया. उन्होंने गली-गली घूम कर पार्टी के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश नहीं की. बूथ कार्यकर्ता, जिसकी बीजेपी को 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव जिताने में बड़ी भूमिका थी, वह कहीं न कहीं इस चुनाव में एक्टिव नहीं थी. 'मोदी है तो मुमकीन है' और 'चार सौ पार' के नारे ने कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं की एक्टिवनेस को प्रभावित किया. 

मोदी-योगी के नाम का ओवरकॉन्फिडेंस

कार्यकर्ताओं के घरों से नहीं निकलने की एक प्रमुख वजह उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम का ओवरकॉन्फिडेंस हो सकती है. वहीं दूसरी कारण उनको किसी बात को लेकर नाराजगी हो सकती है, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट हैं कि सांसदों की अलोकप्रियता की वजह से पार्टी कार्यकर्ता घर से नहीं निकले. कार्यकर्ताओं को ही नहीं सीटिंग सांसदों और प्रत्याशियों को भी मोदी और योगी के नाम का ओवरकॉन्फिडेंस था. सबको कहीं न कहीं लगा रहा था इस बार भी वो मोदी लहर में जीत जाएंगे. 

प्रत्याशियों-विधायकों के बीच तालमेल की कमी

एक लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभाएं तो प्रत्याशी की विधायकों के साथ नहीं बन रही है. उनके बीच तालमेल की कमी है. वे एकजुटता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. कई इलाकों में उम्मीदवार, सीटिंग सांसद, विधायक और कार्यकर्ता एक टीम की तरह काम नहीं कर रहे थे. कहीं न कहीं तालमेल की कमी का चुनावों पर असर पड़ा, जिसका फायदा विपक्ष ने उठाया.

सविंधान-आरक्षण मुद्दा हावी हो गया

संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने को लेकर विपक्ष ने जिस तरह का नैरेटिव चलाया, उसमें वो सफल रहा है. विपक्ष के इस दांव को बीजेपी काट नहीं पाई. विपक्ष जनता के बीच में ये नेरैटिव सेट करने में कामयाब हो गया कि बीजेपी अगर सत्ता में आई तो संविधान को बदल देगी और आरक्षण को खत्म कर देगी. इस बात से दलित और मुस्लिम वोट एकजुट हो गए. उनका अधिकांश वोट इंडिया गठबंधन को मिला. वहीं, पेपर लीक और अग्निवीर योजना पर भी विपक्ष भ्रम फैलाने में कामयाब रहा, जिसे बीजेपी ठीक ढंग से काउंटर नहीं कर सकी.

बीजेपी में एक पंरपरा है कि जीत हो या हार वह समीक्षा जरूर करती है. रिपोर्ट तैयार करती है और उसी के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करती  है. आगे उप चुनाव और विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने चिंता ये है कि लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह का परिणाम रहा है, अगर उसकी पुनरावृत्ति विधानसभा में हो जाए तो राज्य सरकार की भी विदाई यूपी से हो जाएगी. ऐसा बीजेपी के रणनीतिक मानते हैं इसलिए पार्टी में यूपी को लेकर बहुत ज्यादा बैचेनी दिखाई दे रही है. 

Source : News Nation Bureau

Narendra Modi Yogi Adityanath UP Lok sabha election BJP Defeat Reasons in UP
Advertisment
Advertisment
Advertisment