Ebrahim Raisi Death: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में मौत हो गई है. उनके आकस्मिक निधन की घटना ने दुनिया भर के नेताओं को सकते में डाल दिया है. वे राष्ट्रपति रईसी की मृत्यु पर शोक व्यक्त कर रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इब्राहिम रईसी के निधन से दुखी हैं. उन्होंने रईसी को 'रूस का सच्चा दोस्त' कहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध के बीच ईरान रूस का एक प्रमुख सहयोगी बनकर उभरा है. ऐसे में सवाल उठता है कि ईरानी राष्ट्रपति के निधन का यूक्रेन युद्ध पर क्या असर पड़ेगा. आइए जानते हैं.
पुतिन ने की मोखबर से बात
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने रईसी के निधन के बाद ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति बनें मोहम्मद मोखबर से फोन पर बात की. क्रेमिलन ने कहा कि उन्होंने (पुतिन) मोखबर से फोन पर बात की और दोनों ने 'रूसी-ईरानी संपर्क को और मजबूत करने के आपसी इरादे' पर जोर दिया.
दुश्मन का दुश्मन होता है दोस्त
एक पुरानी कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, जो ईरान-रूस संबंधों पर सटीक बैठती दिखती है. जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. अमेरिका लगातार यूक्रेन के साथ खड़ा हुआ है. वह यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता मुहैया करा रहा है, जिसमें हथियार और गोला बारूद भी शामिल हैं. इसी साल अप्रैल में अमेरिकी संसद यूक्रेन को 60 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देने के लिए एक बिल पारित कर चुकी है. यह एक बड़ा अमाउंट है. इस अमेरिकी सहायता से यूक्रेन युद्ध की तस्वीर बदल सकती है. अमेरिका ने यूक्रेन को सहायता पैकेज मंजूरी करने में छह महीने लगा दिए और इस देरी के कारण यूक्रेनी सेना कमजोर पड़ गई.
हालांकि, अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के खिलाफ रूस पर सैकड़ों प्रतिबंध लगा दिए. इनमें रूस की मुख्य कार्ड भुगतान प्रणाली, वित्तीय और सैन्य संस्थानों पर बैन शामिल था. इन प्रतिबंधों का असर ड्रोन पर ईरान के साथ रूस के सहयोग में शामिल कंपनियों पर भी पड़ा था. अमेरिका का ये कदम रूस को वैश्विक बाजार में अलग-थलग करने और आर्थिक रूप से कमजोर करने की दिशा में उठाया गया था.
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मॉस्को के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत के कुछ दिनों बाद खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगा दिए. पुतिन की संपत्ति जब्त कर ली गई थी और कंपनियों को उन्हें सामान उपलब्ध कराने पर बैन लगा दिया गया था. उनकी बेटियों समेत उनके करीबी लोग भी प्रतिबंधों के दायरे में हैं. इंटरनेशल क्रिमिनल कोर्ट ने 2022 में पुतिन को युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था. अमेरिका के इस रवैए के पीछे उसकी रूस के साथ पुरानी अदावत है.
वहीं, दूसरी ओर ईरान भी अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में बहुत तल्खी है. ईरान पिछले दिनों में ट्रिपल एच (हमास, हूती और हिजबुल्लाह) को लेकर सुर्खियों में था. इनको ईरान के सबसे प्रभावशाली चरमपंथी गुट बताए जाते हैं, जो दशकों से गाजा, लेबनान, यमन में सक्रिय हैं. इन तीनों चरमपंथी गुटों ने भी ईरानी राष्ट्रपति रईसी के निधन पर दुख जताया है.
ईरान अमेरिका और इजराइल के साथ-साथ दूसरे देशों के लिए चुनौती बनता जा रहा था. ईरान के इजरायल से तनाव और उसके विवादित परमाणु कार्यक्रम के चलते अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए. फिर भी ईरान अमेरिकी के दवाब के आगे नहीं झुका और वह अपने रूख पर जस का तस रहा.
रूस और ईरान दोनों ही अमेरिका के प्रतिबंधों की मार झेल रहे हैं. यही वजह रूस और ईरान के नजदीक आने की मालूम पड़ती है. ईरान पर यूक्रेन युद्ध पर रूस का समर्थन करने का आरोप लगता है. दावा है कि ईरान ने रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए ड्रोन सप्लाई किए. यहां तक कि नए शिपिंग और रेल मार्गों के निर्माण में उसका सहयोग किया. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का मानना है कि ईरान रूस से कुछ हथियार प्रणाली खरीदता है. बदले में ईरान ने यूक्रेन पर आक्रमण के दौरान रूस को अपनी ड्रोन टेक्नॉलोजी और अन्य सैन्य तकनीक से सहायता प्रदान की.
रईसी के मौत से यूक्रेन युद्ध पर असर
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ईरानी राष्ट्रपति को 'रूस का सच्चा दोस्त' बताते हुए उनके आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है. अगर बात करें तो रईसी की मौत का रूस के साथ ईरान के संबंधों और यूक्रेन युद्ध पर क्या असर पड़ेगा. निश्चत रूप से अगर किसी बड़े नेता की मृत्य होती है तो चीजें प्रभावित तो जरूरत होती हैं. हालांकि ऐसा रईसी के मामले में बहुत ज्यादा नहीं दिखता है, क्योंकि ईरान में राष्ट्रपति से ज्यादा वहां के सर्वोच्च नेता पावरफुल हैं.
अभी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई हैं. वही ईरान के सभी बड़े फैसले लेते हैं. इब्राहिम रईसी के निधन के बाद उन्होंने मोहम्मद मोखबर को देश के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी सौंपी है. मोखबर को भी खामेनेई का करीबी बताया जाता है. वह सालों से उनके लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में मोहम्मद मोखबर कोई भी फैसला खामेनेई के इच्छा के खिलाफ नहीं लेंगे. एक तरह से वह इब्राहिम रईसी की विरासत को ही आगे बढ़ाएंगे. कहा जा सकता है कि रईसी के निधन का ईरान-रूस संबंधों और युक्रेन युद्ध पर कुछ भी असर नहीं पड़ेगा.
Source : News Nation Bureau