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Explainer: ट्रंप-मस्क के इंटरव्यू पर साइबर हमला! हैकर्स ने किया DDoS Attack, जानिए- कितना खतरनाक?

एलन मस्क ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का लाइव ऑडियो इंटरव्यू लिया. इस दौरान DDoS अटैक होने की बात कही जा रही है, जिस कारण इंटरव्यू देरी से शुरू हो पाया.

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Ajay Bhartia
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Elon Musk Donald Trump News

ट्रंप के इंटरव्यू पर डीडॉस अटैक (Image: X/@elonmusk)

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What is DDoS Attack: अमेरिकी कंपनी टेस्ला और एक्स के मालिक एलन मस्क (Elon Musk News) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर सोमवार को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का लाइव ऑडियो इंटरव्यू (Donald Trump Interview) लिया. हालांकि, तकनीकि खामियों के चलते ये इंटरव्यू करीब 40 मिनट देरी से शुरू हो सका. ऐसा होते ही हड़कंप मच गया. मस्क ने एक पोस्ट में लिखा, ‘ऐसा लगता है कि ‘X पर बड़े पैमाने पर DDoS अटैक हुआ था.’ ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ये डीडॉस अटैक क्या है, इसमें क्या होता है, अटैकर्स को क्या फायदा होता है और ये साइबर अटैक कितना खतरनाक है? आइए जानते हैं.

DDoS हमला क्या है?

  • DDoS का मतलब ‘डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस’ से होता है. जब ये हमला किसी वेबसाइट या ऑनलाइन सर्विस पर होता है, तो वह बंद, जाम या फिर ठप पड़ जाती है. 

  • ऐसा होने पर उस वेबसाइट या ऑनलाइन सर्विस के विजिटर्स उस तक नहीं पहुंच पाएंगे. तकनीकि भाषा में कहें तो विजिटर्स उसकी सर्विस को एक्सेस नहीं कर पाएंगे.    

DDoS अटैक का क्या मकसद?

  • DDoS अटैक किसी वेबसाइट या ऑनलाइन सर्विस को डाउन करने या फिर उसे ठप करने के लिया किया जाता है. 

  • कोई शख्स इस हमले को दुर्भावनापूर्ण करवाता है, वो नहीं चाहता है कि वेबसाइट और ऑनलाइन सर्विस चले.     

DDoS अटैक के पीछे कौन?

  • DDoS अटैक किए के पीछे हैकर्स या फिर हैकर्स की एक पूरी टीम हो सकती है. ये लोग अकेले नहीं होते हैं. उनके पास एक पूरी ‘फौज’ होती है, जिसे बॉटनेट (BOTNET) कहते हैं.

  • आपको जानकर ये हैरानी होगी कि आप भी बॉटनेट का हिस्सा हो सकते हैं. वो ऐसे अगर आपका लैपटॉप, कंप्यूटर, राउटर, वेबकैम या अन्य कोई डिवाइस, जो इंटरनेट से कनेक्ट हो सकती है. उसमें मैलवेयर होने पर हैकर उस पर रिमोट कंट्रोल कर सकता है और फिर उसे डीडॉस अटैक करने में इस्तेमाल कर सकता है.

  • बॉटनेट को डार्क वेब पर बेचा और खरीदा जा सकता है और फिर इसे किसी वेबसाइट पर डीडॉस अटैक करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. 

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कैसे होता है डीडॉस अटैक? 

जैसा की आप सभी जानते हैं कि हर वेबसाइट या फिर सर्वर एक क्षमता में ही विजिटर्स को एक्सेस या रिक्वेस्ट प्रोवाइड कर सकती है. हर वेबसाइट एक निश्चित बैंडविड्थ तक ही प्रोसेस कर सकती है. अगर उससे अधिक विजिटर्स एक ही समय में पहुंच जाएं तो वो वेबसाइट डाउन या फिर ठप पड़ जाएगी या फिर पूरा सिस्टम भी कैश भी हो सकती है. इसी तरह के हमले को डीडॉस अटैक कहते हैं.

अटैकर्स को क्या फायदा?

डीडॉस अटैक को करवाए जाने के पीछे कई कारण हो सकता है, जिन्हें जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह साइबर अटैक कितना खतरनाक साबित हो सकता है. चलिए फिर जानते हैं–

  • किसी वेबसाइट/ऑनलाइन सर्विस पर डीडॉस अटैक को करने वाले के पीछे पैसा भी शामिल हो सकता है. हैकर्स किसी वेबसाइट पर अटैक कर उस साइट के मालिक से पैसे की डिमांड भी कर सकता है.

  • दो प्रतिद्वंदी वेबसाइट एक-दूसरे पर डीडॉस अटैक करवा सकती हैं. ऐसा होने पर एक वेबसाइट का ट्रैफिक दूसरी वेबसाइट पर जा सकता है. अगर वेबसाइट ई-कॉमर्स हो तो आप अंदाजा ही लगा सकते हैं कि डीडॉक्स अटैक होने पर कितना नुकसान हो सकता है.

  • बड़ी-बड़ी कंपनिया डीडॉस अटैक से बचने के लिए लाखों रुपये खर्च करती हैं. साथ ही इस तरह के अटैक से बचने के लिए उनके पास एक्सपर्ट की पूरी टीम होती है.

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