What is AGI?: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI) के बारे में आपने खूब सुना होगा. लेकिन, क्या आपको आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) के बारे में पता है. अभी AGI टर्म खूब सुर्खियों में है. तकनीकि एक्सपर्ट्स इसके फायदे भी खूब गिना रहे हैं. हालांकि, इसको लेकर लोगों की चिंताएं भी हैं. यहां तक कहा जा रहा है कि AGI हर फिल्ड में इंसानों को टक्कर देकर उनको पीछे छोड़ सकता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर ये AGI क्या बला है, यह कितना ताकतवर होगा और इसके नफा-नुकसान क्या होंगे.
एजीआई का मतलब एक मशीन या सॉफ्टवेयर से है, जिसे इंसानी दिमाग की तरह काम करने लायक बनाए जाने की कोशिश हो रही है. यह इंसानों की तरह कोई भी बौद्धिक काम (Intellectual Tast) कर सकेगा. इसमें उनकी तरह सोचने-समझने, सुझाव देने, निर्णय करने, अंतर करने की क्षमता, लगातार सीखने जैसी खूबियां होगीं. AGI उन कामों को भी करने में सक्षम होगा, जिनके लिए उसे ट्रेंड नहीं किया गया है, और यहां तक कि वो क्रिएटिव काम भी कर सकेगा, जो इंसान कर सकते हैं. कह सकते हैं कि ये मशीन और आदमी के दिमाग के बीच के अंतर को मिटा देने की कोशिश है. हालांकि, AGI अभी रिसर्च के लेवल पर ही है.
AGI के पीछे का मकसद?
इंसान अपने अनुभवों से सीखते हैं. वे लोगों से बात करके या चीजों को देखकर, किताबें पढ़कर, टेलीविजन देखकर सीखते हैं. जब इंसान किसी प्रोब्लम का सामना करते हैं, तब उनका दिमाग इकट्ठा की गईं जानकारी (अनुभवों) का उपयोग निर्णय लेने के लिए करता है और फिर उस समस्या को सॉल्व करता है, या एक नई प्रोब्लम के साथ आता है. असल में एक्सपर्ट्स एक ऐसा सॉफ्टवेयर या कंप्यूटर बनाना चाहते हैं, जो वो सब कर सके जो एक मानव दिमाग करता है. यही AGI के पीछे का मकसद है.
AI से कितना अलग AGI?
नवंबर 2022 में लॉन्च किए गए ChatGPT ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया. इसने AI को लेकर लोगों में दिलचस्पी को खूब बढ़ा दिया. इसकी वजह यह थी कि यह इंसानों जैसे टेक्स्ट रिएक्शन देने में सक्षम है. तब से लेकर अब तक AI मॉडल को लगातार बेहतर और ज्यादा बढ़िया बनाए जा चुके हैं. आज इस्तेमाल में जाए जाने वाले AI टूल्स में कस्टूमर सर्विस चैटबॉट, सिरी और एलेक्सा जैसे वॉयस असिस्टेंट, अनुशंसा इंजन (Recommendation Engines), बिजनेस एनालिटिक्स और बिजनेस इंटेलिजेंस टूल, और इमेज-चेहरे की पहचान एप्लिकेशन शामिल हैं.
अब AGI पर काम शुरू हुआ है, जो AI से काफी उन्नत होगा. AI को इमेज पहचान, ट्रांसलेशन, शतरंज जैसे खेल खेलने जैसे खास कामों को बखूबी कर सकता है, जिसमें यह इंसानों से बेहतर भी हो सकता है. लेकिन इसकी अपनी कुछ सीमाएं भी हैं. यह अपने तय मापदंड़ों तक ही सीमित है. दूसरी ओर AGI इंटेलिजेंस के क्षेत्र में क्रांति साबित होगा. यह AI से बहुत आगे की चीज है. इसे किसी खास नहीं बल्कि हरेक काम करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है.
क्या-क्या कर सकेगा AGI?
AGI इंसानों की तरह कल्पना कर पाएगा. इसमें उनकी तरह तर्क-वितर्क करने और फैसला लेने की क्षमता होगी. इसकी इंटेलिजेंस का लेवल बहुत हाई होगा. इंसानों की तरह अपने अनुभवों और चीजों से लगातार सीखता रहेगा. तो लोग आशंका जता रहे हैं कि कहीं ये इंसानों से भी आगे निकल गया, तो क्या होगा. हालांकि AGI का कॉन्सेप्ट नया नहीं है. सबसे पहले 20वीं सदी में एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) ने अपने लेख में इसके बारे में लिख था. उनको थ्योरोटिकल कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का जनक माना जाता है.
कैसे फायदेमंद हो सकेगा AGI?
AGI इंसानों के लिए कैसे फायदेमंद? यह एक बड़ा ही अहम सवाल है, जिसका जवाब हर कोई जानना चाहेगा. जिस तरह से AGI की खूबियों को गिनाया जा रहा है. उनसे तो ऐसा लग रहा है कि AGI हर फिल्ड में इंसानों के लिए हेल्पफुल साबित होगा. एजूकेशन, हेल्थ, फाइनेंस, बिजनेस, कानून, मीडिया, टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट, प्रशासन हर फिल्ड में इसका किया जा सकेगा. यह रिसर्च, कॉज एंड इफेक्ट, और निर्णय लेने में इंसानों की मदद कर पाएगा. यह उनकी कल्पना शक्ति को एक नए मुकाम पर ले जाएगा. AGI के जरिए डेटा के विशाल भंडार को खंगालना, उसे समझना और बेहतर नजीतों तक पहुंचना हो पाएगा. इसके द्वारा दिए गए नतीजे बिल्कुल किसी एक्सपर्ट की तरह होंगे.
AGI को लेकर क्या-क्या चिंताएं हैं?
AGI को लेकर लोगों की कई तरह की चिंताएं हैं. सबसे बड़ा डर तो यही है कि अगर इसकी क्षमताएं इंसानों से आगे निकल निकल गईं तो क्या होगा. अगर AGI सॉफ्टवेयर या मशीन इंसानों के कंट्रोल से बाहर निकल गई तो क्या होगा. इन सवालों के बीच कुछ यह डर भी है कि AGI के आ जाने से लोगों की नौकरियां छूट सकती हैं. साइबर अटैक के मामलों में इजाफा हो सकता है. बैंकिंग सिस्टम को नुकसान हो सकता है. जिस तरह से AGI को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं, उनसे तो अभी इसकी क्षमताओं और इसके नुकसानों का सटीकता से बता पाना बहुत ही मुश्किल है.
Source : News Nation Bureau