चीन में कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के नए मामले खतरनाक रंग-ढंग अख्तियार कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चीन में हालिया कोविड-19 (COVID-19) स्थिति पर चिंता जाहिर की है. डब्ल्यूएचओ चीन (China Corona) के सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों के टीकाकरण के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हरसंभव मदद भी कर रहा है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की जोरी कोविड पॉलिसी के खिलाफ आम लोगों के विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए कोविड प्रतिबंधों और लॉकडाउन में ढील देते हुए कोरोना संक्रमण के नए मामलों और कोरोना मौतों की गिनती की तरीका भी बदल दिया गया है. यही वजह है कि भले कोरोना के नए मामले फिलहाल 3030 की संख्या दिखा रहे हैं, लेकिन आने वाले साल में चीन में कोरोना के हर रोज संक्रमित मामले लाखों की संख्या में पहुंच सकते हैं. बद् से बद्तर स्थिति यह है कि दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में चीन के पास घरेलू स्तर पर विकसित की गई सबसे ज्यादा 9 कोरोना वैक्सीन हैं. यह अलग बात है कि इनमें से एक भी कोरोना वैक्सीन खतरनाक ओमीक्रॉन (Omicron) के नए सब-वैरिएंट का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है. माना जा रहा है कि चीन में कोविड-19 संक्रमण में मौजूदा उछाल ओमीक्रॉन के सब-वैरिएंट बीएफ.7 (BF.7) की देन हैं. हालांकि ओमीक्रॉन का यह सब-वैरिएंट बीएफ-7 पहली बार सामने नहीं आया है. अक्टूबर के महीने में भी अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में इसने वहां मौजूद वैरिएंट्स से म्यूटेट कर संक्रमण फैलाना शुरू कर दिया था.
कोविड संक्रमण में उछाल और कितना जानते हैं हम बीएफ.7 के बारे में
जब कोरोना संक्रमण फैलाने वाले वायरस में म्यूटेशन होता है, तो वह नई वंशावली और उप-वंश बनाता है. बीएफ.7 वास्तव में बीए.5.2.1.7 के समान है, जो ओमीक्रॉन के उप-वंश बीए.5 की उप-वंशावली है. इस महीने की शुरुआत में 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक बीएफ.7 सब-वैरिएंट में मूल डी614जी वैरिएंट की तुलना में 4.4 गुना अधिक न्यूट्रलाइजेशन प्रतिरोधक क्षमता है. इसका अर्थ यह हुआ कि लैब सेटिंग में टीकाकृत या संक्रमित की एंटीबॉडी में बीएफ.7 को नष्ट करने की संभावना कम है. 2020 में दुनिया भर को संक्रमित करने वाले वुहान वायरस को एंटीबॉडी खत्म करने में सक्षम थी. अध्ययन के मुताबिक बीएफ.7 सबसे लचीला सब-वैरिएंट भी नहीं है. ओमीक्रॉन के एक और सब-वैरिएंट बीक्यू.1 में 10 गुना से अधिक उच्च न्यूट्रलाइजेशन प्रतिरोधक क्षमता थी. एक उच्च न्यूट्रलाइजेशन प्रतिरोधक क्षमता वाले वायरस के म्यूटेंट में किसी आबादी में वैरिएंट के फैलाव और अन्य वैरिएंट का स्थान लेने की आशंका अधिक रहती है. अक्टूबर में अमेरिका के कुल संक्रमण के 5 फीसदी और ब्रिटेन के कुल संक्रमण के 7.26 मामलों के लिए बीएफ.7 सब-वैरिएंट ही जिम्मेदार था.
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क्या भारत में कोविड-19 का बीएफ.7 वैरिएंट फैल रहा है
भारत में जनवरी 2022 की कोरोना लहर के पीछे ओमीक्रॉन के बीए.1 और बीए.2 सब-वैरिएंट को जिम्मेदार माना गया था. इसके बाद सामने आए बीए.4 और बीए.5 सब वैरिएंट ने भारत में भारी मात्रा में कोरोना संक्रमित नहीं किए, क्योंकि इनका असर यूरोपीय देशों में ज्यादा देखने को मिल रहा था. ऐसे में भारत में बीए.5 के अगले संस्करण बीएफ.7 के बहुत कम मामले देखे गए हैं. देश के राष्ट्रीय सॉर्स-कोव-2 के जीनोम सीक्वेंस का आंकड़ा रखने वाले नेटवर्क के अनुसार बीए.5 से नवंबर में सिर्फ 2.5 फीसदी मामले आए. हालिया समय में भी एक रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट एक्सबीबी भारत में कोरोना संक्रमण फैलाने वाले सबसे आम वैरिएंट है. नवंबर के महीने में कोरोना के सभी मामलों में इसकी 65.6 फीसदी जिम्मेदारी थी.
चीन में कोरोना उछाल किस तरह से अलग है
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में कोरोना संक्रमण के नए मामलों की खतरनाक रफ्तार के पीछे बीएफ.7 वैरिएंट के अत्यधिक फैलाव या शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से उसके बच निकलने का गुण बहुत अधिक जिम्मेदार नहीं है. इसके बजाय प्रतिरोधक क्षमता से अनभिज्ञ आबादी की वजह से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
भारत के कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम इंसाकॉग के पूर्व प्रमुख डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, 'वास्तव में चीन अब विशिष्ट ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण का फैलाव तेजी से देख रहा है, जिसके साक्षी दुनिया के अन्य देश पहले बन चुके हैं. हांगकांग का ही उदाहरण ले लें, वहां भी प्रतिबंधों में ढील देने के बाद कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज उछाल देखा गया था. भारत के लिए ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण की लहर हल्की है. भारत की एक बड़ी आबादी पहले इसका संक्रमण झेल चुकी और उसका टीकाकरण भी बड़े पैमाने पर हो चुका है. दूसरे अप्रैल-मई 2021 में देश ने डेल्टा वैरिएंट संक्रमण की बड़ी कीमत चुकाई है. उस कोरोना लहर में मौतें अधिक हुई, लेकिन जो बच गए उनकी प्रतिरोधक क्षमता कहीं बेहतर हो चुकी थी. एक और बात यह भी है कि ओमीक्रॉन ने वृद्ध आबादी को अपना सबसे ज्यादा निशाना बनाया. भारत की अधिसंख्य आबादी य़ुवा है इसका फायदा भी हमें मिला.' जाहिर है कि बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के बल पर भारत तेजी से फैलने वाले वैरिएंट को कहीं आसानी से झेल ले गया. संक्रमित होने वाले लोग हल्का बुखार, खांसी-कफ और गले की खराश के बाद ही ठीक हो गए. इस वैरिएंट ने उन देशों में ज्यादा कहर बरपाया जहां सामाजिक गतिविधियां लगभग ठप कर दी गईं, जब तक कि एक बड़ी आबादी का टीकाकरण नहीं हो गया. मसलन ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर. ओमीक्रॉन वैरिएंट म्यूटेट कर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बार-बार धोखा देने में सफल हो रहा है. यही वजह है कि कई देशों में समय-समय पर कोरोना संक्रमण में उछाल देखने में आ रहा है.
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हालांकि चीन में तो बड़ी आबादी का टीकाकरण हो चुका है
चीन में कोरोना टीकाकरण की दर बहुत ज्य़ादा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक चीन की प्रति 100 की आबादी के लिए 235.5 कोरोना खुराक उपलब्ध हैं. चीन चंद देशों में शुमार है, जिसने जल्दी टीका तैयार कर अपनी आबादी को लगाना शुरू कर दिया था. यहां यह भी नहीं भूलना नहीं चाहिए कि चीन के टीके कोरोना वायरस के मूल वैरिएंट के खिलाफ तैयार किए गए थे. जाहिर है 2020 में पहली बार सामने आने और फिर दुनिया पर कहर बरपाने के बाद कोरोना वायरस कई बार म्यूटेट हो चुका है. दूसरे, ओमीक्रॉन वैरिएंट इस वक्त जो कोरोना टीके दिए जा रहे हैं उनकी प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में सफल हो रहा है. यह भी सही है कि भारत में ओमीक्रॉन लहर ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया, जो टीके दोनों खुराक भी ले चुके थे. इसके बाद कई कंपनियों ने ओमीक्रॉन की काट के लिए अपने-अपने टीकों में समय रहते संशोधन कर लिया. इसकी वजह से भी संक्रमण के मामले बढ़ने पर भी कोरोना मौतों की दर में उछाल नहीं आया. विशेषज्ञ एक और खास तथ्य का भी जिक्र करते हैं. फाइजर और मॉर्डना जैसी mRNA वैक्सीन कहीं अधिक कारगर रहीं. खासकर डैड वायरस वैक्सीन की तुलना में जिनका चीन में इस्तेमाल हो रहा है.
क्या कोरोना संक्रमण की एक और वैश्विक लहर का खतरा मंडरा रहा है
INSACOG से जुड़े लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान में वायरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. एकता गुप्ता का कहना है कि हालांकि चीन में तैजी से फैलाव ने एक और नए वैरिएंट के सामने आने की आशंका बढ़ा दी है. हालांकि एक और वैश्विक लहर की संभावना नहीं है. स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की गति धीमी हो गई है. बीते एक साल में इसमें कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है. यही कारण है कि हमने कोई नया वैरिएंट नहीं देखा है, केवल उप-वंश ही देख रहे हैं. यदि आप देखें तो मूल डी614जी वैरिएंट और डेल्टा में स्पाइक प्रोटीन के बीच खासा अंतर रहा या यहां तक कि डेल्टा और ओमीक्रोन के बीच भी यही अंतर देखने में आया. हालांकि डॉ गुप्ता ने आगाह किया है कि कोरोना संक्रमण के क्रम अभी भी सभी सावधानियां बरते जाने की जरूरत है. खासकर सर्दियों के मौसम में कोरोना संक्रमण की दर बढ़ सकती है, क्योंकि इस मौसम में सभी श्वसन संक्रमणों में वृद्धि देखने में आती है.
HIGHLIGHTS
- आशंका जताई गई है चीन में हर रोज कोरोना मामले लाखों में पहुंच सकते हैं
- चीन में डैड वायरस वैक्सीन नए सब-वैरिएंट्स को रोकने में ज्यादा सफल नहीं
- शी जिनपिंग सरकार ने कोरोना के नए मामलों की गणना का तरीका भी बदला