Explainer: आम आदमी पार्टी सरकार के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में विश्वासमत लाने की बात कही है. उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए यह बात कही. उन्होंने विश्वासमत लाने का कारण भी बताया. उन्होंने कहा कि बीते दिनों उनकी पार्टी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की गई, इसी के चलते पार्टी ने यह फैसला किया है हम दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 16 फरवरी को विश्वास मत रखेंगे. क्या आप जानते हैं कि विश्वासमत क्या होता है, कब कोई सरकार इसे रख सकती है और यह अविश्वासमत से किस तरह अलग होता है और इसमें हारने से क्या कुछ होता है. इन तमाम सवालों के जवाब अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे.
विश्वास मत क्या होता है?
विश्वास मत, जिसे अविश्वास मत के विपरीत भी जाना जाता है, एक संसदीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा सरकार यह पता लगाती है कि क्या उसे विधानमंडल का बहुमत समर्थन प्राप्त है। विश्वास मत एक महत्वपूर्ण संसदीय प्रक्रिया है जो लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करती है।
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कैसे लाया जाता है विश्वास मत?
- सरकार सदन में एक प्रस्ताव पेश करके विश्वास मत मांग सकती है।
- विपक्ष भी अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को विश्वास मत हारने के लिए मजबूर कर सकता है
विश्वास मत जीतने के लिए क्या आवश्यक है?
सरकार को सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत का समर्थन प्राप्त करना होगा। यदि सरकार विश्वास मत हार जाती है, तो उसे इस्तीफा देना होगा या फिर नए चुनाव कराने होंगे।
कब लाया जाता है विश्वास मत?
- सरकार की ओर से कोई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव लाने के बाद
- सरकार की लोकप्रियता में गिरावट के बाद
- किसी घोटाले या विवाद के बाद
- सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद।
विश्वास मत के फायदे:
- यह सरकार और विधानमंडल के बीच जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- यह सरकार को अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह सरकार को अस्थिरता से बचाता है।
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विश्वास मत के नुकसान:
- यह सरकार को विपक्ष के दबाव में आने के लिए मजबूर कर सकता है।
- यह राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
- यह सरकार को लोकप्रिय नीतियां लाने से रोक सकता है।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
किसी भी सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए कई बार विश्वासमत की जरूरत होती है. वहीं विरोधी दल अविश्वास मत यह बताने के लिए लाते हैं कि सत्ता पक्ष के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है. अविश्वास मत लाने वाले को इसकी कोई वजह नहीं बताना होती है, जब स्पीकर उनके प्रस्ताव को स्वीकार करता है तो सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है.
बता दें कि विश्वास मत हो या फिर अविश्वास दोनों ही परिस्थिति में सत्ता पक्ष को अपना बहुमत साबित करना ही होता है. अगर इस काम में सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो वह सरकार गिर जाती है और मुखिया को इस्तीफा देना पड़ता है. ऐसी स्थिति देश में कई बार राज्यों से लेकर लोकसभा में भी आई है. जब सरकारें बहुमत साबित करने के बाद बनी भी रही हैं तो कई बार सरकारें गिरी भी हैं.