Wayanad Landslide Reason: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड ने भयंकर तबाही मचाई है. जिले के चार गांव मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा पूरी तरह से साफ हो गए. 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. अभी कई लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं. इस प्राकृतिक आपदा से मचे त्राहिमाम के बीच कई सवाल उठ रहे हैं. लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर वायनाड में हुई इस भारी तबाही की वजह क्या है. इसका अरब सागर के गर्म होने से क्या कनेक्शन है. जैसा कि साइंटिस्ट ने दावा किया है. यह दावा हैरान करता है, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए.
क्या है साइंटिस्ट का दावा
वायनाड में हुए भयंकर लैंडस्लाइड से हर कोई हिल गया. चारों तबाही के निशान दिख रहे हैं, जिधर देखो उधर किचड़ और मलबा ही दिख रहा है. उसमें दबे लोगों को देखकर तो आपकी रूह ही कांप जाएगी. अब एक क्लाइमेट साइंटिस्ट ने इस तबाही के कारणों का खुलासा किया है. उसने वायनाड में हुए जानलेवा भूस्खलन के पीछे अरब सागर के गर्म होने को जिम्मेदार ठहराया है. यह जो स्थिति है वो क्लाइमेट चेंज के कारण और कहीं न कहीं मानवजनित क्रियाएं जिम्मेदार हैं.
ये भी पढ़ें: Wayanad Landslide: कुदरत के कहर से लोग कैसे बेहाल, चीख-चीख कर बता रहीं ये 15 तस्वीरें!
किसने किया है ये दावा
वायनाड लैंडस्लाइड को लेकर एडवांस्ड सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक राडार रिसर्च एट कोचिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी (सीयूएसएटी) की डायरेक्टर एस अभिलाष ने रिसर्च किया है. उन्होंने दावा किया है कि अरब सागर के जरूर से ज्यादा गर्म हो जाना घने बादलों का निर्माण कर रहा है, जिसके कारण पिछले दो सप्ताह से पूरे कोंकण क्षेत्र में भारी बारिश हो रही है, जिनमें कासरगोड, कन्नून, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिले प्रमुखता से शामिल हैं. यही वजह है कि इन इलाकों में भूस्खलन की संभावना बढ़ी रही है.
वायनाड में लैंडस्लाइड क्यों
सीयूएसएटी की डायरेक्टर और क्लाइमेंट साइंटिस्ट एस अभिलाष ने बताया कि वायनाड में भयंकर लैंडस्लाइड की वजहों के बारे में अपने रिसर्च में विस्तार से बताया है. उसके अनुसार–
- सोमवार को अरब सागर में तट से दूर आसमान में घने बादल बने और फिर वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में बहुत भारी बारिश हुई है.
- चूंकि बीते कई दिनों से यहां बारिश हो रही है, ऐसे में मिट्टी संतृप्त (यानी मिट्टी में पानी की मात्रा तेजी से बढ़ी) हो गई. परिणामस्वरूप ये भूस्खलन हुआ.
- साऊथ-ईस्ट अरब सागर गर्म हो रहा है, जिससे केरल सहित इस क्षेत्र के ऊपर का वातावरण थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर हो रहा है.
- यह वायमुंडलीय अस्थिरता क्लाइमेट चेंज से जुड़ी हुई है, जिसके कारण घने बादल बनते हैं. पहले इस तरह की बारिश मैंगलोर के नॉर्थ में उत्तरी कोंकण बेल्ट में अधिक आम थी.
जरूर पढ़ें: Explainer: वायनाड में क्यों बार-बार आती है ऐसी तबाही?
बीते दिनों में कितनी बारिश
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, त्रिशूर, पलक्कड़, कोझीकोड, वायनाड, कन्नूर, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में 19 सेमी से 35 सेमी के बीच वर्षा रिकॉर्ड की गई. आईएमडी ने कहा कि अगले दो दिनों में राज्य में भी कुछ स्थानों पर बहुत भारी बारिश हो सकती है. हालांकि, क्लाइमेंट साइंटिस्ट रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा कि केरल में भूस्खलन की बारीकियों को समझना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर, मानसून का पैटर्न अनिश्चित हो गया है और कम समय में अधिक बारिश हो रही है. जिसके कारण केरल से लेकर महाराष्ट्र तक पश्चिमी घाटों पर भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.
ये भी पढ़ें: Kerala Landslide: वायनाड दौरे पर राहुल-प्रियंका गांधी, भूस्खलन से तबाही का लिया जायजा, पीड़ितों से भी मिले