What is Domicile Policy: पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में बिहार के दो युवकों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा हो रहा है. वीडियो में दो लोग उन छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए दिख रहे हैं. बिहार के ये दोनों छात्र सिलिगुड़ी में एसएससी का एग्जाम देने गए थे. मामले में आरोपी लोगों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया गया है. हालांकि, इस घटना के बाद बिहार में डोमिसाइल पॉलिसी को लागू किए जाने की मांग जोरशोर से उठ रही है. आइए जानते हैं कि ये डॉमिसाइल पॉलिसी क्या है.
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वायरल वीडियो में आप भी देख सकते हैं कि कैसे उन छात्रों (Bihar Boys Beaten in West Bengal) के साथ दुर्व्यवहार किया गया. जब दोनों छात्र एक कमरे में सो रहे थे, तभी दो लोग कमरे में दाखिल होते हैं और उन पर सवालों की बौछार लगा देते हैं. वो उनसे पूछते हैं कि बांग्ला आती है, कहां से और यहां क्यों आए हो.
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‘जान दो, अब नहीं आएंगे बंगाल.’
छात्रों ने जैसे ही बताया कि उनको बांग्ला नहीं आती है. वो बिहार से सिलिगुड़ी एसएससी का एग्जाम देने के लिए आए हैं, वैसे वो लोग उन पर बुरी तरह से भड़क उठते हैं. उनके ऊपर पर डॉक्यूमेंट दिखाने का दबाव बनाने लगते हैं. दोनों छात्र उन लोगों पैरों गिरकर उनको जाने देने की गुहार लगाते हैं. छात्र उनसे कहते हैं कि ‘जान दो, अब नहीं आएंगे बंगाल.’
यहां देखें- बिहार के युवकों के साथ कैसे हुआ भेदभाव
यह वीडियो वायरल है। इसकी सत्यता का पता नही है। लेकिन अगर यह वीडियो सही है तो फिर बहुत ही दुःखद स्थिति है। बिहार से बंगाल परीक्षा देने गए युवकों को बाहरी बोल कर बर्बरता पूर्वक पिटाई की गई।
— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) September 26, 2024
इन बच्चों की क्या गलती है! उनको ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र और भाषाई… pic.twitter.com/7Z5YJYd5hr
कौन हैं आरोपी शख्स, ऐसा क्यों किया?
एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के छात्रों के साथ मारपीट करने वाले आरोपियों के नाम रजत भट्टाचार्य और गिरिधारी रॉय हैं. दोनों ‘बांग्ला पक्खो’ संगठन से जुड़े हुए हैं. रजत भट्टाचार्य का दावा है कि बिहार और उत्तर प्रदेश से लोग फेक सर्टिफिकेट लेकर युवा SCC एग्जाम देने के लिए आते हैं और बंगालियों की नौकरियां छीनते हैं. इसलिए उन दोनों युवकों को डॉक्यूमेंट्स दिखाने के लिए कहा गया था.
वहीं, ‘बांग्ला पक्खो’ के महासचिव गार्गा चटर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल में एक रैकेट काम कर रहा है, जो युवकों को फेक डोमेसाइल सर्टिफिकेट बनाकर देता है, जिससे बाहरी लोग राज्य में नौकरी पा सकें.
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पूरे विवाद को लेकर बिहार में हंगामा
हालांकि, पूरे विवाद को लेकर बिहार में जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है. कई नेताओं ने बिहार के युवकों के साथ हुई इस घटना को गलत बताया है. इस सबके बीच लोगों ने बिहार की ‘डोमिसाइल नीति’ को लागू करने की मांग जोरशोर से उठाई है. दावा है कि डोमिसाइल पॉलिसी नहीं होने के कारण बिहार के युवाओं को राज्य में सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती है, जिसके चलते उनको पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है.
क्या है डोमिसाइल पॉलिसी?
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डोमिसाइल पॉलिसी के तहत राज्य सरकार की कुछ नौकरियों में वहां के मूल निवासियों को वरीयता दी जाती है. वर्तमान में यह पॉलिसी कई राज्यों ने अपने यहां लागू कर रखी है.
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पहले बिहार में भी डोमिसाइल पॉलिसी लागू थी, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि टीचरों भर्ती में विज्ञान और गणित के अच्छी शिक्षक नहीं मिल पा रहे थे.
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बिहार के सीएम नीतीश ने विधानसभा चुनाव 2020 में डोमिसाइल पॉलिसी लागू करने का वादा किया था. चुनाव जीतने के बाद इसे लागू भी किया, लेकिन ढाई साल में ही इसे खत्म भी कर दिया.
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