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Explainer: क्या होता है इमरजेंसी नंबर,दुनिया में पहली बार कब हुआ था लॉन्च, जानें- कैसे हुई शुरुआत

अगर आप संकट में होते हैं तो क्या करते हैं. सबसे पहले इमरजेंसी नंबर पर डायल करते हैं और मदद मांगते हैं. इससे साफ होता है कि इमरजेंसी नबर एक स्पेशल नंबर होता है, जिस पर आपातकालीन स्थितियों में तुरंत मदद पाने के लिए कॉल किया जाता है.

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Ajay Bhartia
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इमरजेंसी नंबर( Photo Credit : Social Media)

What is an Emergency Number: अगर आप संकट में होते हैं तो क्या करते हैं. सबसे पहले इमरजेंसी नंबर पर डायल करते हैं और मदद मांगते हैं. इससे साफ होता है कि इमरजेंसी नबर एक स्पेशल नंबर होता है, जिस पर आपातकालीन स्थितियों में तुरंत मदद पाने के लिए कॉल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज ही के दिन दुनिया का पहला इमरजेंसी नंबर आया था. इस मौके पर आइए जानते हैं कि दुनिया में इमरजेंसी नंबर की शुरुआत कैसे हुई. इमरजेंसी नंबर 999 के बाद 112 कैसे बना पसंदीदा नंबर और भारत में ये नंबर कैसे अस्तित्व में आया.

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कैसे हुई इमरजेंसी नंबर की शुरुआत?

साल था 1935. लंदन के विम्पोल स्ट्रीट के एक घर में आग लगती है और 5 महिलाओं की मौत हो जाती है. पड़ोसी ने 0 डायल कर फायर डिपार्टमेंट को फोन करने की कोशिश की, लेकिन डिस्पैचर ने उसे कतार में लगाए रखा. सरकार ने जांच बिठाई और इस फैसले पर पहुंची कि आपातकाल के लिए फोन का नंबर अलग होना चाहिए 

30 जून 1937 पहली बार इमरजेंसी नंबर लॉन्च

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30 जून 1937 ये वो तारीख थी. जब लंदन में दुनिया का पहला इमरजेंसी नंबर 999 अस्तित्व में आया. इमरजेंसी के लिए 999 को इसलिए चुना गया, क्योंकि इसे याद रखने में आसानी होती थी. ये दुनिया का पहला ऐसा नंबर था, जो ऑपरेटर को बताता था कि कॉल पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. धीरे-धीरे इमरजेंसी नंबर का कॉन्सेप्ट पूरी दुनिया में कॉमन होता गया. 1960 के दशक के आखिर में अमेरिका ने 911 को इमर्जेंसी नंबर के तौर पर अपनाया. वहीं ब्रिटेन में 35 साल बाद 999 को बदलने का फैसला किया गया. 

999 से सफर शुरू... 112 बना पसंदीदा नंबर

दरअसल यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलीकम्युनिकेशन ने दो वजहों से इमरजेंसी हेल्पलाइन के तौर पर 112 को चुना. पहली वजह ये थी कि रोटरी फोन में 112 डायल करना आसान था. इसमें कम रोटेशन की जरूरत पड़ती थी. दूसरी वजह ये थी कि ज्यादातर रोटरी फोन में डायल लॉक होते थे. फोन के दुरुपयोग रोकने के लिए इसे नंबर 3 फर फिक्स किया गया. मतलब ये कि डॉयल लॉक के बावजूद इमरजेंसी की हालत में कोई भी इसे डायल कर सकता था.

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2008 में इंटरनेशनल टेलिकम्युनिकेशन यूनियन ने  सिंगल यूनिवर्सल इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर अपनाने की सिफारिश की. इसमें 112 और 911 दोनों में से कोई एक नंबर चुनने को कहा. लेकिन यूरोपियन देश में पहले से ही 112 सिंगल इमरजेंसी हेल्पलाइन होने की वजह से ज्यादातर देशों ने 112 चुना. हालांकि, अमेरिका में भी 112 का इस्तेमाल होता है, लेकिन 112 डायल करते ही ये 911 में रीडायरेक्ट कर देता है. 

भारत में भी इंटीग्रेटेड इमरजेंसी नंबर-112

भारत में इसकी एंट्री साल 2012 के बाद हुई. जब दिल्ली में निर्भया हत्याकांड हुआ. जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिश पर इंटीग्रेटेड इमरजेंसी नंबर लाने का फैसला हुआ. साल 2019 में इसे देश भर में लागू किया गया. वैसे देश में पुलिस के लिए 100, हेल्थ के लिए 108, फायर ब्रिगेड का 101, महिला हेल्पलाइन का 1091 और 181, चाइल्ड हेल्पलाइन का 1098 नंबर है. इन सभी को 112 नंबर के तहत लाया गया. यानी अगर आप किसी भी तरह के संकट में है तो बस 112 डायल करने की जरूरत है. मदद तुरंत पहुंच जाएगी.

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Source : News Nation Bureau

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