What is Form17C: देश में शनिवार को लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए वोट डाले गए. इससे पहले हुए चरणों के वोटर टर्न आउट डाटा को लेकर बीते दिनों खूब सियासी घमासान मचा, जो इस बात को लेकर था कि मतदान के दिन जारी किए गए प्रारंभिक आंकड़ों से फाइनल वोटर टर्नआउट डाटा में अंतर क्यों है? सवाल ने विपक्षी दलों के बीच इस संदेह को पैदा कर दिया कि वोटिंग परसेंटेज कैसे बढ़ा, कहीं आंकड़ों में हेराफेरा तो नहीं हुई.
कांग्रेस समेत विपक्षी दल ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए. उसने इस पूरे मामले को लेकर सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया. पार्टी ने आयोग से मौजूदा 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रत्येक चरण की पोलिंग के खत्म होने के बाद सभी पोलिंग स्टेशन के फॉर्म 17सी को 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड (सार्वजनिक) करने को कहा. हालांकि आयोग ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. इस मामले ने देश के सियासी पारे को और चढ़ा दिया. इस सबके बीच में सबसे ज्यादा फॉर्म 17सी को लेकर चर्चा रही. फॉर्म 17 सी क्या और यह क्यों इतना जरूरी है. इस बारे में हम जानेंगे, लेकिन उससे पहले यह जान लें कि यह विवाद क्या है.
आखिर क्या हुआ है?
मौजूदा लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के दिन (19 अप्रैल) कुल वोटिंग पर्सेंटेज 63.5% रहा, लेकिन जब आयोग ने टोटल वोटर टर्न आउट डेटा जारी किया तो आकंड़ा बढ़कर 66.1% हो गया. ऐसा ही कुछ दूसरे और तीसरे चरण के वोटर टर्न आउट डेटा के साथ दिखा गया. चौथे चरण में अंतिम मतदान प्रतिशन में मामूली वृद्धि हुई और यह पिछले आंकड़े 68.9% से बढ़कर 69.2% हो गया.
चुनाव आयोग ने कई दिनों के बाद मतदान के आंकड़े पब्लिश किए. 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान के आंकड़े 11 दिनों के बाद प्रकाशित किए गए और 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान के आंकड़े 4 दिनों के बाद प्रकाशित किए गए. साथ ही, मतदान के दिन जारी किए गए शुरुआती आंकड़ों से अंतिम मतदान के आंकड़ों में अंतर था, जिससे देखकर विपक्षी दलों की त्यौरियां चढ़ गईं.
क्या है फॉर्म 17सी?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के मुताबिक, दो तरह के फॉर्म होते हैं, जिनमें वोटर्स का डेटा होता है. पहला फॉर्म होता 17 ए और दूसरा होता है फॉर्म 17सी. फॉर्म 17ए में पोलिंग ऑफिसर वोट डाल के आनने वाले प्रत्येक वोटर की जानकारी को रजिस्टर करता है यानी दर्ज करता है जबकि फॉर्म 17 सी में वोटर टर्न आउट का डेटा दर्ज किया जाता है यानी कितनी वोटिंग हुई.
फॉर्म 17 सी को वोटिंग खत्म होने के बाद भरा जाता है. इसकी कॉपी हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को भी दी जाती है. फॉर्म 17 में एक बूथ पर कुल रजिस्टर्ड वोटर्स और वोट देने वाले वोटर्स का डेटा होता है. इसी से हमें और आपको यह पता चलता है कि किस पोलिंग पर कितने प्रतिशत वोटिंग हुई. यह डेटा चुनाव आयोग का जो वोटर टर्न आउट ऐप है, वहां नहीं होता है सिर्फ फॉर्म 17सी में होता है.
फॉर्म 17सी जो होता है, उसके दो हिस्से होते हैं पहले हिस्से में तो वोटर टर्न आउट का डेटा भरा जाता है जबकि दूसरे हिस्से में मतगणना के दिन रिजल्ट भरा जाता है. कंडक्ट ऑफ रूल्स 1961 के नियम 48एस के मुताबिक, हर बूथ के पोलिंग ऑफिसर की ये जिम्मेदारी है कि वो ईवीएम दर्ज हर वोट का रिकॉर्ड रखे. हर उम्मीदवार का पोलिंग एजेंट इसे मांग सकता है और पोलिंग ऑफिस फॉर्म17 सी की एक कॉपी जो है वो पोलिंग एजेंट से दस्तखत लेकर उसे दे देता है.
कौन तैयार करता है फॉर्म 17सी?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 49S और 56C के मुताबिक, वोटिंग खत्म होने पर प्रिसाइडिंग ऑफिसर फॉर्म 17C में दर्ज वोटों का लेखा-जोखा तैयार करता है. यह काम मतदान खत्म होने के तुरंत बाद ही करना होता है. फॉर्म 17C के पहले हिस्से यानी पार्ट 1 में कितने वोट पड़े, इसका हिसाब होता है. वहीं दूसरे हिस्से यानी पार्टी 2 में कितने वोटर्स थे और उनमें से कितने वोट दिया, इसका हिसाब होता है. चूंकि फॉर्म 17सी पार्ट-1 वोटिंग के दिन ही भरा जाता है, इसीलिए इसे सार्वजनिक करने की मांग विपक्ष कर रहा है.
क्यों जरूरी है फॉर्म 17सी?
ऐसा माना जाता है कि चुनाव के दौरान धांधली और ईवीएम से छेड़छाड़ रोकने के लिए फॉर्म 17 सी जरूरी होता है. साथ ही वोटिंग के आंकड़ों में कोई खामी पाए जाने पर फॉर्म17 सी का इस्तेमाल करके प्रत्याशी कोर्ट में याचिता भी दायर कर सकता है.
एडीआर ने दायर की SC में याचिका
इस बीच, चुनाव और राजनीतिक सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) और टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को अपनी बेवसाइट पर फॉर्म 17सी की स्कैन कॉपी बूथ वाइज डेटा तुरंत अपलोड करने के निर्देश दे.
Attention @ECISVEEP - here is data for my constituency with number of voters compiled within 24 hrs of polling. Why are you not able to give this for 4 phases? @abhishekaitc @MamataOfficial pic.twitter.com/EsineMFOFn
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) May 14, 2024
दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कई पार्टियों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे. राजनीतिक पार्टियों के दावा है चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और हो जाता है.
चुनाव आयोग ने SC में क्या कहा
चुनाव आयोग के वकील मनेंद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि एडीआर की याचिका 'निराधार संदेह' और 'झूठे आरोपों' पर आधारित था. ADR की याचिका सुनने योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि वोटर टर्नआउट ऐप में दिए गए आंकड़े अस्थायी हैं, क्योंकि वे द्वितीयक स्रोतों पर आधारित हैं. उन्होंने एडीआर के इस तर्क का भी खंडन किया कि प्रकाशित आंकड़ों से अंतिम आंकड़ों में 5 से 6 फीसदी का अंतर था. उन्होंने कहा कि अंतर केवल 1-2% है. वेबसाइट पर हर मतदान केंद्र के मतदान का आंकड़ा सार्वजनिक करने से चुनावी मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. फॉर्म 17सी को सार्वजनिक करना वैधानिक फ्रेमवर्क का हिस्सा नहीं है. इससे पूरे चुनावी क्षेत्र में गड़बड़ी हो सकती है. इन आंकड़ों की तस्वीरों को मॉर्फ यानी उससे छेड़छाड़ की जा सकती है.
EC की दलीलों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले में चुनाव आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गईं दलीलों पर सवाल उठाए. सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि चुनाव आयोग का जवाब अजीबोगरीब और एक तरह से कुतर्क है. आयोग बच रहा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है और दिखाता है कि चुनाव आयोग का झुकाव एकतरफा है. चुनाव आयोग का कहना है कि डेटा के साथ छेड़छाड़ होगी. कोई फोटो मॉर्फ कर सकता है, ऐसे तो फिर कोई भी डेटा अपलोड नहीं हो सकता.
सुप्रीम कोर्ट के सामने फॉर्म 17 C डेटा का खुलासा करने की मांग बड़ी सरल है-
1. 17 C जो फॉर्म है, जिसमें दर्ज होता है कि एक पोलिंग स्टेशन में कितने वोट दिए गए
2. कौन सी मशीन, किस सीरियल नंबर वाली कौन से पोलिंग स्टेशन में लगाई है
3. हर मशीन पर कितने वोट पड़े.. ये सारी बातें चुनाव… pic.twitter.com/J9FStfSbvE
— Congress (@INCIndia) May 23, 2024
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि अगर गिने गए वोट अपलोड किए जाते हैं तो डाले गए वोट क्यों नहीं? ऐसे आयोग पर हम कैसे भरोसा करें!
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशनल बेंच ने फॉर्म 17सी मामले की याचिका पर सुनवाई फिलहाल स्थगित कर दी है. कोर्ट ने कहा, 6 चरणों के चुनाव हो चुके हैं. ऐसे में डेटा अपलोडिंग के लिए मैनपावर जुटा पाना आयोग के लिए मुश्किल है. हमारा मानना है कि इस मामले पर सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए. कोर्ट ने भले ही इस मामले में अभी सुनवाई स्थगित कर दी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि फॉर्म 17सी मामले पर क्या चुप बैठेगा विपक्ष?
Source : News Nation Bureau