Iron Beam: इजरायल कई मोर्चों पर संघर्ष से जूझ रहा है. उसका ईरान, हिजबुल्लाह और हमास के साथ टकराव चल रहा है. हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद ईरान ने इजरायल पर 180 से अधिक मिसाइलों की बौछार लगा दी थी. इजरायल ने ईरान के इस हमले का मुकाबला अपने आयरन डोम जैसे एयर डिफेंस प्रणालियों से किया था. लेकिन अब दुश्मन से निपटने के लिए इजरायल ने बड़ा कदम उठाया है, वो बहुत ही घातक हथियार ‘आयरन बीम’ बनाने जा रहा है. ये हथियार उसके लिए एक तरह से रक्षा कवच भी साबित होगा, जो इतना खतरनाक होगा कि ईरान-हिजबुल्लाह और हमास के छक्के उड़ जाएंगे. आइए जानते हैं कि ‘आयरन बीम’ क्या है.
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एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल एक बहुत ही एडवांस हथियार आयरन बीम बनाने जा रहा है, जिसके एक साल के भीतर चालू होने की उम्मीद है. साथ ही दावा किया गया है कि इस हथियार के बनने से इजरायल की सैन्य ताकत में आमूलचूल इजाफा होगा. आयरन बीम को बनाने के लिए इजरायल ने राफेड एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और एल्बिट सिस्टम डिफेंस कंपनियों के साथ करार किया गया है. अनुमान जताया गया है कि आयरन बीम को बनाए जाने में $500 मिलियन से अधिक का खर्चा आएगा. कुछ एक्सपर्ट्स दावा कर रहे हैं कि इजरायल का ये हथियार ईरान और पॉक्सी वॉर के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार साबित होगा.
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क्या है आयरन बीम? (What is Iron Beam?)
- आयरन बीम, एक लेजर डिफेंस सिस्टम है, जो ‘आयरन डोम’ की तरह ही हवाई खतरों से इजरायल की रक्षा करेगा.
- इसे मिसाइलों, ड्रोन, रॉकेट और मोर्टार सहित विभन्न हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है.
- आयरन बीम के बनने से इजरायल की सैन्य ताकत में काफी इजाफा होगा, क्योंकि इससे वो दुश्मनों की मिसाइलों को हवा में ही नेस्तनाबूद कर सकेगा.
- आयरन बीम के प्रोटोटाइप को पहली बार 2021 में दिखाया गया था और तभी से इजरायल इसको बनाने में लगातार काम कर रहा था.
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कैसे काम करता है आयरन डोम? (How does 'Iron Beam' work?)
- आयरन डोम एक ग्राउंड-बेस्ड हाई-पावर लेजर सिस्टम है, जो काफी दूरी से हवा में ही दुश्मन के मिसाइलों, ड्रोन, और रॉकेटों जैसे हथियारों को लेजर की मदद से पिघला कर नष्ट कर देता है.
- आयरन डोम जैसे एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना में इसे एक्टिवेट करना आसान होगा और बहुत ही कम समय में दुश्मन पर जवाबी कार्रवाई की जा सकेगी.
- आयरन बीम से इजरायल के लिए दुश्मनों की मिसाइलों को मार गिराने की लागत में खर्चा बहुत ही कम हो जाएगा, क्योंकि एयर डिफेंस में यही काम एक मिसाइल के खर्चे पर किया जाता था.
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