UPSC Lateral Entry Recruitment: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) लेटरल एंट्री भर्ती का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सियासी घमासान मच गया है. विपक्ष दलों ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और बीजेपी को घेरा है. लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी कहा कि UPSC में लेटरल एंट्री के जरिए SC/ST/OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे संविधान खत्म करने की बीजेपी की चाल बताया है. सवाल ये हैं कि UPSC में लेटरल एंट्री भर्ती क्या है और ये आरक्षण पर डाका कैसे?
आखिर क्यों हो रहा है विवाद?
यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के जरिए 45 अहम पदों भर्ती के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है. इनमें संयुक्त सचिव, उपसचिव और निदेशक स्तर के पद शामिल हैं. अलग-अलग मंत्रालय में सीधी भर्ती के जरिए इन पदों की भर्ती की जाएगी. यह भर्तियां अनुभव और काम के आधार पर होनी है. यूपीएससी ने इसके लिए विज्ञापन जारी कर दिया है और आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
2019 में शुरू की गई थी ये भर्ती
हालांकि, विपक्ष मोदी सरकार के इस फैसले का जोरदार विरोध कर रहा है. 2019 में पहली बार मोदी सरकार ने सीधी भर्ती के जरिए इन पदों पर भर्ती की थी. अब इसे दोहराया जा रहा है. बीते सप्ताह ही कैबिनेट सचिव और गृह सचिव समेत 20 सचिवों के तबादले कर दिए गए थे. अब सरकार ने डोमेन एक्सपर्ट्स यानी विशेषज्ञों की भर्ती का ऐलान कर दिया. विपक्ष ने भी मोदी सरकार के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है.
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लेटरल एंट्री के विरोध में कौन-कौन?
राहुल गांधी और अखिलेश यादव के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, भीमा आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत विपक्ष के कई दिग्गज नेता यूपीएससी में लेटरल एंट्री भर्ती के विरोध में शामिल हैं. आइए जानते हैं कि इन नेताओं ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री को आरक्षण पर डाका कैसे बताया.
‘SC/ST/OBC का आरक्षण छीना जा रहा’
राहुल गांधी एक्स पर लिखते हैं, ‘नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं. केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.’
‘शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं’
रायबरेली से सांसद राहुल गांधी लिखते हैं, ‘मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है. UPSC की तैयारी कर रहे युवाओं के हक पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है. IAS का निजीकरण, आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है.’
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‘उच्च पदों पर आम लोगों के पहुंचने का रास्ता बंद’
वहीं, इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मामले पर एक्स पर पोस्ट कर बताया कि UPSC में लेटरल एंट्री आरक्षण पर चोट कैसे है. अखिलेश लिखते हैं, ‘बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से UPSC के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है. ये तरीका आम लोगों के उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा.’
‘PDA से आरक्षण-अधिकार छीनने की चाल’
अखिलेश यादव ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री को पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों) से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की चाल बताया. यूपीएससी में लेटरल एंट्री को देशहित में नहीं बताते हुए उन्होंने मांग की कि बीजेपी सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो आगामी दो अक्टूबर से इसके खिलाफ उन्होंने आंदोलन करने का ऐलान किया है.
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आइए संक्षिप्त में जानते हैं कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री भर्ती को लेकर अन्य नेताओं ने क्या कहा है.
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कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने 45 पद Lateral Entry द्वारा भरने का विज्ञापन निकाला है. क्या इसमें SC,ST, OBC और EWS आरक्षण है? सोची समझी साजिश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसे भर्ती कर रही है, ताकि आरक्षण से SC, ST, OBC वर्गों को दूर रखा जा सके.
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने कहा, ‘USPC लेटर एंट्री भर्ती में कोई भई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता. इसमें संविधान प्रदत कोई आरक्षण नहीं है. इस नियुक्ति प्रक्रिया में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा.’
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चंद्रशेखर आजाद एक्स पर लिखते हैं कि संविधान को माथे पर लगाने वाले PM मोदी और उनकी सरकार उसी संविधान की किस कदर हत्या करने पर तुली है लेटरल एंट्री का यह नोटिफिकेशन इसका जीता जागता उदाहरण है.
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बीएसपी चीफ मायावती ने एक्स पर लिखा, ‘इससे नीचे पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ेगा.
क्या है UPSC में लेटरल एंट्री?
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केंद सरकार में संयुक्त सचिव, उपसचिव और निदेशक जैसे बड़े और अहम पदों से जुड़ा है लेटरल एंट्री का मामला. लेटरल एंट्री को हिंदी में पार्श्व नियुक्ति कहते हैं. इसका साधा मतलब ये है कि जो लोग आईएएस का एग्जाम देखकर आईएएस नहीं बने थे, लेकिन आईएएस को मिलने वाले उच्च पदों पर दूसरे दरवाजे से नियुक्ति किए जा सकते हैं. नियुक्त किए गए लोग प्राइवेट सेक्टर से भी हो सकते हैं.
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इस भर्ती प्रक्रिया में सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकते हैं. इसमें निकलने वाले सीटें अनरिजर्व्ड हैं. इसका मतलब ये है कि इसके तहत निकली भर्तियों में एससी, एसटी और ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण नहीं लागू होता है. इसके अलावा और भी कई वजहें हैं जिनकी वजह से यूपीएससी में लेटरल एंट्री भर्ती शुरू से ही विवादों के घेरे में रही है.
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