UPSC CSE PwD Category Reservation: महाराष्ट्र कैडर की विवादित IAS पूजा खेडकर मामले में विवाद अभी थमा नहीं है. अब एक और IAS ऑफिसर अभिषेक सिंह का नाम विवादों में हैं. अभिषेक पर भी पूजा की तरह ही संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में IAS रैंक लेने के लिए दिव्यांगता के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए लाभ लेने का आरोप है. अभिषेक 2011 बैच के IAS ऑफिसर हैं. हालांकि उन्होंने अक्टूबर 2023 में इस्तीफा दे दिया. अब अभिषेक और पूजा दोनों ही दिव्यांगता दावे के लिए जांच के घेरे में हैं. ऐसे में विकलांग कोटे से यूपीएससी में कैंडिडेट्स के सिलेक्शन पर सवाल उठ रहे हैं. आइए जानते हैं UPSC CSE का दिव्यांगता कोटा क्या है, चयन की पूरी प्रक्रिया क्या है.
क्यों विवादों में हैं अभिषेक सिंह?
अभिषेक सिंह ने UPSC की परीक्षा दिव्यांगता कैटेगरी से पास की थी. उन्होंने इसके लिए दिव्यांगता सर्टिफिकेट भी सब्मिट किया था, जिसमें उन्होंने खुद को चलने-फिरने में अक्षम (लोकोमोटिव डिसऑर्डर) बताया था, लेकिन अब उनके डांस और जिम में वर्कआउट करने के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनकी वजह से उनके दिव्यांगता कैटेगरी के तहत UPSC में सलेक्शन में सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई यूजर्स ने PwBD-3 (पर्सन विद बेंचमार्क डिसेबिलिटी) कैटेगरी के मानदंडों का हवाला देते हुए उनकी पात्रता पर सवाल उठाया है. PwBD-3 कैटेगरी में बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित, सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) से ठीक हुए लोग, चलने-फिरने में परेशानी वाली अन्य कंडीशन (लोकोमोटिव डिसऑर्डर) शामिल हैं. हालांकि अभिषेक सिंह इसे उनके खिलाफ किया जा रहा प्रोपेगेंडा बताया.
पूजा खेडकर का क्या है मामला?
2023 बैच की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर यूपीएससी में आईएएस रैंक लेने के लिए दिव्यांगता और ओबीसी के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए लाभ लेने के आरोप हैं. पूजा खेडकर ने 2019 में UPSC की परीक्षा सामान्य कैटेगरी में दी. उनके पिता के पास 40 करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद 2022 में नॉन क्रीमी लेयर OBC के तहत परीक्षा दी. आईएएस रैंकिंग नहीं मिलने पर शारीरिक दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिया.
इसके बाद यूपीएससी ने पूजा खेडकर को 6 बार शारीरिक दिव्यांगता की जांच के लिए बुलाया. पूजा खेडकर हर बार शारीरिक दिव्यांगता की जांच से बचती रहीं. इनके अलावा पूजा खेडकर पर अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती और महाराष्ट्र सरकार की पट्टी लगाने का भी आरोप है. पुणे ट्रैफिक पुलिस ने एक्शन लेते हुए 21 हजार रुपये का फाइन लगाया है. इस बीच महाराष्ट्र विपक्ष के नेता ने पूजा के चयन प्रक्रिया की नए सिरे से जांच की मांग की है.
क्या है UPSC CSE का दिव्यांगता कोटा
यूपीएससी की सिविल सर्विस एग्जाम में दिव्यांग कोटा यानी रिजर्वेशन (PwD Reservation) के बारे में जरूरी बातें कुछ इस प्रकार हैं, लेकिन उससे पहले आपको पर्सन विद डिसेबिलिटीज् (PwD) और फिजिकल हैंडीकैप्ड (PH) के अंतर को समझना होगा.
पर्सन विद डिसेबिलिटीज् (PwD): ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें लंबे समय से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी (Sensory) दिव्यांगताएं होती हैं. यह शब्द दिव्यांगों की गरिमा, सम्मान और समावेशिता को बढ़ावा देता है.
फिजिकल हैंडीकैप्ड (PH): ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनको किसी भी तरह का शारीरिक दोष (Physical Defect) या शारीरिक दुर्बलता (Physical Impairment) है. ऐसे लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों को करने में भी दिक्कत होती है. उनकी काम करने की क्षमताएं सीमित होती हैं. इसमें कई फिजिकल कंडीशन शामिल हैं, जो किसी शख्स की गतिशीलता (Mobility), निपुणता (Dexterity) या शारीरिक कामकाज (Physical Functioning) को प्रभावित करती हैं.
UPSC CSE में दिव्यांग रिजर्वेशन पॉलिसी
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांगों के लिए रिजर्वेशन पॉलिसी है, जिसका मकसद दिव्यांगों को पब्लिक एम्प्लॉयमेंट में समान अवसर सुनिश्चित करना है. इस पॉलिसी में राइट्स ऑफ पर्सशंस विद डिसेबिलिटीज् एक्ट 2016 और भारत सरकार के PwDs लोगों को रिजर्वेशन के लिए गाइडलाइंस हैं. UPSC CSE में दिव्यांग कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए कुल रिक्तियों की संख्या का चार फीसदी सीटें रिजर्व करता है.
दिव्यांगता की कैटेगरीज्
UPSC CSE में दिव्यांगता की निम्न कैटेगरीज के लिए रिजर्वेशन प्रदान किया जाता है
- दृश्य हानि (VI): अंधापन और कम दृष्टि (B/LV)
- श्रवण हानि (HI): बधिर और कम सुनने वाले (D/HH)
- चलने-फिरने में अक्षमता (LD): चलने-फिरने में अक्षमता जिसमें सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग ठीक होना, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (LD) शामिल हैं.
- ऑटिज्म, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी और मानसिक बीमारी (AID/M)
- खंड (a) से (d) के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों में से बहरापन-अंधापन सहित कई दिव्यांगताएं
- बौद्धिक अक्षमता (ID): यह बौद्धिक कामकाज, तर्क, सीखने, समस्या-समाधान और सामाजिक कौशल में सीमाओं को संदर्भित करता है.
दिव्यांगता की डिग्री
- यूपीएसई सीएसई के लिए उम्मीदवार को किसी भी तरह की डिसएबिलिटी होगी, तो वो 40 पर्सेंट तक होनी चाहिए. वहीं, दिव्यांग कैगेटरी के तहत रिजर्वेशन पाने के लिए कैंडिडेट के पास सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी वैलिड डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट होना चाहिए.
- न्यूनतम मानक (Minimum Standards): दिव्यांग कैंडिडेट को अन्य उम्मीदवारों की तरह ही मिनिमम एजूकेशनल क्वालिफिकेशन और ऐज लिमिट पूरी करानी होगी. हालांकि ऐसे कैंडिडेट्स को आयु सीमा में 10 वर्ष तक, 9 बार तक एग्जाम अटेम्प्ट और क्वालिफाइंग नंबर्स के मामले में कुछ छूट मिल सकती है.
UPSC CSE के लिए कैसे प्राप्त करें दिव्यांगता सर्टिफिकेट
कैडिंडेट्स को एग्जाम रिजिस्ट्रेशन से पहले ही दिव्यांगता सर्टिफिकेट पाना होगा. यह सर्टिफिकेट राज्य या केंद्र सरकार द्वारा स्थापित मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी किया जाता है. मेडिकल बोर्ड में कम से कम तीन सदस्य होने चाहिए, जिनमें से एक श्रवण (hearing), दृश्य (visual) या गति संबंधी विकलांगता (locomotor impairments) का एक्सपर्ट होना चाहिए. कैंडिडेट्स को अपने आवेदन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में यह सर्टिफिकेट जमा करना होगा.
एग्जाम प्रोविजंस
एग्जाम सेंटर्स और फैसेलिटिज्: यूपीएससी यह सुनिश्चित करता है कि दिव्यांग कैडिंडेट के एग्जाम सेंटर ज्यादा दूर न हों. वे आसानी से अपने परीक्षा केंद्र तक पहुंच पाएं. इसके अलावा दिव्यांग कैंडिडेट्स को अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाईं जाती हैं. जैसे दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए पेपर लिखने के लिए राइटर, कुछ दिव्यांगों को एग्जाम के लिए अतिरिक्त समय और और शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित सिंटिंग की सुविधा प्रदान की जाती है.
प्रीलिमिनरी और मैन्स एग्जाम: दिव्यांग कैंडिडेट्स को प्रीलिमिनिरी और मैंन्स एग्जाम पूरा करने के लिए अतरिक समय दिया जाता है. एक्स्ट्रा टाइम आमतौर पर परीक्षा अवधि के प्रति घंटे 20 मिनट होता है.
चयन (Selection) और आवंटन (Allocation):
सेपरेट मेरिट लिस्ट: सिविल सर्विसेज् एग्जामिनिशन को पास करने वाले दिव्यांग कैंडिडेट्स की अलग से मेरिट लिस्ट बनाई जाती है, जो आरक्षित सीटों की संख्या के आधार दिव्यांगता कैटेगरी के तहत बनाई जाती है.
सेवा आवंटन (Service Allocation): मेरिट लिस्ट में दिव्यांग कैंडिडेट्स की रैंक और उनके द्वारा बताई गईं प्राथमिकताओं के आधार पर सर्विस एलोकेशन होता है. इस दौरान मेडिकल एग्जामीनिकेशन के तय मानकों को पूरा करना होता है.
मेडिकल एग्जामिनेशन: दिव्यांग उम्मीदवारों को सेवा आवंटन के लिए उनकी प्रात्रता पुष्टि करने के लिए एक मेडिकल एग्जाम से गुजरना पड़ता है.
Source : News Nation Bureau