Iranian President Raisi's Death Impact: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया है. वे 63 साल के थे. उनका निधन भारत के लिए निश्चित रूप से गहरा झटका है, क्योंकि उनके कार्यकाल भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंध नए मुकाम पर पहुंचे. चाबहार पोर्ट डील (Chabahar Port Deal) में रईसी के भारत के प्रति सकारात्मक रुख को कौन भूला सकता है. ईरान भारत का महत्वपूर्ण रणनीतिक, व्यापारिक और ऊर्जा समेत कई क्षेत्रों में अहम साझीदार है. ऐसे में सवाल उठता है कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन का भारत के साथ संबंधों पर क्या असर पड़ेगा. आइए यह समझने की कोशिश करते हैं.
पीएम मोदी के अच्छे दोस्त थे रईसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर दुख व्यक्त किया है. वह पीएम मोदी के अच्छे दोस्त थे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस 'दुख की घड़ी' में ईरान के साथ खड़ा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा, 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर सैयद इब्राहिम रईसी के दुखद निधन से मैं बहुत दुखी और स्तब्ध हूं. भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा. उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं. दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है.'
Deeply saddened and shocked by the tragic demise of Dr. Seyed Ebrahim Raisi, President of the Islamic Republic of Iran. His contribution to strengthening India-Iran bilateral relationship will always be remembered. My heartfelt condolences to his family and the people of Iran.…
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2024
अगस्त में हुई थी PM से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से 15वें ब्रिक्स सम्मेलन के अवसर पर 24 अगस्त 2023 को जोहान्सबर्म में मुलाकात हुई थी. तब दोनों नेताओं के बीच व्यापार एवं निवेश, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और आतंकवाद से मुकाबला जैसे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने को लेकर बात हुई थी. रईसी ने ईरानी की ब्रिक्स सदस्यता के लिए भारत के समर्थन के लिए भी पीएम मोदी को धन्यवाद दिया था. इस साल भी वे भारत के दौरे पर आने वाले थे. पिछले महीने ईरानी राजदूत ने इसकी जानकारी दी थी. मगर ऐसा होने से पहले ही हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में उनका दुखद निधन हो गया.
चाबहार डील में रईसी की भूमिका अहम
ईरान और भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में उनके काफी मधुरता बढ़ी. हाल ही में भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट पर बड़ा समझौता साइन किया है. जिसके तहत कम से कम अगले 10 सालों तक चाबहार पोर्ट का संचालन अब इंडिया के पास रहेगा. इब्राहिम रईसी ने भारत के साथ इस डील को फाइनल तक पहुंचाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी. इसलिए कहा जा रहा कि चाबहार पोर्ट डील के लिहाज से इब्राहिम रईसी का कार्यकाल काफी अहम था. अब यह देखना होगा कि आने वाले जो नए राष्ट्रपति होंगे, वो इस चाबहार पोर्ट डील को कैसे आगे ले जाते हैं. भारत के प्रति उनका रुख कैसा रहेगा. जब कोई बड़ा लीडर जाता है तो निश्चित रूप से चीजें प्रभावित तो जरूर होती हैं.
ईरान पिछले दिनों में ट्रिपल एच (हमास, हूती और हिजबुल्लाह) को लेकर सुर्खियों में था. इनको ईरान के सबसे प्रभावशाली चरमपंथी गुट बताए जाते हैं, जिनका नेटवर्क दशकों से इजरायल के चारों ओर और पश्चिमी देशों के खिलाफ सक्रिय हैं. ईरान अमेरिका और इजराइल के साथ-साथ दूसरे देशों के लिए चुनौती बनता जा रहा था. ईरान के इजरायल से तनाव और उसके परमाणु कार्यक्रम के चलते अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए. फिर भी ईरान अमेरिकी के दवाब के आगे नहीं झुका. यह सब राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मजूबत नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है.
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने ईरान के साथ अपने रिश्तों को जारी रखा. यह दिखाता है कि ईरान भारत के लिए न सिर्फ रणनीतिक साझीदार था बल्कि अच्छा मित्र भी था. रईसी ने मजबूत तरीके से भारत के साथ रिश्ते को आगे बढ़ाया. हालांकि उनके निधन के बाद भी ईरान भारत के साथ अपने संबंधों को जारी रखेगा. भारत की ऊर्जा और रणनीतिक जरूरतें पूरा करने के लिए ईरान हमारी विदेश नीति का अहम अंग है. वहीं ईरान को भी भारत की उतनी ही जररूत है. अब नए ईरानी राष्ट्रपति भारत के साथ संबंधों को किस तरह से निभाते हैं. यह देखने वाली बात होगी.
Source : News Nation Bureau