राज्यसभा में कई सीटें खाली हैं. उन पर अब उप चुनाव हो सकते हैं. कई मनोनीत सदस्यों की भी सीटें भी हाल ही में खाली हुई हैं. 13 जुलाई को चार मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ, जिसके बाद से एनडीए राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े से दूर हो गई है. राज्यसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या चार साल बाद 90 के नीचे पहुंची है. राज्यसभा में वर्तमान सांसदों की संख्या 226 है. इसमें भाजपा 86, कांग्रेस 26, टीएमसी 13, वाईएसआरसीपी 11, आप 10 और डीएमके सात सीटों पर काबिज है. बता दें, राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी भाजपा के चार मनोनीत सांसद हैं, जो 13 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए.
वर्तमान में राज्यसभा में 19 सीटें खाली हैं. इनमें चार मनोनीत सदस्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, असम, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा राज्य की सीटें रिक्त हैं. रिक्त सीटों में से 11 पर चुनाव होंगे और चार सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करेंगे. जम्मू-कश्मीर विधानसभा गठन के बाद राज्यसभा की सीटों पर चुनाव कराया जाएगा. आइये जानते हैं, राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों से जुड़े अहम सवाल…
क्या है राज्यसभा, सदन में कितनी सीटें हैं
राज्यसभा राज्यों की परिषद होती है. यह भारतीय संसद का उच्च सदन है. राज्यसभा में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. राष्ट्रपति द्वारा नामित लोगों को भी राज्यसभा में शामिल किया जाता है. भारत के राष्ट्रपति राज्यसभा के उप सभापति होते हैं. वहीं, उप सभापति सभी सदस्यों में से किसी एक को बनाया जाता है. राज्यसभा में कुल 250 सीटें हैं. इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं.
राज्यसभा सांसदों का चुनाव कैसे होता है
राज्यसभा का चुनाव राज्य विधानसभाओं के विधायक करते हैं. प्रत्येक राज्य में जनसंख्या के हिसाब से राज्यसभा की सीटें आवंटित हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 31 सीटें हैं तो वहीं अरुणाचल, गोवा, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे प्रदेशों में राज्यसभा की मात्र 1-1 सीटें हैं.
क्या मनोनीत सदस्य किसी पार्टी को ज्वाइन कर सकते हैं
राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है. ये सभी साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा सहित अन्य क्षेत्रों के लोग शामिल हैं. राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मनोनीत सदस्यों को छह माह में किसी राजनीतिक दल ज्वाइन करना पड़ता है. नहीं तो उम्मीदवार को स्वतंत्र उम्मीदवार माना जाता है. राज्यसभा के एक सांसद का कार्यकाल छह वर्षों का होता है.
Source : News Nation Bureau