जी-20 के सफल आयोजन ने पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा दिया है. जानकार जी 20 में नई दिल्ली डिक्लेरेशन यानी New Delhi Decleration पर सभी सदस्य देशों की आम सहमति को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत बता रहे हैं. जी 20 के घोषणापत्र में इस आम सहमति का श्रेय जी20 के शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम को दिया जा रहा है. शशि थरूर ने 9 सितंबर को ट्विटर पर अपनी एक पोस्ट में अमिताभ कांत की तारीफ की थी. थरूर ने अपनी एक पोस्ट में कहा था, ''बहुत अच्छे अमिताभ कांत! ऐसा लगता है कि जब आपने आईएएस बनना चुना तो आईएफएस ने एक बहुत अच्छा राजनयिक खो दिया.'' दिल्ली घोषणापत्र पर सर्वसम्मति को लेकर जी20 शेरपा का कहना है, ''रूस, चीन से बात हुई, कल रात ही फाइनल ड्राफ्ट मिला.'' जी20 में भारत के लिए गर्व का क्षण!''
कांग्रेस नेता की इस पोस्ट पर अमिताभ कांत ने अगले दिन (10 सितंबर) प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया, ''आईएएस या आईएफएस की बात नहीं है, देश के लिए एक टीम के रूप में काम करना मायने रखता है.'' इसके बाद सोमवार 11 सितंबर को थरूर ने रिप्लाई करते हुए तंज कसा, ''सहमत हूं अमिताभ कांत. आप जो उपदेश देते हैं, अब अपने मालिकों से उसकी प्रेक्टिस कराएं.''
क्यों इस्तेमाल होता है शेरपा शब्द
बता दें कि जी 20 का शेरपा बनाए जाने के बाद अमिताभ कांत का काम घरेलू मोर्चे पर तात्कालिक कार्य अधिकारियों, सलाहकारों और डोमेन स्पेशलिस्टों की एक टीम बनाना था और साथ ही, राजनयिक कार्यक्रम की तैयारी शुरू करने के लिए विभिन्न स्टेक होल्डर्स को शामिल करना था. ग्लोबल स्टेज पर, उनकी प्राथमिकताएं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर ध्रुवीकृत दुनिया यानी पोलोराइज्ड वर्ल्ड में भारत के हितों को ध्यान में रखना था और इसको उन्होंन सफलतापूर्वक हासिल भी किया. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये शेरपा क्या होता है और ये शब्द कहां से आया है?
तो हम आपको बता दें कि डिप्लोमेसी में शेरपा शब्द का इस्तेमाल काफी किया जाता है. ज्यादातर ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो कूटनीति में माहिर होते हैं, लेकिन वास्तव में शेरपा शब्द नेपाल और तिब्बत के उन लोगों से लिया गया है जो पूरी दुनिया से आने वाले पर्वतारोहियों यानी माउंटेनियर्स को गाइड करते हैं. ये हिमालय की वादियों में बसते हैं और उन ऊंची जगहों पर भी पहुंच जाते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी होती है. जी-20 में भारत की ओर से पूर्व में मोंटेक सिंह अहलूवालिया, शशिकांत दास, अरविन्द पनगढ़िया, सुरेश प्रभु एवं पीयूष गोयल शेरपा रह चुके हैं.
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तो ये काम करता है शेरपा
अब आपको बताते हैं कि जी20 में शेरपा का का काम क्या होता है. दरअसल जी-20 सम्मेलन में दो समानांतर तरीकों से चर्चा होती है, पहला फाइनेंशियल और दूसरा शेरपा ट्रैक. फाइनेंशियल ट्रैक में बातचीत का काम वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर संभालते हैं और शेरपा ट्रैक में कामकाज शेरपा संभालते हैं. फाइनेंशियल ट्रैक सीधे-सीधे फाइनेंस पर काम करता है. जबकि शेरपा ट्रैक थोड़ा पेचीदा होता है. ये मूलतः सदस्य देशों के शेरपा के साथ समन्वय बनाते हुए राजनीतिक व अन्य मुद्दों को तय करते हैं, बैठकें करते हैं और समय-समय पर अपने लीडर को अपडेट करते रहते हैं. जी-20 वर्किंग ग्रुप्स के साथ भी समन्वय बनाने का काम भी शेरपा का ही होता है. समिट के लिए 13 वर्किंग ग्रुप बने हुए हैं- एनर्जी, ट्रेड-इनवेस्टमेंट, डेवलपमेंट, एम्प्लॉयमेंट, टूरिज्म, एग्रीकल्चर, डिजिटल इकनॉमी, हेल्थ, एजुकेशन, कल्चर, एनवायरमेंट और एंटीकरप्शन आदि.
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जी-20 में शेरपा का रोल बेहद खास होता है. ज्यादातर उन लोगों को शेरपा बनाया जाता है जिन्हें राजनीति और कूटनीति दोनों की अच्छी समझ होती है. अमिताभ कान्त से पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भारत के शेरपा थे. लेकिन उनकी व्यस्तता को देखते हुए अमिताभ कान्त को भारत का शेरपा नियुक्त किया गया. अमिताभ कान्त केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वे औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव थे. अमिताभ कान्त 6 साल तक नीति आयोग के सीईओ रह चुके हैं. इसके अलावा वे कोविड-19 के दौरान भी एंपावर्ड ग्रुप 3 का हिस्सा रहे हैं. यही वजह है कि अब जी-20 के सफल सम्मेलन के बाद हर कोई शेरपा अमिताभ कांत की तारीफ कर रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार नवीन कुमार की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau