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Haryana Election 2024: गठबंधन से क्यों परहेज कर रही हैं बड़ी पार्टियां? कहीं भारी न पड़ जाए ये सोच!

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां गठबंधन से परहेज करती नजर आ रही हैं. कहीं उनकी ये सोच भारी न पड़ जाए.

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Ajay Bhartia
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Haryana Elections 2024

क्या रंग लाएगी एकला चलो की नीति?

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Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस समेत तमाम छोटे बड़े दल तैयारियों में जुट गए हैं. एक तरफ छोटे दल गठबंधन कर चुनाव रण में उतरने का मन बना चुके हैं. जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) ने अभी हाल ही में अलायंस किया है. वहीं, अजय चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) इस बार बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ चुनावी रण में उतरेगी. मगर बीजेपी और कांग्रेस जैसे बड़े सियासी दल अभी तक गठबंधन से परहेज करते नजर आ रहे हैं. 

BJP को जीत की हैट्रिक की उम्मीद!

बीजेपी हरियाणा की सत्ता पर 2014 से काबिज है. पार्टी इस बार भी उम्मीद जा रही है कि वो प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाएगी. सीएम नायब सिंह सैनी लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं और लोगों से बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. आज यानी बुधवार को उन्होंने पूंडरी से जींत जाते समय बैलगाड़ी पर यात्रा की और गांव में कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं से बातचीत की और उनकी समस्याएं जानीं.

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी. इसके बाद बीजेपी ने जेजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. इस सरकार में जेजेपी के दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बने, लेकिन हर बढ़ते दिन के साथ बीजेपी और जेजेपी में तकरार भी देखने को मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों को लेकर सहमति नहीं बनने पर ये अलायंस टूट गया था. सियासी उलटफेर के बीच मनोहर लाल खट्‌टर ने इस्तीफा दे दिया और फिर नायब सिंह सैनी नए CM बने. 

हरियाणा में बढ़ा BJP का प्रभाव

बीजेपी को लगता है कि हरियाणा में बीजेपी का प्रभाव बढ़ा है और वह अकेले अपने दम पर सरकार बना सकती है. जब से प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई है तब से पार्टी ने प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत करने में खासा जोर दिया है. ऐसे में पार्टी को ज्यादा सीटें पर जीत की उम्मीद है. अगर चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए कुछ सीटों की जरूर भी पड़ती है तो समर्थन का विकल्प खुला रहेगा. हालांकि पार्टी के सामने खेमेबाजी, टिकट शेयर और एंटी इनकंबेंसी जैसी कुछ चुनौतियां जरूर हैं.

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कांग्रेस की मजबूती से ठोक रही ताल

उधर, मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस भी हरियाणा चुनाव के लिए पूरी ताकत से चुनावी ताल ठोक रही है. कांग्रेस भी ‘एकला चलो’ की नीति को अपनाते हुए चुनाव लड़ेगी. पार्टी को लगता है कि बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का उसे जरूर फायदा मिलेगा. जनता का रूझान कांग्रेस की ओर है और वो बीजेपी के विकल्प के रूप में उसे देख रही है. हालांकि उसकी ये सोच कितनी कारगर रहती है, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबादी होगी. 

सीएम के चेहरे की रेस में हुड्डा?

हरियाणा में कांग्रेस की राजनीति के केंद्र में भूपेंद्र हुड्डा रहते हैं. प्रदेश में गुटबाजी पार्टी के सामने बड़ी समस्या है. यहां भूपेंदर सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा सभी के अपने गुट हैं. मगर हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने आज यानी बुधवार को बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, ‘25-30 सीटों पर चर्चा हुई है. इस बार किसी सांसद ने टिकट नहीं मांगा है और हम नहीं चाहते कि कोई सांसद चुनाव लड़े. मुझे लगता है कि 2 या 3 सितंबर (उम्मीदवारों की घोषणा) तक यह स्पष्ट हो जाएगा.’

इससे साफ होता है कि कुमारी शैलजा और रणदीप सुरेजवाला इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. ऐसे में सीएम चेहरे की चेहरे की रेस में कहीं न कहीं हुड्डा बाजी मारते हुए दिख रहे हैं.

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कहीं उल्टी न पड़ जाए ये सोच

हरियाणा में जिस तरह से इनेलो और जेजेपी जैसी पार्टियां दलितों की हितैषी माने जाने वाले राजनीतिक दल बीएसपी और एएसपी से गठबंधन कर चुकी हैं. हरियाणा में वही दल सरकार बनाता है, जिसे जाट और दलितों के वोट मिलते हैं. हरियाणा की आबादी में 26% हिस्सा दलितों का है. अगर जाट और दलित एक साथ आ जाते हैं, तो उन्हें सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता है. यह बात ये दल अच्छे से समझ रहे हैं, इसलिए उन्होंने अपनी सियासत को चमकाने के लिए इन दलों के साथ गठबंधन किया है.

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दरअसल, BSP और ASP के चलते ये तो है कि दलित वोट बंटने का पूरा चांस है. इससे कांग्रेस को ज्यादा और बीजेपी को थोड़ा कम झटका लग सकता है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि इन गठबंधन का बीजेपी और कांग्रेस पर असर जरूर पड़ेगा. BSP और ASP की एंट्री से हरियाणा में नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं. बता दें कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीट के लिए मतदान एक अक्टूबर को एक ही चरण में होगा और नतीजे चार अक्टूबर को आएंगे.

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