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Explainer: महाराष्ट्र में BJP की हार के बाद फडणवीस ने क्यों की इस्तीफे की पेशकश, क्या निशाने पर हैं योगी?

महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में BJP का प्रदर्शन खराब रहा है. इस वजह से देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार के डिप्टीसीएम पद से इस्तीफा देने की पेशकश की. अब सवाल उठ रहे कि आखिर देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफे की पेशकश क्यों की, इसके सियासी मायने क्या हैं?

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Ajay Bhartia
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Devendra Fadanavis and Yogi Adityanath

योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फडणवीस( Photo Credit : News Nation)

Maharashtra News: महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का प्रदर्शन खराब रहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया, जो बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2019 में हासिल किया था. लोकसभा चुनावों के नतीजों में बीजेपी महाराष्ट्र में 2019 के 23 सांसदों से घटकर 9 पर रह गई. प्रदेश में बीजेपी की हार के चलते देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश की. राजनीति के जानकर अब उनके इस कदम के पीछे के सियासी मायने निकाल रह रहे हैं. उनके मन में सवाल हैं कि आखिर देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफे की पेशकश क्यों की, उनके इस स्टेप के क्या सियासी मायने हैं, और क्या वे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं, क्योंकि यूपी में भी बीजेपी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है.

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फडणवीस ने क्या कहा था?

मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'महाराष्ट्र में बीजेपी को जो झटका लगा. मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं, क्योंकि पार्टी का नेतृत्व मैं कर रहा था. मैं विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में बीजेपी को पूरा समय देना चाहता हूं. मैं बीजेपी आलाकमान से अनुरोध कर रहा हूं कि वे मुझे सरकार की जिम्मेदारी से मुक्त कर दें ताकि मैं आगामी चुनावों के लिए पार्टी के लिए कड़ी मेहनत कर सकूं.'

हालांकि पार्टी हाईकमान ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया.

महाराष्ट्र में BJP की हार क्यों?

1. महाराष्ट्र में बीजेपी की हार क्यों, इसका जवाब फडणवीस के उस बयान से समझते हैं जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि महाराष्ट्र में निराशाजनक प्रदर्शन के लिए राजनीतिक अंकगणित में चूक, विपक्ष के संविधान बदलने के मुद्दे का ठीक से जवाब नहीं देना, जिसकी वजह से बीजेपी के खिलाफ वोटर्स एकजुट हुए. कुछ कैंडिडेट्स के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी हार की वजह बनीं. वहीं कुछ जगहों पर सहयोगियों के साथ तालमेल के मुद्दे और स्थानीय कृषि समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया.

2. फडणवीस ने बीजेपी के भीतर भी एक वर्किंग स्टाइल डेवलप की है जिसके तहत उन्होंने अपने विश्वासपात्रों की एक टीम बना रखी है और कुछ पुराने नेताओं को नजरअंदाज कर दिया है. इस बार भी पार्टी नेतृत्व ने उनके कहने पर कुछ उम्मीदवारों को हटाने का फैसला किया. यह पार्टी के कुछ लोगों को पसंद नहीं आया.

3. फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी ने जो रणनीति अपनाई वह महाराष्ट्र में कांग्रेस के खिलाफ अधिकतम सीटों पर जानबूझकर लड़ना था, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह क्षेत्रीय दलों से लड़ने से आसान होगा, लेकिन यह जरूरी नहीं था कि यह कारगर हो क्योंकि एमवीए में क्षेत्रीय दलों ने अपने वोट शेयर को आसानी से कांग्रेस को ट्रांसफर कर दिया. 

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4. लाठीचार्ज की घटना के कारण मराठों का गुस्सा खास तौर पर फडणवीस के खिलाफ था. प्रदेश में मजबूत होता दलितों, मराठों और अल्पसंख्यकों का गठजोड़ भी उनके खिलाफ रहा.

BJP के अलायंस को कितनी सीटें?

महाराष्ट्र में बीजेपी जिस अलायंस में शामिल है, उसका नाम महायुति है. लोकसभा चुनाव में महायुति अलायंस ने 17 सीटें जीती हैं. उसके सहयोगी दलों में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 7 पर जीत हासिल की, और अजित पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 4 सीटों पर चुनाव लड़कर एक पर जीत हासिल की. जबकि विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीटें जीतीं.

महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस का कद?

महाराष्ट्र में देवेद्र फडणवीस बीजेपी के कद्दावर नेता है. उन्होंने नागपुर में नगरपालिका पार्षद से लेकर महाराष्ट्र में पार्टी के निर्विवाद नेता तक बीजेपी के भीतर शानदार तरक्की की है. हालांकि, 2019 के बाद से उन्हें कुछ ऐसे झटके लगे हैं जिससे समय-समय पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर हुई है. 2019 में बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राज्य में सरकार बनाने में असमर्थ होना और उसी साल अजित पवार के साथ आधी रात को शपथ लेना, जो सरकार 72 घंटों में गिर गई. 2022 और 2023 में फडणवीस ने बीजेपी को शिवसेना और एनसीपी के गुटों के साथ हाथ मिलाने और उनके साथ सरकार चलाने में सक्षम बनाकर उन खामियों को दूर किया. यह चुनाव उस व्यवस्था की पहली बड़ी परीक्षा थी.

फडणवीस की इस्तीफे की पेशकश के मायने?

राजनीतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफे की पेशकश कर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन को लेकर होने वाली चर्चाओं, सवालों और सियासत को विराम लगाने की कोशिश है. असल में वो खुद के लिए डैमेज कंट्रोल करना चाहते हैं. बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने भी स्वीकार किया कि वे पार्टी के लिए चुनाव का नेतृत्व कर रहे हैं. इससे पहले कि कोई उंगली उठाए डिप्टी सीएम ने बहस पर कंट्रोल कर लिया, अपने सहयोगियों को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया और दोष अपने ऊपर ले लिया. हालांकि राहत की बात यह है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की हार कोई अकेली घटना नहीं है.

इस्तीफे की पेशकश के पीछे निशाने पर योगी?

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महाराष्ट्र ही नहीं यूपी में भी तगड़ा झटका लगा है. वहां पार्टी का गठबंधन एनडीए 36 सीटों पर सिमट गया है. महाराष्ट्र में फणडवीस के इस्तीफे की पेशकश ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. सवाल उठ रहे हैं कि महाराष्ट्र की हार की जिम्मेदारी लेकर क्या फडणवीस यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं?

इस सवाल के पीछे शिवसेना (यूटीबी) नेता संजय राउत का वो बयान है, जिसमें उन्होंने कहा कि फडणवीस तो बहाना हैं, सीएम योगी असली निशाना हैं. संजय राउत का कहना है कि फडणवीस इस्तीफे की पेशकश देकर आदित्यनाथ पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि बीजेपी के इस नतीजे की जिम्मेदारी पीएम मोदी को लेनी चाहिए और उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.

Source :News Nation Bureau

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