इंडोनेशिया (Indonesia) सरकार वर्तमान राजधानी जकार्ता (Jakarta) को छोड़ बोर्नियो (Borneo) द्वीप पर ले जाने की प्रक्रिया में है. इंडोनेशियाई अधिकारियों का कहना है कि नई राजधानी एक 'स्थायी वन शहर' होगा, जहां पर्यावरण को केंद्र में रखते हुए विकास किया जाएगा. साथ ही इसे 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने के लक्ष्य के साथ विकसित किया जाएगा. हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे अस्तित्व के संकट से जूझ रही वनमानुष जैसी प्रजातियां और जनजातीय लोगों पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है. विशेषज्ञों और तमाम लोगों के विरोध के सुरों को देखते हुए फिलहाल नई राजधानी की साइट तक सीमित लोगों को ही जाने की अनुमति दी जा रही है. मीडिया में एसोसिएटेड प्रेस को मार्च की शुरुआत में निर्माण की प्रगति देखने के लिए साइट के कुछ हिस्सों का दौरा करने की अनुमति दी गई थी. ऐसे में एक नजर डालते हैं कि आखिर राजधानी क्यों बदली जा रही है. इसको लेकर इंडोनेशिया सरकार की योजनाएं क्या हैं और आखिर सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता इस योजना को पर्यावरण, लुप्तप्राय वन्य प्रजातियों और स्वदेशी समुदायों के लिए गंभीर खतरा क्यों बता रहे हैं.
आखिर इंडोनेशिया सरकार क्यों बदल रही है राजधानी
जकार्ता में एक करोड़ के आसपास लोग रहे हैं. इससे तीन गुना ज्यादा लोग इसके आसपास रह रहे हैं. इसे दुनिया का सबसे तेजी से डूबने वाला शहर बताया जा रहा है. जकार्ता के जावा सागर में डूबने की जो मौजूदा दर है, उससे यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक शहर का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो सकता है. इसका एक कारण अनियंत्रित मात्रा में भूजल का दोहन है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से जावा सागर के स्तर में वृद्धि हो रही है. जकार्ता की हवा और भूजल अत्यधिक प्रदूषित है. जकार्ता में नियमित रूप से बाढ़ आती है और इसकी वजह से बाढ़ के समय गलियां तक जाम हो जाती हैं. एक अनुमान है कि बाढ़ की गाद से जकार्ता की साफ-सफाई पर अर्थव्यवस्था को हर साल 4.5 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है. इन समस्याओं से निजात पाने के लिए राष्ट्रपति जोको विडोडो ने एक नई राजधानी के निर्माण की कल्पना की है. नई राजधानी में जनसंख्या सीमित रखी जाएगी और इंडोनेशिया को बोर्नियो द्वीप के रूप में एक टिकाऊ शहर भी मिल जाएगा.
आखिर कैसी होगी इंडोनेशिया की नई राजधानी?
राष्ट्रपति विडोडो की योजना नुसंतारा शहर स्थापित करने की है. यह एक पुराना जावा शब्द है, जिसका अर्थ है द्वीपसमूह. सरकार भवनों और आवासों को जमीनी स्तर से बनाना चाहती है. प्रारंभिक अनुमान था कि 1.5 मिलियन से अधिक सिविल सेवकों को जकार्ता से लगभग 2,000 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में शहर में स्थानांतरित किया जाएगा. हालांकि मंत्रालय और सरकारी एजेंसियां अभी भी इस संख्या को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही हैं. नुसंतरा राष्ट्रीय राजधानी प्राधिकरण के प्रमुख बंबांग सुसंतनो ने कहा कि नया राजधानी 'वन शहर' की अवधारणा पर विकसित होगी, जिसमें 65 प्रतिशत क्षेत्र का फिर से वनीकरण किया जाएगा. इंडोनेशिया के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अगले साल 17 अगस्त को नई राजधानी का उद्घाटन किए जाने की उम्मीद है. नई राजधानी के विकास से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक हालांकि इसके विकास का अंतिम चरण 2045 में पूरा हो सकेगा. गौरतलब है कि इंडोनेशिया 2045 में ही अपनी सौवीं वर्षगांठ भी मनाएगा.
पर्यावरणविद् क्यों जाहिर कर रहे हैं चिंता?
हालांकि बोर्नियो के पूर्वी कालीमंतन प्रांत में 256,000 हेक्टेयर में विशाल शहर के निर्माण के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं. यह इलाका फिलवक्त वनमानुषों, तेंदुओं और अन्य वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है. वन जनजीवन और वन्य जैविकी पर नजर रखने वाला इंडोनेशिया के एक गैर-सरकारी संगठन फ़ॉरेस्ट वॉच ने नवंबर 2022 में अपनी ही एक रिपोर्ट में इसको लेकर भारी चेतावनी दी थी. इसके मुताबिक नई राजधानी में अधिकांश वन क्षेत्र को 'प्रोडक्शन फॉरेस्ट' का दर्जा दिया गया था. यानी वानिकी और उससे जुड़े संसाधनों के इस्तेमाल के लिए परमिट दिए जा सकते हैं. परमिट व्यवस्था इलाके में आगे भी वनों की कटाई को बढ़ावा देंगे. रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताते हुए कहा गया है कि अब तक नई राजधानी शहर क्षेत्र में शेष प्राकृतिक वनों की सुरक्षा के बारे में कोई निश्चितता जाहिर नहीं की गई है. यही नहीं डेटा विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी पड़ने की भी उम्मीद की जा सकती है.
देशज समुदाय पर इस तरह पड़ेगा असर
नई राजधानी निर्माण की वजह से 100 से अधिक स्वदेशी बालिक लोगों वाले कम से कम पांच गांवों को स्थानांतरित किया जा रहा है. नई राजधानी के निर्माण स्थल का विस्तार होने पर और गांवों को भी स्थानांतरित किए जाने की उम्मीद है. इस बारे में सरकार का कहा कि नई राजधानी को स्थानीय समुदाय के नेताओं से समर्थन लेने के बाद ही विकसित किया जा रहा है. स्थानांतरित किए गए लोगों को उचित मुआवजा दिया गया है. हालांकि निर्माण क्षेत्र के बहुत करीबी क्षेत्र सेपाकू में रहने वाले एक देशज नेता सिबुकदीन का कहना है कि सरकार ने समुदाय के लोगों को मुआवजा लेने के लिए मजबूर किया. देशज लोगों को यह भी नहीं पता है कि मुआवजे के निर्धारण में किस पैमाने का उयोग किया गया है.
HIGHLIGHTS
- जकार्ता भूकंप के प्रति है बेहद संवेदनशील
- साथ ही जकार्ता जावा सागर में भी रही डूब
- बोर्नियो द्वीप पर सरकार बसाएगी नई राजधानी