Punjab Politics: लोकसभा चुनाव 2024 का अब आखिरी चरण बचा है, जिसके तरह 1 जून को पंजाब समेत 8 राज्यों में वोट डाले जाएंगे. यह महज एक संयोग है कि पंजाब में उस दिन (1 जून को) वोटिंग होगी, जिस दिन प्रदेश में दो अहम घटनाएं घटित हुई थीं. ये घटनाएं ऑपरेशन ब्लू स्टार और पवित्र ग्रंथ की चोरी की हैं. इन घटनाओं ने पंजाब के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी है, जिसका नतीजा है कि दशकों बाद आज भी इन घटनाओं की गूंज पंजाब की राजनीति में सुनाई पड़ती है. ये मुद्दे आज भी सुर्खियों में हैं. आइए जानते हैं कि पंजाब की राजनीति में क्यों खास है एक जून.
लोकसभा चुनाव 2024 के चलते पंजाब ही नहीं पूरे देश में सियासत गरमाई हुई है. पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान ऑपरेशन ब्लू स्टार का मुद्दा फिर छाया रहा. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल अपनी रैलियों में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद क्षतिग्रस्त हुए अकाल तख्त के पोस्टर दिखाए. वहीं आम आदमी पार्टी (एएपी) और बीजेपी भी वोटर्स को इंदिरा की हत्या के बाद सिखों पर की गई हिंसा को याद दिलाया. इसके अलावा पवित्र ग्रंथ की चोरी या बेअदबी हमेशा से ही पंजाब की राजनीति के लिए संवेदनशील मुद्दा रहा है. इन दोनों ही मुद्दों का चुनावों के दौरान मतदाताओं पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से असर दिखता है. तो आइए सबसे पहले शुरुआत करते हैं ऑपरेशन ब्लू स्टार से...
1. ऑपरेशन ब्लू स्टार (1 जून, 1984 – 10 जून 1984)
कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनके जख्म कभी नहीं भरते हैं. उनमें से ऑपरेशन ब्लू स्टार एक है. एक जून यानी शुक्रवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार की शुरुआत की 40वीं वर्षगांठ है. एक ऐसी घटना जिनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद दिल्ली और अन्य जगहों पर सिखों के खिलाफ दंगों की घटनाओं को जन्म दिया. आइए ऑपरेशन ब्लू स्टार के बारे में जानने के लिए हम इतिहास के पन्नों को पलटते हैं.
1 जून 1984 का दिन था. अमृतसर की वजह से पंजाब ही नहीं पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ था. सिखों के सबसे पवित्र मंदिर में खालिस्तानी आंतकवादियों ने ढेरा जमा लिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस घटना को बड़ी ही गंभीरता से लिया. उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर रहे प्रणव मुखर्जी सहित विभिन्न पक्षों की आपत्तियों के बावजूद मई 1984 के मध्य में स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई को अधिकृत किया. 29 मई तक मेरठ की 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन के सैनिक और पैरा कमांडो अमृतसर पहुंच गए. सेना का मकसद उग्रवादी विचारक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके अनुयायियों को पवित्र मंदिर से बाहर निकालना था.
एक जून को फुल एक्शन में आई सेना
एक जून को सेना फुल एक्शन में आ गई. उसने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरू कर दी. इसी दौरान सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच भयंकर गोलीबारी हुई. 10 तक चले ऑपरेशन ब्लू स्टार में बहुत खून खराबा हुआ. ऑपरेशन के दौरान जान और माल का भारी नुकसान हुआ और अकाल तख्त भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. आखिरकार सेना ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को मार दिया गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 83 सैनिक शहीद हुए थे और 249 घायल हुए थे. वहीं, 493 चरमपंथी या आम नागरिक मारे गए थे और 86 लोग घायल हुए थे. 1592 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगे
ऑपरेशन ब्लू स्टार इंदिरा गांधी की हत्या की वजह बना. इस ऑपरेशन के चार महीने बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या उनके दो सिख बॉडीगार्ड्स सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने कर दी. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अकेले दिल्ली में ही 2733 सिख मारे गए. वहीं देशभर में 3,350 सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया. इन सिख विरोधी दंगों को हवा देने का आरोप कांग्रेस पर लगा.
हरचंद सिंह लोंगोवाल की हत्या
1985 में मामले को शांत करने के लिए पूरजोर कोशिशें शुरू हुईं. लेकिन, अकाली दल के नेता संत हरचंद्र सिंह लोंगोवाल की प्राइम मिनिस्टर राजीव गांधी के साथ शांति समझौते पर साइन करने के एक महीने के भीतर हत्या कर दी गई. इसके बाद पंजाब में हिंसा और अस्थिरता का एक नया अध्याय खुल गया.
पंजाब की राजनीति पर असर
ऑपरेशन ब्लू स्टार आज भी पंजाब की राजनीति में एक मजूबत फैक्टर बना हुआ है. मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिला. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपनी रैलियों में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद स्वर्ण मंदिर में क्षतिग्रस्त हुए अकाल तख्त के पोस्टर दिखाए. इस पोस्टर को दिखाते हुए सुखबीर वोटर्स से अपील कर रहे थे कि वे 1 जून को वोट डालते समय यह याद रखें कि कांग्रेस ने 1984 में क्या किया था. वहीं आम आदमी पार्टी (एएपी) और बीजेपी भी वोटर्स को इंदिरा की हत्या के बाद सिखों पर की गई हिंसा को याद दिलाया. हालांकि कई सिख वोट कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व को जिम्मेदार नहीं मानते हैं. राहुल गांधी ने कई मौकों पर स्वर्ण मंदिर में सेवा की है. कांग्रेस को चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
2. पवित्र ग्रंथ चोरी (1 जून, 2015 की घटना)
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद पंजाब की राजनीति पर सबसे ज्यादा असर, जिस घटना ने डाला वो है प्रवित्र ग्रंथ की चोरी. यह घटना 1 जून 2015 को घटित हुई थी. फरीदकोट के एक गुरुद्वारे से सिखों के जीवित गुरु माने वाले गुरु ग्रंथ साहिब (सरूप) की एक प्रति चोरी हो गई. इसके बाद पूरे पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हंगामा हुआ. पवित्र ग्रंथ को खोजने की तमाम कोशिशों के बाद भी वह कहीं मिला. आखिरकार अक्टूबर 2015 में जिसके फटे हुए पन्ने बरगारी गुरुद्वारे (Bargari gurdwara) के बाहर सड़क के उस पार मिले. पंजाब में अशांति फैल गई. बेहबल कलां में पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. पिछले कुछ सालों में बेअदबी की 100 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें से कुछ में कथित आरोपियों की जानलेवा लिंचिंग भी हुई है.
पंजाब की राजनीति पर प्रभाव
2015 के बाद आज भी पंजाब की राजनीति में बेअदबी का मुद्दा बड़ा ही संवेदनशील है. 2017 में अकाली दल को सत्ता गंवानी पड़ी. वहीं कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी पार्टी के सहयोगी नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर 2015 के मामले आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगा. बेअदबी जैसे संदेवनशील मुद्दे पर 2022 में पंजाब विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब और अन्य धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है.
Source : News Nation Bureau