Why is Maldives sinking: ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज का असर दुनियाभर के देशों पर पड़ रहा है, लेकिन समंदर के बीच बसे द्वीपीय देश और तटीय इलाके सबसे ज्यादा संकट में हैं और उन्हीं में से एक है मालदीव, जिसके समंदर में डूबने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. मालदीप को समंदर तेजी से ‘निगलता’ जा रहा है. आखिर क्यों डूब रहा है मालदीव, क्या राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपने देश को डूबने से बचा पाएंगे और सरकार की ओर इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
क्यों डूब रहा है मालदीव?
ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के चलते धरती पर मौजूद बड़े-बड़े ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं, जिनकी वजह से समंदर का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसका सबसे भयानक असर द्वीपीय देशों और तटीय इलाकों पर (जिनमें मालदीप भी शामिल है) पड़ रहा है. ऐसा होने से मालदीव के समंदर में डूबने का लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है. बता दें कि द्वीपीय देश वे देश होते हैं, जिनका मुख्य क्षेत्र एक या एक से ज्यादा द्वीपों पर होता है. भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका और मालदीव द्वीप देश हैं.
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2050 तक 80% डूब जाएगी मालदीप
वैज्ञानिकों का दावा है कि मालदीव के चारों और हर साल समुद्र का जलस्तर 3 से 4 मिलीमीटर बढ़ रहा है और यहां जलस्तर अगले कुछ साल में एक मीटर तक बढ़ सकता है. साथ ही उनका दावा है कि 2050 तक मालदीव का 80 फीसदी हिस्सा पानी में डूब जाएगा. वैज्ञानिकों के इस दावे ने मालदीव को हिलाकर रख दिया है. मुइज्जू सरकार के होश उड़े हुए हैं, सरकार की ओर अपने देश को डूबने से बचाने के लिए तमाम जरूरी प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
अभी क्या है मालदीव की स्थिति?
पूरा का पूरा मालदीव हिंद महासागर के बीचोंबीच बसा हुआ है. मालदीव में 1200 द्वीप हैं और द्वीपों की करीब 900 किमी लंबी चेन है. मालदीव के ज्यादातर इलाकों की समुद्र तल से ऊंचाई सिर्फ 1 मीटर मतलब 3.3 फीट ही है, जो सबसे कम समुद्र तल वाले देशों में शुमार है. ऐसे में समंदर का बढ़ता जलस्तर मालदीव के लिए खतरे की घंटी बन गया है और अगर जलस्तर 1 मीटर तक बढ़ गया तो मालदीव पूरा का पूरा समंदर में समा सकता है. उसके खूबसूरत कोरल द्वीपों का नामोनिशान मिट सकता है.
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क्यों बढ़ रहा समंदर का जलस्तर?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, मालदीप पर डूबने का संकट समंदर के जलस्तर के बढ़ने का नतीजा है. समंदर के जलस्तर के बढ़ने के पीछे तीन अहम वजह बताई जा रही हैं, जो इस प्रकार हैं–
- समंदर का तापमान बढना, क्योंकि पानी गर्म होने पर महासागर का आयतन बढ़ता है.
- ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेंट चेंज के चलते ग्लेशियर और बर्फ का तेजी से पिघलना.
- इसकी तीसरी वजह भूमि की जलमंडारण क्षमता का लगातार घटना भी हो सकती है.
एक्शन में मुइज्जू सरकार?
मालदीव को डूबने के संकट से बचाने के लिए वहां की मुइज्जू सरकार अब एक्शन में आई है. सरकार ने इस काम में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों की मदद ली है. MIT सेल्फ अंसेबली लैब और इन्वेना (Invena) संगठन मालदीव को डूबने से बचाने के काम में जुटे हुए हैं.
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मालदीव को कैसे बचा रहे वैज्ञानिक?
एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की राजधानी माले के साउथ में समंदर किनारे रेत की दीवार बनाई जा रही है. रेत को इकट्ठा करने के लिए रस्सी का जाल पानी में बिछाया गया है, जिसमें Biodegradable, टेक्सटाइल और रेत से भरे ब्लैडर का इस्तेमाल किया गया है और इससे 4 महीनों में, 20 गुणा 30 मीटर के इलाके में करीब आधा मीटर रेत जमा हो गई. रेत का करीब 2 मीटर ऊंचा, 20 मीटर चौड़ा और 60 मीटर लंबा टीला बना है, जिसके 10 साल तक बने रहने की उम्मीद है.
लेकिन समस्या ये है कि इस तकनीक से मालदीव के कुछ ही द्वीपों को बचाया जा सकता है जबकि मालदीव में करीब 1200 द्वीप शामिल हैं, जिनके समंदर में डूबने का खतरा तब तक बना रहेगा जब तक कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के ठोस उपाय नहीं किए जाएंगे.
यहां देखें वीडियो
Nel 1989 l’ONU aveva previsto che le Maldive sarebbero affondate se non fosse stato impedito il riscaldamento globale. pic.twitter.com/7Ff98PRuca
— Wbfe3🍊🚜8️⃣8️⃣🪂 (@ravel80262268) September 4, 2024
बताया जा रहा है कि मालदीव के ज्यादातर समुद्र तटीय इलाके में रेत के बने टीले समंदर में समाते जा रहे हैं. रेत को निकालकर भी कई जगह टीले बनाने की कवायद शुरू की गई है. मगर भयंकर तूफानों के आने से रेत के ये टीले समंदर में समा रहे हैं. मालदीव की मुश्किल लगातार बढ़ती जा रही है.
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