देश की राजधानी दिल्ली उस वक्त दहली, जब 21 नवंबर की रात वेलकम इलाके में एक खौफनाक मंजर पेश आया. यहां एक नाबालिग लड़का दूसरे लड़के पर बुरी तरह चाकूओं से वारकर जख्मी कर देता है. न सिर्फ इतना, बल्कि इसके बाद वो उस जख्मी लड़के के सामने डांस करने लगता है. ढाई मिनट का ये खौफ से भरा पूरा मंजर पास ही लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाता है. हालांकि पुलिस ने मामले में जल्द कार्रवाई करते हुए नाबालिग लड़के को हिरासत में ले लिया. मगर ये पूरी वारदात अपने पीछे एक सवाल छोड़ गई, आखिर कैसे महज 16 साल का ये लड़का इस हद तक खौफनाक कत्ल को अंजाम दे सकता है.
बता दें कि ये कोई पहला वाकया नहीं है, जब किसी नाबालिग ने ऐसी किसी वारदात को अंजाम दिया हो. इससे ठीक कुछ रोज पहले दिल्ली के अमन विहार इलाके में भी एक ऐसा ही मर्डर मामला सामने आया था, जहां दोबारा एक नाबालिग ने चाकू मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. हालांकि पुलिस की दबिश से वो बच नहीं पाया और जल्द ही पकड़ा गया, ऐसे में यहां सवाल है कि आखिर इस कदर बच्चे क्राइम की तरफ क्यों बढ़ रहे हैं?
हैरान करने वाले आंकड़े
भारत में लगातार बढ़ती नाबालिगों में अपराध की प्रवृत्ति को लेकर, केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने कुछ हिलाया आंकड़े जाहिर किए हैं, जिसमें साल 2021 तक नाबालिगों में बढ़ती अपराध की प्रवृत्ति के ताजा रिकोर्ड मौजूद है, जिनमें पहले की तुलना में काफी ज्यादा इजाफा दर्ज किया गया है.
रिपोर्ट की मानें तो तकरीबन हर साल ही नाबालिगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में 30 हजार का इजाफा पेश आता है, जिसमें 35 हजार से ज्यादा पकड़े जाते हैं. आंकड़े जाहिर करते हैं कि, पकड़ में आए 10 में से 9 नाबालिग दोषी पाए जाते हैं. इन नाबालिगों में बड़ी संख्या उनकी है, जो अपने मां-बाप यानि परिवार के साथ रहते हैं, जबकि बहुत कम फिसदी ऐसे हैं जो बेघर हैं.
आखिर हिंसा क्यों चुन रहे बच्चे?
लिहाजा यहां सवाल उठना लाजमि है कि, आखिर क्यों बच्चे इस कदर हिंसक बन रहे हैं. इसके लिए हमें कुछ साल पहले यानि 2016 में हुई एक स्टडी पर गौर करना होगा, जिसमें खुलासा हुआ था कि ड्रग्स और नशे की लत इन नाबालिगों की हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ा रही है. 500 से ज्यादा नाबालिगों कैदियों पर हुई इस स्टडी में सामने आया था कि, इसमें 87 फीसदी से ज्यादा कैदी नशे की लत का शिकार थे. इनमें मुख्यत: गांजा और तंबाकू शामिल था.
इसके साथ-साथ नाबालिगों द्वारा खेले जा रहे मार-धाड़ और बंदूकबाजी वाले ऑनलाइन गेम भी उनके हिंसक प्रवृत्ति में हो रहे लगातार इजाफे के पीछे मुख्य कारण हैं. साल 2019 में अमेरिका में हुई एक स्टडी से मालूम चलता है कि, इस तरह के खेल से बच्चे गन वॉयलेंस और ट्रिगर दबाने की इच्छुक हो जाते हैं.
नहीं मिलती सजा-ए-मौत...
वो अपचारी जिनकी उम्र 18 साल से कम होती है, उन्हें नाबालिग की क्षेणी में रखा जाता है. इस तरह के मामलों में सुनवाई कोर्ट नहीं करता, बल्कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करता है. न ही इन नाबालिगों को पुलिस हवालात या जेल भेजा जाता है, बल्कि इन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है और 24 घंटे के भीतर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश कर दिया जाता है. साथ ही जुवेनाइल बोर्ड की एक टीम नाबालिग की शारीरिक और मानसिक रूप से जांच करती है, ताकि अपराध के पीछे के मकसद का खुलासा किया जा सके.
गौरतलब है कि, मामले में दोषी पाने पर जुवेनाइल बोर्ड द्वारा नाबालिग को तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजा जाता है. जहां इनकी पढ़ाई-लिखाई से लेकर एक बेहतर इंसान बनाने तक सबकुछ किया जाता है. वहीं अपराध कितना भी गंभीर हो, दोषी नाबालिग को कभी मौत की सजा या उम्रकैद नहीं दी जाती है.
Source : News Nation Bureau