मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ( Comedian Raju Srivastava ) को बीते दिनों जिम में वर्कआउट ( Working Out in a Gym) करने के दौरान दिल का दौरा (Heart Attack ) पड़ गया. इसके बाद एम्स नई दिल्ली (AIIMS, New Delhi) में उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टर्स की टीम ने उनका हेल्थ अपडेट देते हुए बताया है कि उनकी हालत स्थिर है. सेहत में कुछ और इंप्रूवमेंट होने के बाद उनका वेंटिलेटर हटा दिया जाएगा. इससे पहले मलखान सिंह के किरदार से मशहूर टीवी कलाकार दीपेश भान का क्रिकेट खेलते हुए आसामयिक निधन हो गया था.
पिछले कुछ वर्षों में, तेज या दमदार कसरत या शारीरिक गतिविधि के बाद अचानक हर्ट अटैक की वजह से मौत की खबर सामने आ रही हैं. कम उम्र में कन्नड़ कलाकार पुरू राजकुमार और टीवी कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला के असामायिक निधन के बाद फिटनेस और हर्ट अटैक को लेकर कई सवाल सामने आए थे. एक बार फिर यह चर्चा सुर्खियों में है कि क्या उच्च तीव्रता वाले व्यायाम से दिल का दौरा पड़ने का खतरा या जोखिम बढ़ जाता है? आइए, जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? वहीं, मेडिकल एक्सपर्ट ऐसे जोखिमों से बचने के लिए क्या सलाह देते हैं?
दिल का दौरा पड़ने का कारण क्या है?
दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनियों में अचानक रुकावट आ जाती है. हृदय रोग विशेषज्ञ, महामारी विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के अध्यक्ष प्रो के श्रीनाथ रेड्डी ने इस बारे में कहा कि "कोरोनरी धमनी में 70 प्रतिशत या उससे अधिक की पुरानी रुकावट जोर लगाने वाले कसरत करने पर एनजाइना या सीने में दर्द पैदा करती है, क्योंकि उपलब्ध रक्त आपूर्ति व्यायाम के दौरान बढ़ी हुई ऑक्सीजन की मांग को पूरा नहीं करती है. हालांकि, दिल का दौरा तब भी हो सकता है जब कोरोनरी धमनियों में बनने वाली नरम पट्टिकाएं फट जाती हैं और एक बड़ा थक्का बन जाता है. यह बिना किसी पूर्व चेतावनी या बगैर किसी लक्षण के अचानक भी आ सकता है. अगर 30 प्रतिशत नरम पट्टिकाएं भी फटने के बाद एक बड़े अवरोधक थक्के का निर्माण कर सकती हैं.
कोरोनरी धमनियों में कैसे आती है रुकावट
एक आम गलत धारणा यह है कि धमनी की दीवार पर वसा (लिपिड, कोलेस्ट्रॉल) और कोशिकाओं के जमा होना कोरोनरी धमनियों में घरेलू नलों की तरह अचानक रुकावट का कारण बनता है. रेजोनेंस लैबोरेट्रीज के प्रबंध निदेशक डॉ तुषार गोर के अनुसार यह गलत है. उन्होंने कहा कि रुकावट कोशिकाओं और कोलेस्ट्रॉल कणों का परिणाम है जो एंडोथेलियल कोशिकाओं की बाधा से टूटते हैं और धमनी की परत में घुसपैठ करते हैं. नतीजतन, धमनी की दीवार में एक फुंसी की तरह एक गांठ होती है. इसे प्लाक या स्टेनोसिस के रूप में जाना जाता है. नरम पट्टिका को धमनी में उभारने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह बाहर की ओर भी फैल सकती है. कोरोनरी धमनी के अंदर इस तरह के अवरोधों के टूटने और विघटन से रक्त के थक्के बनने की क्रिया शुरू हो जाती है, जो पट्टिका के विघटन से चोट की 'मरम्मत' भी करती है.
जीवनशैली का होता है सबसे ज्यादा असर
वहीं डॉ रेड्डी के मुताबिक सूजन पैदा करने वाले कारकों द्वारा रक्त वाहिका अस्तर को लगी चोट के कारण कोरोनरी धमनियों में प्लाक बनते हैं. उन्होंने बताया कि रक्त में परिसंचारी वसा पट्टिका को विकसित करने के लिए चोट की जगह पर जमा हो सकता है. उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह, अस्वास्थ्यकर आहार, तनाव, अपर्याप्त नींद या हाल ही में हुए संक्रमण ऐसे कारक हैं जो इस तरह की सूजन का कारण बन सकते हैं. इसके बाद सूजन के उन पुराने कारणों में से प्रत्येक में एक या अधिक कारकों में अचानक या गंभीर वृद्धि होने पर, दिल का दौरा पड़ने वाले पट्टिका के टूटने की गति तेज हो सकती है.
व्यायाम के दौरान दिल के दौरे का कारण
जोरदार शारीरिक गतिविधि के दौरान अचानक हृदयघात से होने वाली मृत्यु उन मामलों में अधिक होती है जहां रुकावटों का निदान नहीं किया जाता है. कभी-कभी एक ज्ञात निदान की पृष्ठभूमि में भी गंभीरता की कमी से भी ऐसे जोखिम बढ़ जाते हैं. डॉ रेड्डी ने कहा कि जोरदार व्यायाम से प्लाक टूट सकता है या हृदय गति की गड़बड़ी हो सकती है. इससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि व्यायाम दिल के लिए बुरा है. हां, कोरोनरी धमनियों में प्लाक बनाने और टूटने वाले जोखिम कारकों का पता लगाना और उन्हें नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. डॉ रेड्डी ने कहा कि बाकी जनसंख्या समूहों की तुलना में कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने की जातीय संवेदनशीलता वाले भारतीयों में देखभाल और सावधानी की अधिक आवश्यकता है.
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रेगुलर जांच से मिलेगी सबसे ज्यादा मदद
कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट के मुताबिक दिल के दौरे के जोखिम की पहचान करने के लिए तीन चीजों का पता लगाने की जरूरत है. छोटी पट्टिका ( प्लाक) की उपस्थिति, पट्टिका विघटन की आशंका और रक्त के थक्के की तीव्रता. फिलहाल सिर्फ पहले कारक यानी छोटे प्लाक का पता लगाने की ही विश्वसनीय नॉन-इनवेसिव डायग्नोस्टिक परीक्षण उपलब्ध हैं. इसके बावजूद इनमें से प्रत्येक के लिए परीक्षण (भले ही बाद में यह उपलब्ध हो) भविष्य में एक गारंटी वाले विंडो की पेशकश नहीं करेगा. क्योंकि सभी तीन कारक जीवन शैली और पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर बदलते रहते हैं. इसलिए जीवन शैली में बदलाव ही इस जोखिम से बचने का सबसे बड़ा तरीका है.
HIGHLIGHTS
- हर्ट अटैक का जोखिम जानने के लिए तीन चीजों का पता लगाने की जरूरत
- जीवनशैली में बदलाव ही दिल के जोखिम से बचने का सबसे बड़ा तरीका है
- व्यायाम के दौरान बढ़ी ऑक्सीजन की मांग पूरा नहीं होने से जोखिम ज्यादा