Bangladesh Hindu Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसक घटनाएं थमने का नहीं ले रही हैं. तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुखिया बने हैं. वो भी हिंदुओं पर रहीं हिंसक घटनाओं पर लगाम लगाने में नाकाम दिख रहे हैं. इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी शुक्रवार को मोहम्मद यूनुस से फोन पर बातचीत की है, जिसमें मोहम्मद युनूस ने पीएम मोदी को हिंदुओं की हर हाल में सुरक्षा करने का भरोसा दिया है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार से स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां हिंदू संगठनों ने एक अलग देश की मांग की कर दी है. हिंदुओं की इस डिमांड से नई सरकार टेंशन में आ गई है.
बंग्लादेश में हिंदुओं पर जबरदस्त हमले
5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina News) के तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश में हिदुओं के साथ पूरी निर्ममता के साथ हिंसक घटनाएं हुईं. कट्टरपंथियों ने चुन-चुन कर उनको निशाना बनाया. हिंदुओं के साथ मारपीट और अगवा करके उनकी हत्या तक कर दी गईं. हिंदुओं के घरों और दुकानों को आग में फूंक गिया गया. हिंदुओं महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी हैवानियत को अंजाम दिया गया. इतना ही नहीं, हिंदुओं के मंदिरों और मठों में तोड़फोड़ और मूर्तियों को खंडित कर दिया गया.
अत्याचार के खिलाफ एकजुट हुए हिंदू
अत्याचार जब ज्यादा ही बढ़ गया तो बांग्लादेश (Bangladesh News) में हिंदू एकजुट हो गए. वे बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए. ‘हर राम हरे कृष्ण’ के नारे के साथ कट्टरपंथियों के अत्याचार के खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की. हिंदू संगठनों ने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच उनके लोगों पर लक्षित हमलों का पोरजोर विरोध किया. हिंदुओं की एकता को देखकर कट्टरपंथी सहम गए. साथ ही नई सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को भी ये कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा रोंके, नहीं तो वे इस्तीफा दे देंगे.
बांग्लादेश में उठी अलग हिंदू देश की मांग
बांग्लादेश में आए राजनीतिक भूचाल का असर हर तरफ दिख रहा है. अब ऐसी स्थिति बन गई है कि बांग्लादेश में हिंदुओं ने एक अलग देश की मांग की कर दी है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार कोई नहीं बात नहीं है. बांग्लादेश में हिंदुओं (Bangladeshi Hindu) के साथ हिंसक घटनाओं का पूरा इतिहास रहा रहा है. बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने ठीक पाकिस्तान की ही तरह हिंदू आबादी का दमन किया. उन्हें या तो मुसलमान बनने पर मजबूर कर किया या फिर उन्हें बांग्लादेश से पलायन करने के लिए मजबूर किया. कट्टरपंथी ऐसा ही कुछ अब करते हुए दिख रहे हैं. कट्टरपंथी नहीं चाहते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू अपना अस्तित्व बनाकर रखें. बांग्लादेशी हिंदुओं की घटती जनसंख्या इस बात की तस्दीक करते हैं.
बांग्लादेश में लगातर घटी हिंदू जनसंख्या
सवाल उठता है कि आखिर क्यों बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. 1951 में पूर्वी पाकिस्तान में हिंदू (Hindus in Bangladesh) आबादी करीब 22 प्रतिशत थी, लेकिन 2011 तक बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घटकर 8.54 प्रतिशत रह गई और 2022 में इस देश में सिर्फ 7.95 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या ही बची. हालांकि, लगातार गिरावट के बावजूद भी बांग्लादेश में हिंदू दूसरे नंबर पर आने वाली आबादी है, लेकिन अब कट्टरपंथी इस आबादी का पूरी तरह से सफाया करने का मन बना चुके हैं, इसलिए वे चुन-चुन कर हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.
बांग्लादेश में ‘बंगभूमि’ देश की मांग
भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना. धर्म के आधार पर हुए इस बंटवारे में पूर्वी पाकिस्तान को बड़ी उम्मीदें थीं. उनकी आबादी ज्यादा थी, उनको लगता था कि इसी आधार पर उनको संसद में नेतृत्व और अधिकार मिलेंगे, लेकिन होने में भाषा अड़ंगा बन गई. पाकिस्तान ने ऊर्दू को ऑफिशियल लैंग्वेज के तौर पर मान्यता दी थी, लेकिन ईस्ट बंगाल में बांग्लाभाषी रहते थे. बात यहीं नहीं रूकी पाकिस्तानी असेंबली में बांग्ला बोलने पर भी पाबंदी लगा दी गई. साथ ही बंगाली बोलने वालों के साथ हिंसा भी होने लगी. यही बातें आगे चलकर बांग्लादेश के गठन का वजह बनीं.
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अब होना ये चाहिए था कि बोली और जुबान के आधार पर अलग हुए लोग आपस में मिल-बांट कर रहे हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बार बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू ये आरोप लगाने लगे कि उनके साथ बहूसंख्यक आबादी भेदभाव करती है, ऐसा हो आज भी रहा है राजनीति से लेकर सामाजिक स्तर पर हिंदू निचले स्तर पर दिखते हैं. ये लगातार हो रहे अत्याचारों का ही असर है कि 1971 में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी थी, वो अब घटकर महज 8 फीसदी रह गई है.
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फिर उठी नया देश बनाने की मांग
बांग्लादेश में हिंदू समय पर आंदोलन करते आए हैं. 1973 में भी एक आंदोलन हुआ, जिसे 'स्वाधीन बंगभूमि आंदोलन' नाम से जाना गया. इसके आंदोलनकारियों ने तय किया कि वे बांग्ला बोलने वाले हिंदुओं का एक अलग देश बनाएंगे, जिसका प्रस्तावित नाम बंगभूमि रखा गया. हालांकि समय के साथ उनकी मांग राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कहीं दब कर रह गई. अब जब एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाएं हो रही हैं, तब एक बार फिर वहां एक नया देश बनाने की भी मांग उठने लगी है.
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