Japan Army Sex Scandal: युद्ध हमेशा ही भयावह होता है. हमेशा ही लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है. खासकर उन महिलाओं और लड़कियों को जिनका देश युद्ध में हार जाता है. उनको S*x Slavery जैसी यातनाओं को भी झेलना पड़ता है. बताया जाता है कि ऐसा ही कुछ जापान के वॉर टाइम 'डर्टी' स्लेवरी कांड में हुआ था. इस दुर्दांत S*x Scandal की पूरी कहानी जानकर आपकी रूह कांप जाएगी. साथ ही जानेंगे कि इसके लेकर जापान पर क्या आरोप लगते हैं और कंफर्ट वूमन का इतिहास क्या है.
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S*x Slavery में लड़कियों को धकेला गया
ये बात द्वितीय विश्व युद्ध और उसके दौरान की है. इम्पीरियल जापानी आर्म्ड फॉर्सेस ने कई देशों और इलाकों पर कब्जा कर रखा था. जापानी सैनिकों पर आरोप लगता है कि उन्होंने सैकड़ों हजारों महिलाओं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों को पकड़ा और फिर उनको S*x Slavery में धकेल दिया. बताया जाता है कि ये युवतियां कोरिया, इंडोनेशिया और तत्कालीन वर्मा जैसे देशों से लाई गईं थी. इनमें से अधिकतर लड़कियां कोरियाईं थीं, जिन्हें काम देने के बहाने से धोखे से लाया गया और फिर S*x Slavery में धकेल गया था. इन पीड़िताओं को कम्फर्ट वूमन (Comfort Women) कहा जाता था.
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'जापानी सैनिकों ने मेरा यौन शोषण किया'
एक ट्यूब चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, एक पीड़िता ने इसके बारे में जो बताया उसकी कहानी आपको हिलाकर रख देगी. उसने बताया, ‘1936 का साल था और मैं 17 साल की थी. एक दिन गांव का मुखिया मेरे घर आया. उसने मुझे फैक्ट्री में नौकरी दिलाने का वादा किया. मेरा परिवार बहुत गरीब था, मैं उसकी बातों पर राजी हो गई. फिर मुझे एक जापानी ट्रक में भरकर स्टेशन लाया, जहां 20 से ज्यादा कोरियन लड़कियां पहले से बैठी हुई थीं फिर हमें ट्रेन में बिठाकर चीन भेज दिया गया. फैक्ट्री में काम देने का वादा किया गया था, लेकिन जब हम उतरे तो वहां फैक्ट्री का नामोनिशान नहीं था.’
पीड़िता ने आगे बताया, ‘हर लड़की को एक छोटे कमरे में बंद कर दिया गया था. उन कमरों के दरवाजे पर एक नंबर लिखा होता था. हमें वहां बंद हुए दो दिन हो चुके थे, तीसरे दिन हाथ में तलवार लेकर एक जापानी सैनिक मेरे कमरे में आया. उसने मुझे मारने की धमकी थी. उसने कहा था कि जैसा कहता हूं वैसा करो. उसके बाद उसने मेरा बलात्कार किया. फिर अगला सैनिक आया. उसने भी ऐसा ही किया. उस रात 15 से 20 जापानी सैनिकों ने मेरा यौन शोषण किया. उस रात का ये सिलसिला कई वर्षों तक चला.’ ये एक पीड़िता की उस हैवानियत के खिलाफ गवाही थी, जिसकी शिकार सैकड़ों हजारों लड़कियां बताई जाती हैं.
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नान्जिंग में 80 हजार महिलाओं से बलात्कार!
दरअसल, 1910 में जापान ने कोरिया पर हमला किया था और फिर उस पर कब्जा कर लिया. इसके बाद जापान ने चीन, बर्मा और फिलीपींस समेत कई देशों पर कब्जा किया. इन युद्धों में जापानी सैनिकों का एक खास पैटर्न था, वो कब्जाए गए देशों में नरसंहार मचा देता था, क्योंकि उनको लगता था कि किसी को कैद कर रखने से बोझ पड़ेगा. 1937 में नान्जिंग में हमले के दौरान इस पैटर्न में बढ़ा बदलाव आया. रिपोर्ट्स बताती हैं कि जापानी सैनिकों ने नान्जिंग में करीब 80 हजार महिलाओं के साथ बलात्कार किया. इस खबर से दुनिया में हाहाकार मच गया था.
जापान के तत्कालीन सम्राट हीरो हितों को अपनी इमेज की चिंता सताने लगी फिर उन्होंने सैनिकों के लिए अधिक संख्या में कंफर्ट स्टेशन बनाए जाने का आदेश दिया ताकि वे इस तरह की हरकत न करें. हालांकि इस तरह के कंफर्ट स्टेशन पहले से भी मौजूद थे. कंफर्ट स्टेशन वो जगह होती थीं, जहां जापानी सैनिक अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करते थे. इन्हीं कंफर्ट स्टेशनों में महिलाओं को किडनैप, जबरन, युद्धबंदी और धोखे से लाया जाता था और फिर उनको S*x Slave बनाकर रखा जाता था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर महीने कंफर्म वूमन की जांच होती थी, उनमें कोई सेक्युअल डिजीज होती तो उनको मार दिया जाता था. किसी को उनको गायब होने की भनक तक नहीं लगती थी.
#OtD 5 Aug 1993 the Japanese govt admitted that it forced women to work in military brothels from 1932-1945. 200k women and girls, mostly from Korea and China, but also Japan, the Philippines and Dutch Indonesia were abducted/tricked into these brothels. pic.twitter.com/jqT1DPFJPa
— Working Class History (@wrkclasshistory) August 5, 2022
1945 में जब अमेरिका ने हिरोशिमा और नाकासाकी में परमाणु बम गिराया. जापान को हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद कंफर्ट स्टेशन बंद हुए, लेकिन इनके पूरे तरह से बंद होने में सालों लग गए. आगे के वर्षों में कई पीड़िताएं सामने आईं उन्होंने उनके साथ हुई दरिंदगी के लिए जापानी सैनिकों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, जापान हमेशा ही अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा. आखिरकार 1993 में जापान में कंफर्ट स्टेशन में महिलाओं के साथ होने वाली बर्बरता के आरोपों को स्वीकार किया. जापान ने इसके लिए माफी भी मांगी, लेकिन ये आधिकारिक माफी नहीं थी. जापान के कई नेता आज भी कंफर्ट स्टेशनों के इतिहास को नहीं मानते हैं.
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